जम्मू कश्मीर गवर्नमेंट ने IAS डा. शाह फैसल की सेंट्रल में डिपुटेशन को दी मंजूरी

सियासत से नौकरशाही में लौटे IAS डा. शाह फैसल सेंटरल डिपुटेशन पर जायेंगे। जम्मू कश्मीर गवर्नमेंट ने सेंट्रल में शाह के डिपुटेशन को मंजूरी दे दी है। 

जम्मू कश्मीर गवर्नमेंट ने IAS डा. शाह फैसल की सेंट्रल में डिपुटेशन को दी मंजूरी


, श्रीनगर। सियासत से नौकरशाही में लौटे IAS डा. शाह फैसल सेंटरल डिपुटेशन पर जायेंगे। जम्मू कश्मीर गवर्नमेंट ने सेंट्रल में शाह के डिपुटेशन को मंजूरी दे दी है।  

कोरोना से देश की इकनॉमी को बड़ा नुकसान,  उबरने में लग सकते हैं 12 साल: RBI
सरकारी नौकरी से इस्तीफे का एलान करने के बाद राजनीति में शामिल होने और जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बनाये गये आइएएस अफसर का इस्तीफा अस्वीकार कर उनकी सेवाएं बहाल करने का यह अपनी तरह का पहला मामला है।संबंधित नियमों के तहत कोई आइएएस अधिकारी इस्तीफा देने के लगभग 90 दिन के भीतर ही अपनी सेवा बहाली का आग्रह कर सकता है। अगर वह इस दौरान किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है या कोई ऐसा कदम उठाता है जो देश की एकता अखंडता के खिलाफ हो, तो उसकी सेवाएं बहाल नहीं की जाती।

जनवरी 2019 में नौकरी से दिया था इस्तीफा

शाह फैसल ने जनवरी 2019 में सरकारी सेवा छोड़ने का एलान करते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने एक राजनीतिक दल भी बनाया।आर्टिकल 370 व 35ए को निरस्त किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों में भी वह शामिल हैं। 
अभी तक शाह फैसल का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ था। एक सीनीयर अफसरने बताया कि शाह फैसल ने कुछ समय पहले इस्तीफे को वापस लेने के लिए औपचारिक आवेदन किया था। लगभग 17 दिन पूर्व उनका इस्तीफा नामंजूर हो गया। वह फिर नौकरशाही में लौट आए। केंद्र सरकार उनकी सेवाएं जम्मू कश्मीर से बाहर प्राप्त करना चाहती है। अगले सप्ताह उनकी नियुक्ति का आदेश भी जारी हो जायेगा।
कश्मीर मुद्दे पर जारी कूटनीति में शाह फैसल की सेवा लिये जाने के कयास
बताया जाता है कि कि कश्मीर मुद्दे पर जारी कूटनीति में शाह फैसल की सेवाएं ली जा सकती हैं। सेंट्रल ने बड़े हित को देखते हुए उनका इस्तीफा नामंजूर किया है। शाह फैसल ने आतंकी हिंसा का दंश झेला है। आतंकियों ने उनके पिता की मर्डर की थी। उन्होंने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का भी विरोध किया।अनुच्छेद 370 के समर्थन में सियासी दल भी बनाया, लेकिन बाद में उन्होंने इसे अपनी गलती मानी। माना जा रहा है कि वह कश्मीर मुद्दे पर इंटरनेशनल लेवल पर इंडिया के स्टैंड को ज्यादा प्रभावी तरीके से पेश कर सकते हैं।