CM हेमंत सोरेन से संबंधित शेल कंपनी का मामला: सरकार सुनवाई का टालने का आग्रह, हाईकोर्ट से फिर किया इन्कार
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों से जुड़े शेल कंपनी मामले में सरकार की ओर से दायर आइए को हाईकोर्ट में ने ठुकरा दिया है। बेंच ने ने कहा कि जब मामला कल सूचीबद्ध है तो इस पर आज बात नहीं होनी चाहिए।
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों से जुड़े शेल कंपनी मामले में सरकार की ओर से दायर आइए को हाईकोर्ट में ने ठुकरा दिया है। बेंच ने ने कहा कि जब मामला कल सूचीबद्ध है तो इस पर आज बात नहीं होनी चाहिए।
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मामले से जुड़े एडवोकेट राजीव कुमार के अनुसार सरकार ने आइए के माध्यम से हाईकोर्ट से सुनवाई टालने का आग्रह किया था। सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल के कोरोना पॉजिटिव होने को आधार बताकर सुनवाई टालने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है। हाई कोर्ट ने सुनवाई टालने से साफ इन्कार कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि मामले में हाई कोर्ट में शुक्रवार (17 जून) को सुनवाई होनी है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से सुनवाई न करने के आग्रह को नामंजूर किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। यह मामला माइंनिंग लीज और आय से अधिक संपंत्ति का मामला से जुड़ा है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एस एन प्रसाद की बेंच मे चल रही है।दोनों की मामलों के प्रार्थी शिव शंकर शर्मा है। प्रार्ती के एडवोकेट राजीव कुमार है।
कोर्ट ने याचिका को माना है मेंटेंनेबल
पिछली सुनवाई मे हाईकोर्ट ने दोनों याचिका को मेंटेनेबल बताते हुए सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया था। सीएम हेमंत सोरेन की और से अधिवक्ता कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे हैं। इसके पहले मामला सुप्रीम कोर्ट गया था. जहां कोर्ट ने सुनवाई के लिए हाईकोर्ट रेफर किया था।
माइनिंग लीज व शेल कंपनी से संबंधित मामला
झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सीएम हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल की। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।
याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने एडवोकेट राजीव कुमार के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है। यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है।और इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को वाइट मनी बनाया जा रहा है।याचिका के माध्यम से कोर्ट से सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है। इस मामले में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है।