नई दिल्ली: इंटरनेशनल शूटर श्रेयसी सिंह बीजेपी में शामिल, बांका या जमुईसे विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना
इंटरनेशनल शूटर श्रेयसी रविवार को BJP में शामिल हो गईं। बीजेपी प्रसिडेंट जेपी नड्डा की मौजूदगी में नई दिल्ली में बीजेपी ऑफिस में श्रेयसी ने सदस्यता ग्रहण की।
- शूटर की मां एक्स एमपी पुतुल सिंह भी थी मौके पर मौजूद
नई दिल्ली। इंटरनेशनल शूटर श्रेयसी रविवार को BJP में शामिल हो गईं। बीजेपी प्रसिडेंट जेपी नड्डा की मौजूदगी में नई दिल्ली में बीजेपी ऑफिस में श्रेयसी ने सदस्यता ग्रहण की। मौके पर उनकी मां एक्स एमपी पुतुल सिंह, महाराष्ट्र के एक्स सीएम देवेंद्र फर्नाडीस, बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव, अरूण सिंह, बिहार बीजेपी अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल, एक्स एमपी शहनबाज हुसैन समेत अन्य उपस्थित थे।
बीजेपी से बगवात कर लोकसभा चुनाव लड़ी थी पुतुल
खेल की दुनियामें में बड़ा नाम श्रेयसी सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता दिग्विजय सिंह सेंट्रल मिनिस्टर थे। मां पुतुल सिंह भी एमपी रहीं हैं। पुतुल सिंह ने अपने हसबैंड व बांका के एक्स एमपी दिग्विजय सिंह के निधन के बाद 2010 के लोकसभा उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी बांका से लोकसभा का चुनाव जीता था। इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में पुतुल सिंह बांका से आरजेडी के जयप्रकाश से हार गईं। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बांका की सीट ND) में JD) के खाते में चली गई। इससे नाराज पुतुल सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ गईं। बीजेपी ने पुतुल सिंह को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। लोकसभा चुनाव में श्रेयसी सिंह ने मां पुतुल देवी के लिए जनसंपर्क किया था।
बांका या जमुई से चुनाव लड़ने की उम्मीद
अब श्रेयसी सिंह के बांका के अमरपुर सीट या जमुई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के कयास लगाये जा रहे हैं। बांका श्रेयसी के माता-पिता की कर्मभूमि रही है। , इसलिए उनके वहां से चुनाव लड़ने की संभावना अधिक है।
दिवंगत दिग्विजय सिंह
श्रेयसी सिंह के पिता दिग्विजय सिंह समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्हें क्षेत्र में लोग दादा के नाम से भी बुलाता थे। समता पार्टी बाद में जनता दल में मर्ज कर गया, जिसमें दिग्विजय सिंह के साथ नीतीश कुमार भी थे। चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह मिनिस्टर भी रहे हैं। उनका जन्म जमुई जिले के गिद्दौर में हुआ था। लेकिन चुनाव बांका लोकसभा सीट से लड़ते थे। दिगविजय सिंह 1998 से वह लगातार बांका सीट से चुनाव लड़ रहे थे और जीतते भी आए थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह 2800 वोटों से चुनाव हार गये। उसके बाद उन्हें समता पार्टी ने राज्यसभा भेज दिया। दिग्विजय सिंह 2009 के लोकसभा में चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें टिकट नहीं दिया।दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद 2009 में निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर चुनाव भी जीत गये। वर्ष 2010 की 24 जून को दिग्विजय सिंह का ब्रेन हैमरेज की वजह से लंदन में निधन हो गया।