बिहार विधानसभा चुनाव के में दलों ने जुटाया185.14 करोड़ का चंदा, JDU को 55 करोड़ की आमदनी, BJP ने किया सबसे ज्यादा खर्च

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में नौ राजनीतिक दलों ने 185.14 करोड़ रुपये चंदा जुटाया। कुल 503 कैंडिडेट्स को चुनावी मैदान में उतारा और जीत के लिए 81.86 करोड़ रुपये खर्च किया है। आरजेडी के अलावा सात दलों के चुनाव खर्च का ब्योरा अभी तक चुनाव आयोग को नहीं दिया है।

बिहार विधानसभा चुनाव के में दलों ने जुटाया185.14 करोड़ का चंदा, JDU को 55 करोड़ की आमदनी, BJP ने किया सबसे ज्यादा खर्च
  • ADR ने जारी की रिपोर्ट
  • RJD समेत सात पार्टियों ने नहीं दिये आय-व्यय का ब्योरा

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में नौ राजनीतिक दलों ने 185.14 करोड़ रुपये चंदा जुटाया। कुल 503 कैंडिडेट्स को चुनावी मैदान में उतारा और जीत के लिए 81.86 करोड़ रुपये खर्च किया है। आरजेडी के अलावा सात दलों के चुनाव खर्च का ब्योरा अभी तक चुनाव आयोग को नहीं दिया है। मात्र दो राजनीतिक दलों (माकपा और एआइएमआइएम) ने तय समय-सीमा के अंदर खर्च का हिसाब जमा किया है। बिहार इलेक्शन वाच और एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म) ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक की है।
सीपीआइ, एलजेपी, रालोद, रालोसपा, जेडीयू (सेक्युलर), जेएमएम और एनपीईपी ने अभी तक चुनाव आयोग को खर्च का ब्योरा नहीं दिया है। ADR के अनुसार राजनीतिक दलों का चुनावी खर्च घट गया है। विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को 35 करोड़ 83 लाख रुपये, जेडीयू को 55 करोड़, बीएसपी को 44 करोड़ और कांग्रेस को 44 करोड़ की आय हुई। बीजेपी ने सबसे ज्यादा 54 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। कांग्रेस ने 12 करोड़, जेडीयू ने नौ करोड़ और बीएसपी ने चार करोड़ खर्च दिखाया है। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में सभी दलों का कुल खर्च लगभग 151 करोड़ रुपये था। बीजेपी ने सबसे अधिक लगभग 104 करोड़ का खर्च घोषित किया था। समाजवादी पार्टी ने लगभग 16 करोड़, जेडीयू ने लगभग 14 करोड़ और कांग्रेस ने लगभग 10 करोड़ की राशि खर्च की थी।

पॉलिटिकल पार्टियों ने कैंडिडेट्स के पेमेंट पर सबसे अधिक लगभग 46 करोड़ का खर्च घोषित किया है। यह कुल खर्च का लगभग 36% है। पार्टियों ने यात्रा पर कुल 37 करोड़ (28.70%) और प्रचार पर 36.73 करोड़ रुपए खर्च किये हैं। जबकि विधानसभा चुनाव 2015 के दौरान चुनाव लड़े राजनीतिक दलों ने प्रचार के माध्यम पर सबसे अधिक 74 करोड़ 97 लाख रुपये खर्च की थी। यात्रा पर 59.32 करोड़, कैंडिडेट्स के भुगतान पर लगभग 46 करोड़ और अन्य खर्चों पर लगभग 10 करोड़ खर्च की राशि घोषित की थी। पार्टियों ने यात्रा पर हुए खर्च का 98.12 परसेंट यानी 36.62 करोड़ रुपये अपने स्टार प्रचारकों के दौरे पर खर्च किया है।
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के तमाम सख्ती के बावजूद देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के अलावा 15 दलों ने एक वीक से लेकर 128 दिन देर से खर्च का हिसाब जमा किया है। आयोग के नियमानुसार चुनाव लड़ने वाले सभी दलों को अपने चुनाव खर्च का हिसाब चुनाव की लास्ट डेट से 75 दिनों के अंदर जमा करना होता है। एआईएमआईएम ने एक भी दिन की देरी नहीं की है। बीजेपी ने 48 दिन, जेडीयू ने 21 दिन और कांग्रेस ने 43 दिन की देरी की है। BSP ने 63 दिन की देरी की है। आरजेडी,एलजेपी और सीपीआई जैसी सात पार्टियों का चुनावी खर्च चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।एडीआर ने रिपोर्ट में छह राष्ट्रीय दलों और 11 क्षेत्रीय दलों के ब्योरे का आकलन किया है। इसमें सामने आया है कि केवल नौ दलों का ही चुनाव खर्च का विवरण चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। एआइएफबी और एनसीपी दो ऐसे दल हैं, जिन्होंने चुनाव लडऩे के बावजूद सेंट्रल व स्टेट व स्टेट लेवल पर कुछ भी व्यय घोषित नहीं किया है।

2015 की तुलना में 2020 में घट गया बीजेपी का चंदा
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अन्य दलों की तुलना में सबसे अधिक 51.66 करोड़ रुपये चंदा प्राप्त किया था। पार्टी ने 2020 में 35.83 करोड़ रुपये की चंदा लेने की घोषणा की है। जेडीयू (55.607 करोड़ रुपये), बसपा (44.581 करोड़ रुपये) और कांग्रेस (44.536 करोड़ रुपये) चंदा हासिल की है। 
बीजेपी ने किया था सबसे अधिक खर्च
बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में, सभी दलों का कुल व्यय 150.99 करोड़ रुपये था। इसमें भाजपा ने सबसे अधिक 103.76 करोड़ रुपये खर्च घोषित किया था। समाजवादी पार्टी ने (15.65 करोड़ रुपये), जेडीयू ने (13.63 करोड़ रुपये) और कांग्रेस ने (9.88 करोड़ रुपये) खर्च किया था।लेकिन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने ही सबसे अधिक 54.721 करोड़ रुपये खर्च दर्शाया है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस ने 12.352 करोड़ रुपये, जदयू ने 9.851 करोड़ रुपये और बसपा ने 4.794 करोड़ रुपये खर्च दिखाया है।