भारतीयों की रियल इस्टेट संपत्तियों की भी जानकारी देगा स्विट्जरलैंड, इसी महीने मिलेगा डिटेल
अब स्वीटजरलैंड भारतीयों की रियल इस्टेट संपत्तियों की भी जानकारी देगा। इंडिया को इसी महीने डिटेल मिलेगा। इससे स्विट्जरलैंड में प्रॉपर्टी रखने वालों की पोल खुलेगी। स्विट्जरलैंड के साथ आटोमैटिक एक्सचेंज आफ इन्फारमेशन पैक्ट (एईओआइ) के तहत भारत को इस महीने अपने नागरिकों के स्विस बैंक अकाउंट्स के विवरण का थर्ड सेट प्राप्त होगा। पहली बार इसमें भारतीयों की वहां रियल इस्टेट संपत्तियों के भी आंकड़े होंगे।
नई दिल्ली। अब स्वीटजरलैंड भारतीयों की रियल इस्टेट संपत्तियों की भी जानकारी देगा। इंडिया को इसी महीने डिटेल मिलेगा। इससे स्विट्जरलैंड में प्रॉपर्टी रखने वालों की पोल खुलेगी। स्विट्जरलैंड के साथ आटोमैटिक एक्सचेंज आफ इन्फारमेशन पैक्ट (एईओआइ) के तहत भारत को इस महीने अपने नागरिकों के स्विस बैंक अकाउंट्स के विवरण का थर्ड सेट प्राप्त होगा। पहली बार इसमें भारतीयों की वहां रियल इस्टेट संपत्तियों के भी आंकड़े होंगे।
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भारत को इस महीने स्विटजरलैंड में भारतीयों के फ्लैट,अपार्टमेंट और संयुक्त स्वामित्व वाली रियल इस्टेट संपत्तियों की भी पूरी जानकारी प्राप्त होगी। इसमें इन संपत्तियों से हुई कमाई का भी उल्लेख होगा ताकि इनसे जुड़ी कर देयता की जांच में मदद मिल सके। पहली बार रियल स्टेट प्रॉपर्टीज से जुड़ी जानकारियां शेयर की जायेंगी। हालांकि, गैर लाभकारी संगठनों में किये गये योगदान और इस तरह के अन्य संस्थाओं के अलावा डिजिटल करेंसी में किये गये निवेश को ऑटोमैटिक एक्सचेंज प्रोग्राम से बाहर रखा गया है।
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इंडिया को पहली बार सितंबर 2019 में स्विट्जरलैंड से अकाउंट्स का डिटेल मिला था। इंडिया जानकारी प्राप्त करने वाले 75 देशों में शामिल था। इंडया को सितंबर 2020 में 85 देशों के साथ भी अकाउंट्स का ब्योरा शेयर किया गया था। इस साल से स्विटजरलैंड के शीर्ष प्रशासनिक निकाय फेडरल काउंसिल ने ग्लोबल फोरम आन ट्रांसपेरेंसी एंड एक्सचेंज आफ इन्फारमेशन फार टैक्स पर्पसेज की प्रमुख सिफारिशों पर अमल का फैसला किया है। इसी के तहत रियल इस्टेट सेक्टर में विदेशियों के निवेश का ब्योरा साझा किया जाएगा। खास बात यह है कि इन सिफारिशों में डिजिटल करेंसी में निवेश और गैर-लाभकारी संगठनों व फाउंडेशन में योगदान की जानकारियां भी शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर स्विटजरलैंड पर इन जानकारियों को भी साझा करने का दबाव बनाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दो सेट में स्विस सरकार ने हर बार करीब 30 लाख खातों का विवरण साझा किया। इस साल यह संख्या और अधिक होने की संभावना है। टैक्स चोरी समेत वित्तीय गड़बडि़यों की जांच के सिलसिले में प्रशासनिक सहायता के आग्रहों पर स्विस अफसर इस साल पहले ही 100 से अधिक भारतीय नागरिकों और कंपनियों के बारे में जानकारियां साझा कर चुके हैं।