Niraj Singh Murder Case Dhanbad: पुलिस जांच पर उठे सवाल, कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी
धनबाद नीरज सिंह मर्डर केस में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले के बाद पुलिस इन्वेस्टिगेशन की खामियों पर सवाल उठ रहे हैं। कई रहस्य अब भी अनसुलझे हैं।

- एक्स डिप्टी मेयर समेत चार लोगों की हुई थी मर्डर
- मामले के कई रहस्य जिससे पर्दा नहीं उठ सका
- बचाव पक्ष को मिला पुलिस की गलती का लाभ
धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद के बहुचर्चित एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर केस में कोर्ट के फैसले ने पुलिस इन्विस्टीगेशन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे धनबाद पुलिस की साख को बट्टा लगा है।
यह भी पढ़ें:Niraj Singh Murder Case Dhanbad: संजीव सिंह को बाईज्जत बरी किये जाने की खुशी में रागिनी ने विधानसभा में बांटी मिठाई
धनबाद के बहुचर्चित नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर केस केस में तत्कालीन डीआईजी व एसएसपी के निर्देशन में पुलिस की जांच चल रही थी। पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़ केस को आगे बढ़ाती रही। अभियोजन पक्ष के दावे के मजबूती के लिए साक्ष्य जुटाये जाते रहे। पुलिस इंस्पेक्टर निरंजन तिवारी को केस आईओ बनाकर दावा किया जाता रहा कि तेजतर्रार अफसर है। केस के इन्विस्टीगेशन में पुलिस इंस्पेक्टर निरंजन तिवारी की अनुभवहीनता सामने आ गयी है। बड़बोले अफसर की न सिर्फ पोल खुल गयी है बल्कि जाली साक्ष्य बनाने के मामले में गर्दन भी फंस गयी है। एक तरह से नीरज सिंह मर्डर केस में एफआइआर से लेकर गवाही व पुलिस इन्विस्टीगेशन फिल्मी कहानी बन कर रह गयी है।
नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या किसने की!
नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर के बाद बॉडी पोस्टमार्टम से लेकर एफआइआर व पुलिस इन्विस्टीगेशन की एक-एक खामियों को बचाव पक्ष ने उजागर किया है। एफएसएल रिपोर्ट से भी कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। पुलिस पुलिस इन्विस्टीगेशन के अनुसार नीरज सिंह समेत चार लोगों की मौत मौके ए वारदात पर हो गयी थी। नीरज सिंह व मुन्ना तिवारी के बॉडी का उपरी भाग में कोई कपड़ा नहीं था। अब सवाल उठ रहा है कि दोनों का कुर्ता गंजी या सर्ट गंजी बॉडी से कहां गया। सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टर ने पाया कि नीरज की मौत हॉस्पिटल लाने से पहले हो चुकी थी। अन्य तीनों लोगों की बॉडी घटनास्थल से पीएमसीएच पोस्टमार्टम हाउस कौन व कैसे पहुंचाया यह पुलिस रिकार्ड में उल्लेख नहीं है।
बचाव पक्ष के एडवोकेट ने बताये एक-एक रहस्य
एक्स एमएलए संजीव सिंह ने एडवोकेट ने आरोप लगाया है कि अभियोजन पक्ष की मदद से केस के आईओ पुलिस इंस्पेक्टर निरंजन तिवारी ने जाली एवीडेंस तैयार कर कोर्ट में प्रस्तुत किया। कथित प्रत्यक्षदर्शी गवाह आदित्य राज का जाली मोबाइल कॉल डिटेल कोर्ट में पेश किया। संबंधित कॉल डिटेल को मोबाइल कंपनी के अफसर कोर्ट में आकर गलत बता चुके हैं। जावेद का दावा है कि नीरज सिंह के हाथ में आईवी सेट व बॉडी पर चीरा लगा हुआ था। एडवोकेट का कहना है कि जब सेंट्रल हॉस्पिटल में नीरज सिंह का इलाज ही नहीं हुआ तो हाथ में बॉडी में इलाज जैसा निशान कहां से आया है। जिसका उल्लेख पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हैं। पोस्टमार्टम में नीरज सिंह की बॉडी से 17 गोलियां बरामद हुईं थी।
फॉर्च्यूनर के आगे बायीं ओर से शीशा बाहर से तोड़ा गया
