साहिबगंज: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्रशर उद्योग के खिलाफ की बड़ी कार्रवाई, 69 का सीटीओ कैंसिल
झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साहिबगंज जिले में संचालित 69 क्रशर खदानों का सीटीओ (संचालन की अनुमति) कैंसिल कर दिया है। मानकों का पालन न करने के कारण यह कार्रवाई की गयी है।
साहिबगंज। झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साहिबगंज जिले में संचालित 69 क्रशर खदानों का सीटीओ (संचालन की अनुमति) कैंसिल कर दिया है। मानकों का पालन न करने के कारण यह कार्रवाई की गयी है।
जिले में 203 माइंस-क्रशर को सीटीओ निर्गत किया गया था। इनमें से 13 सीटीओ को 15 दिन पूर्व कैंसिल कर दिया गया था। 190 क्रशर-माइंस शेष बचे थे। इनमें से भी चार को आवासीय क्षेत्र में स्थित होने का कारण बताते हुए ध्वस्त कर दिया गया। अब 186 में से 69 का सीटीओ कैंसिल कर दिया गया है। अभी जिले में 117 क्रशर-माइंस को ही अनुमति है।शेष इलिगल हो चुके हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भेजे गये पत्र में कहा गया है कि सभी कारोबारियों को तीन-तीन बार नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने को कहा गया ।लेकिन किसी ने इसका अनुपालन नहीं किया। पत्थर कारोबारियों का कहना है कि उनलोगों को नोटिस मिला ही नहीं। पिछले साल कुछ पत्थर कारोबारियों पर बोर्ड ने भारी फाइन भी लगाया था।
100 क्रशर माइंस का सीटीओ कैंसिल करने की तैयारी
डिपार्टमेंटल सोर्सेंज का करना है कि जिले के 100 और क्रसर माइंस की सीटीओ कैंसिल किया जा सकता है। इसकी लिस्ट बनया गयी है। ऐसा हनो पर जिले में एक से डेढ़ दर्जन क्रशर-खदान ही बच जाएंगे। प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के फरमान के बाद पत्थर कारोबारियों में आक्रोश है। पत्थर कारोबारियों ने आगे की रणनीति बनाने के लिए सोमवार को बैठक बुलायी है। खनन टास्क फोर्स की बैठक भी सोमवार को निर्धारित है जिसमें आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जायेगा।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में मिला था एक अरब 10 करोड़ रेवन्यू
साहिबगंज जिले की पूरी अर्थव्यवस्था क्रशर-माइंस पर टिकी है। इससे 50 हजार से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। इनमें क्रशर व माइंस में काम करनेवाले मजदूरों के साथ-साथ ट्रक चालक, खलासी, जेसीबी चालक-खलासी, लोडर चालक-खलासी, रैक लोड करनेवाले मजदूर आदि शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार को एक अरब 10 करोड़ रुपये का रेवनय्ू गवर्नमेंट को मिला था। इससे पूर्व 80 करोड़ रुपये मिले थे। विभागीय नियमों की सख्ती की वजह से इस बार स्थिति खराब है। साढ़े पांच माह में इस बार मात्र 20 करोड़ रुपये सरकार को मिले हैं। जिले में पत्थर के अलावा और कोई कारोबार नहीं है।