नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बाहुबली शहाबुद्दीन ने मांगा कस्टडी पैरोल, कहा- पिता की मौत के बाद मां बीमार
तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के बाहुबली आरजेडी लीडर मो शहाबुद्दीन ने ‘कस्टडी पैरोल’ मांगी है। शहाबुद्दीन की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पिता की मौत के बाद बीमार मां के साथ समय बिताने के लिए कस्टडी परोल मांगी गयी है।
- हाई कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं शहाबुद्दीन की फैमिली दिल्ली आकर उनसे मिल लें
- मुलाकात के लिए दिल्ली अलग जगह दी जायेगी
नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के बाहुबली आरजेडी लीडर मो शहाबुद्दीन ने ‘कस्टडी पैरोल’ मांगी है। शहाबुद्दीन की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पिता की मौत के बाद बीमार मां के साथ समय बिताने के लिए कस्टडी परोल मांगी गयी है। सिवान जाने के लिए ‘कस्टडी पैरोल’ मांगी है। याचिका में कहा गया है कि उनके पिता का बीते 19 सितंबर को निधन हो गया और उनकी मां बीमार हैं।
शहाबुद्दीन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली व बिहार सरकार ने कस्टुडी पैरोल में सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दिल्ली में ही अपने परिवार को बुलाकर मुलाकात का सुझाव दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि न तो दिल्ली सरकार और न ही बिहार सरकार सुरक्षा का भरोसा दे रही हैं। के परिवार को ही दिल्लीर आकर मिलने का सुझाव दिया।दिल्ली और बिहार गवर्नमेंट के वकीलों ने ‘कस्टडी परोल’ की स्थिति में भी शहाबुद्दीन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जस्टिस ए. जे. भंभानी के सामने जरूरी आवश्यकताओं का उल्लेख किया।
दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि बिहार में कैदी की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि उन्हें बिहार ले जाना मुश्किल होगा क्योंकि उनके साथ जाने के लिए पुलिस की एक पूरी बटालियन की जरूरत होगी। कोविड-19 महामारी के कारण ट्रेनें भी सामान्य रूप से नहीं चल रही हैं।बिहार की ओर से कहा गया कि शहाबुद्दीन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है। दिल्ली पुलिस को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। कहा गया कि राहत दिए जाने की स्थिति में जरूरी व्यवस्थाओं के बारे में बताते हुए वह एक नया हलफनामा दायर करेंगे।जस्टिस भंभानी ने कहा कि परिवार में शोक जैसी स्थिति हो तो कस्टडी पैरोल देने पर विचार किया जा सकता है।लेकिन इस मामले में बिहार और दिल्ली सरकारों द्वारा दोनों यह सुनिश्चित नहीं कर रही हैं कि शहाबुद्दीन उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेगा। कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं शहाबुद्दीन का परिवार ही दिल्ली आकर उनसे मुलाकात मिल ले। इसके लिए दिल्ली अलग जगह दी जायेगी। इसपर शहाबुद्दीन के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि वे कोर्ट के सुझाए विकल्प पर विचार करेंगे, लेकिन इसके पहले बिहार सरकार हलफनामा देकर कहे कि वह शहाबुद्दीन की सुरक्षा नहीं कर सकती है।
जस्टिस भंभानी ने कहा कि कोर्ट कैदी को परिवार में शोक जैसी स्थिति में ‘कस्टडी परोल’ देने पर विचार कर सकती है। लेकिन यहां मुद्दा यह है कि बिहार और दिल्ली सरकार दोनों मुझे यह सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि 'वे यह सुनिश्चित करने के इच्छुक नहीं हैं कि वह उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेगा। क्यों नहीं आपका परिवार दिल्ली आकर आपसे मिल लेता है। दिल्ली में आपको एक अलग जगह दी जायेगी जहां आप अपने परिवार से मिल सकते हैं। शहाबुद्दीन की ओर से सीनीयर एडवोकेट सलमान खुर्शीद ने कहा कि बिहार सरकार एक हलफनामे में कहे कि वे उनकी देखरेख और रक्षा नहीं कर सकती है। इसके बाद वह कोर्ट की ओरसे सुझाये गये विकल्प पर विचार करेंगे।
उल्लेखनीय है कि शहाबुद्दीन पर मर्डर व किडनैप सहित दर्जनों संगीन मामले दर्ज हैं। फिलहाल सिवान में दो भाइयों को तेजाब से नहला कर निर्मम हत्याै के मामले में वे तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन को वर्ष 2018 में बिहार की सिवान जेल से दिल्लीद की तिहाड़ जेल ट्रांसफर किया गया था। बिहार सरकार के रिकार्ड में शहाबुद्दीन को टाइम 'ए' हिस्ट्रीशीटर (सुधार से परे) माना गया है। शहाबुद्दीन को ‘हिस्ट्रीशीटर टाइप ए’ या सुधार से परे घोषित किया गया था। वह दो बार एमएलए और चार बार एमपी रह चुके हैं।