देश में प्रसिडेंट इलेक्शन 18 जुलाई को होगा, 21 को रिजल्ट, निर्वाचन आयोग ने जारी किया शेड्यूल
चुनाव आयोग ने देश में राष्ट्रपति चुनाव की डेट का एलान हो गया है। चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा। इसके लिए 15 जून को नोटिफिकेशन जारी हो जायेगी। आयोग ने बताया कि 29 जून तक नॉमिनेशन दाखिल किया जायेगा। 21 जुलाई को चुनाव के रिजल्ट आयेंगे।
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने देश में राष्ट्रपति चुनाव की डेट का एलान हो गया है। चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा। इसके लिए 15 जून को नोटिफिकेशन जारी हो जायेगी।आयोग ने बताया कि 29 जून तक नॉमिनेशन दाखिल किया जायेगा। 21 जुलाई को चुनाव के रिजल्ट आयेंगे।
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देश के नये राष्ट्रपति के चुनाव में 4,809 वोट डाले जायेंगे। जरूरी होने पर 21 जुलाई को मतों की गिनती की जायेंगी। दिल्ली के विज्ञान भवन में मीडिया से बात करते हुए चुनाव आयोग ने ने बताया कि 15 जून से अधिसूचना लागू होगी और 29 जून तक नामांकन करने की तारीख रहेगी। 30 जून तक इनकी स्क्रूटनी होगी। उम्मीदवार दो जुलाई तक अपना नामांकन वापस कर सकेंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद जाहिर करनी होगी। यदि वोट देने वाले सांसद और विधायक ने पहली पसंद नहीं दी तो फिर वोट को रद्द माना जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4,809 वोट होंगे। कुल वोटों का मूल्य 10 लाख 98 हजार 803 होगा। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद मतदान करेंगे। विधानसभाओं के सदस्य भी मतदान कर सकेंगे। मतदान में लोकसभा एवं राज्यसभा के 776 सांसद और 4,120 विधायक हिस्सा लेंगे। उल्लेखनीय है कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है।नये राष्ट्रपति को 25 जुलाई तक शपथ लेनी है। ऐसे में यह जरूरी था कि नए राष्ट्रपति का चुनाव 24 जुलाई तक हो जाए। 2017 में 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद का चुनाव हुआ था, जिसमें रामनाथ कोविंद को चुना गया था। तब एनडीए के कैंडिडेट रहे रामनाथ कोविंद को करीब 65 परसेंट वोट हासिल हुए थे। इस बार भी एनडीए आसानी से जीतने की स्थिति में है। हालांकि अब तक सरकार या फिर विपक्ष की ओर से कैंडिडेट का ऐलान नहीं हुआ है।
ऐसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम के जरिए होता है। इसमें सांसद और विधायक मतदान करते हैं। चुनाव आयोग की देखरेख में यह पूरी प्रक्रिया होती है। इलेक्टोरल कॉलेज ऊपरी और निचले सदन के चुने हुए सदस्यों से मिलकर बनता है। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के चुने हुए सदस्य भी शामिल होते हैं। आंकड़ों के लिहाज से बात करें, तो इस चुनाव में चार हजार 896 मतदाता होंगे। इनमें 543 लोकसभा और 233 राज्यसभा सांसद, सभी राज्यों के चार हजार 120 विधायक शामिल हैं।
राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 55 के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है। राष्ट्रपति को भारत के संसद के दोनो सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के अलावा राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों पांच साल के लिए चुनते हैं।
राष्ट्रपति बनने के लिए 5,49,441 वोटों की जरुरत
देश के सभी निर्वाचित सांसद और विधायक इसमें वोट देते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए 549441 वोटों की जरुरत है। राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक वोट हासिल करने से जीत का फैसला नहीं लिया जाता। इसमें वोटों का वेटेज देखा जाता है। वर्तमान में राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कालेज के सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 1098882 है। जीत के लिए उम्मीदवार को 549441 वोट हासिल करना होगा। राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभाओं के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है। ऐसे ही, राज्यों के विधान परिषदों के सदस्यों को भी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं है।
देश के सभी निर्वाचित सांसद और विधायक इसमें वोट देते हैं।
776 सांसद हैं लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर
708 होती है हर सांसद के वोट की वैल्यू
4120 हैं देश के सभी राज्यों के कुल विधायक
5,49,408 हैं सांसदों के कुल वोट की वैल्यू
5,49,474 हैं विधायकों के कुल वोट
549441 वोट चाहिए राष्ट्रपति बनने के लिए
MLA के वोट की वैल्यू
एमएलए के मामले में जिस राज्य का एमएलए हो, उसकी आबादी देखी जाती है। उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाता है। वैल्यू निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को कुल MLA की संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, उसे फिर 1000 से डिवाइड किया जाता है। अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट की वैल्यू होती है।
सिंगल ट्रांसफरेबल वोट
इस चुनाव में एक खास तरीके से वोटिंग होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं। यानी वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह तमाम कैंडिडेट्स में से अपनी प्रायॉरिटी तय कर देता है। यानी वह बैलेट पेपर पर बता देता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन। यदि पहली पसंद वाले वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका, तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है। इसलिए इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है।
वोटों की गिनती
प्रेजिडेंट के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। प्रेजिडेंट वही बनता है, जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे। इस समय प्रेजिडेंट इलेक्शन के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 1098882 है। जीत के लिए कैंडिडेट को हासिल करने होंगे 549441 वोट।
चार बार से वाइस प्रेजिडेंट से प्रेजिडेंट नहीं
पिछले चार बार से वाइस प्रेजिडेंट को प्रेजिडेंट बनाने की परंपरा टूट गई है। कृष्णकांत और भैरों सिंह शेखावत को वाइस प्रेजिडेंट पद से प्रेजिडेंट बनने का मौका नहीं मिला। उनके बदले एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल प्रेजिडेंट बनीं। दो बार वाइस प्रेजिडेंट रहे हामिद अंसारी को दोनों बार प्रेजिडेंट बनने का मौका नहीं मिला।