एडवोकेट जावेद का कहना है कि एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार नीरज सिंह के फॉर्च्यूनर (जेएच10एआर-4500) के ड्राइविंग सीट पर एक से अधिक लोगों का खून पाया गया है। एफएसएल रिपोर्ट में चारों मृतक में से किसी का खून ड्राइविंग सीट पर मिले खून से मैच नहीं हुआ है। नीरज सिंह के पैजामा का अंडरगारमेंट के खून का मैच भी नहीं हो पाया है। जावेद का दावा है कि एफएसएल रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि फॉर्च्यूनर के आगे से बांयी ओर का शीशा गिरा हुआ था। यह शीशा गोली लगने से नहीं टूटा है। बाहर से किसी भारी पदार्थ से बल प्रयोग कर तोड़ा गया है। यह अपने आर में रहस्य है। हालांकिअन्य शीशा गोली लगने से टूटा है। सभी शीशा में गोली का छेद भी है।
सरायढेला स्टील गेट में 21 मार्च 2017 की शाम फॉर्च्यूनर सवार नीरज सिंह समेत चार लोगों को गोलियों से भून दिया गया था। मौके पर ही चारों की मौत हो गयी थी। आठ साल पांच माह बाद भी जब कोर्ट ने 10 आरोपितों को बरी कर दिए, तो सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर किसने की। पुलिस की जांच पर सवाल उठने लगे हैं।अभियोजन व आरोपित पक्ष के राजनीतिक व कारोबारी रसूख के कारण इस मर्डर के पीछे बड़ी साजिश की आशंका जतायी गयी थी।
पुलिस जांच पर उठ रहे सवाल
हमले की पेशेवर तरीके से की गई प्लानिंग ने शुरू से ही पुलिस की जांच को चुनौती दी। क्रिमिनलों ने घटना के बाद बाइक से संकरी गलियों में भागकर पुलिस को चकमा दिया। 50 से ज्यादा खोखे और अत्याधुनिक आर्म्स के इस्तेमाल ने इसे एक बड़ा क्राइम साबित किया। लेकिन आठ साल बाद जब कोर्ट ने फैसले में 10 आरोपितों को बरी कर दिया, तो सवाल यही उठ रहे हैं। क्या पुलिस ने जानबूझकर ठोस इन्विस्टीगेशन के लिए साजिश के तहत सबूत बनाये। यह मामला अब सिर्फ चार लोगों की मर्डर नहीं, बल्कि पुलिस इनिविस्टीगेशन पर उठे सवालों का प्रतीक बन गया है।
21 मार्च 2017 की सरेशाम चार लोगों की हुई थी मर्डर
सरायढेला स्टील गेट में 21 मार्च 2017 की शाम धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों को बाईक सवार शूटरों ने गोलियों से भून दिया गया था। एक्स डिप्टी मेयर सह कांग्रेस लीडर नीरज सिंह अपनी फॉर्च्यूनर (जेएच10एआर-4500) से झरिया से सरायढेला स्थित अपने आवास रघुकुल लौट रहे थे। फॉर्च्यूनर में नीरज सिंह अपने ड्राईवर घोल्टू महतो के साथ आगे की सीट पर बैठे थे। पीछे की सीट पर उनके सहायक सरायढेला न्यू कालोनी निवासी अशोक यादव और प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी बैठे थे। सरायढेला के स्टील गेट के पास बने 15 स्पीड ब्रेकर के कारण फॉर्च्यूनर धीमी होते ही घात लगाये बाइक सवार हमलावरों ने गाड़ी को चारों ओर से घेर लिया। आधुनिक आर्म्स से हुई अंधाधुंध फायरिंग में 50 से अधिक गोलियां चली।नीरज सिंह समेत अशोक यादव, मुन्ना तिवारी और ड्राइवर घोलटू महतो की भी मौके पर ही मौत हो गयी थी।
सरायढेला पुलिस स्टेशन में 23 मार्च को दर्ज हुई एफआइआर, चिरकुंडा थानेदार बने आईओ
नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू सिंह की लिखित कंपलेन पर 23 मार्च को संजीव सिंह, मनीष सिंह, पिंटू सिंह, महंथ पांडेय व गया सिंह के खिलाफ सरायढेला पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 48/2017 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी थी। पुलिस इंस्पेक्टर सह सरायढेला पुलिस स्टेशन के इंचार्ज अरविंद कुमार ने एफआइआर दर्ज कर सीनीयर अफसरों के आदेश पर केस का आईओ पुलिस इंस्पेक्टर सह थाना प्रभारी चिरकुंडा निरंजन तिवारी को बना दिया। एसएसपी ने सरायढेला थानेदार अरविंद कुमार को लाइन क्लोज कर चिरकुंडा थानेदार निरंजन तिवारी को सरायढेला थाना प्रभारी बना दिया।