पश्चिम बंगाल: टीएमसी नेता मुकुल रॉय की विधायकी गई! हाईकोर्ट ने दलबदल कानून में किया अयोग्य घोषित

कलकत्ता हाईकोर्ट ने दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल रॉय की पश्चिम बंगाल विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी है। बीजेपी छोड़कर टीएमसी में शामिल हुए मुकुल रॉय को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।

पश्चिम बंगाल: टीएमसी नेता मुकुल रॉय की विधायकी गई! हाईकोर्ट ने दलबदल कानून में किया अयोग्य घोषित
मुकुल रॉय (फाइल फोटो)।
  • बीजेपी छोड़कर TMC में शामिल हुए मुकुल रॉय ने कीमत चुकाई

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल मचाने वाला बड़ा फैसला गुरुवार को सामने आया। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। कोर्ट ने यह कदम दलबदल विरोधी कानून (Anti Defection Law) के तहत उठाया है।

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मुकुल रॉय साल 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर सीट से जीते थे। लेकिन चुनाव के कुछ ही महीनों बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया था। अब कोर्ट ने इसे दलबदल मानते हुए उनकी सदस्यता खत्म कर दी है।

क्या कहा हाईकोर्ट ने

न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली बेंच ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और बीजेपी विधायक अंबिका रॉय की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। दोनों नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने मुकुल रॉय को अयोग्य घोषित करने की मांग को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि जब कोई विधायक अपनी पार्टी बदलता है, तो वह संविधान की दसवीं अनुसूची का उल्लंघन करता है। इसलिए मुकुल रॉय की विधायकी स्वतः समाप्त मानी जायेगी।

 कौन हैं मुकुल रॉय

71 वर्षीय मुकुल रॉय पश्चिम बंगाल के अनुभवी और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं।

वे तीन बार कृष्णानगर उत्तर से विधायक रह चुके हैं (2011, 2016, 2021)।

उन्होंने 2021 में टीएमसी उम्मीदवार कौशानी मुखर्जी को हराया था।

केंद्र सरकार में वे रेल राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।

रॉय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी और बाद में ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी बन गये थे।

राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव

मुकुल रॉय पहले टीएमसी के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे।

2017 में उन्होंने ममता बनर्जी से मतभेद के बाद बीजेपी जॉइन की थी।

2021 में ममता बनर्जी की शानदार जीत के बाद दोबारा टीएमसी में लौट आए।

इस कदम से बंगाल की राजनीति में चर्चा छिड़ गई थी कि रॉय ने दलबदल कानून का उल्लंघन किया है।

अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

शुभेंदु अधिकारी (बीजेपी): “यह कानून की जीत और लोकतंत्र की रक्षा का दिन है।” टीएमसी प्रवक्ता: “हम फैसले का अध्ययन कर रहे हैं, आगे की कानूनी कार्रवाई पर विचार करेंगे।”

अब क्या होगा?

चूंकि बंगाल में विधानसभा चुनाव मार्च 2026 में प्रस्तावित हैं, इसलिए अब कोई उपचुनाव नहीं होगा। मुकुल रॉय की सीट पर अगला चुनाव विधानसभा चुनावों के साथ ही होगा।

राजनीतिक विश्लेषक: “यह फैसला दलबदल विरोधी कानून को मजबूत करता है और आने वाले चुनावों में इसका बड़ा असर होगा।”

निष्कर्ष: मुकुल रॉय का राजनीतिक सफर बंगाल की सत्ता की राजनीति में हमेशा चर्चा में रहा है। अब हाईकोर्ट के इस फैसले ने जहां बीजेपी को राहत दी है, वहीं टीएमसी के लिए यह राजनीतिक झटका माना जा रहा है। राज्य की राजनीति पर इसका असर आने वाले महीनों में जरूर देखने को मिलेगा।