देवघर त्रिकुट पहाड़ रोप-वे हादसे में फंसे 26 श्रद्धालुओं को निकाला गया, IAF का रेस्क्यू जारी
झारखंड के देवघर में त्रिकुट पहाड़ के रोप-वे पर हादसे में 24 घंटे बाद भी दो दर्जन लोग फसें हुए हैं। इन्हें निकालने के लिए आर्मी, एयरफोर्स और NDRF की टीम लगी है। MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद से सोमवार दोपहर 12 बजे दोबारा रेस्क्यू शुरू किया गया। अब तक दो दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं को बचाया गया है। एक की मौत हो गई है।
देवघर। झारखंड के देवघर में त्रिकुट पहाड़ के रोप-वे पर हादसे में 24 घंटे बाद भी दो दर्जन लोग फसें हुए हैं। इन्हें निकालने के लिए आर्मी, एयरफोर्स और NDRF की टीम लगी है। MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद से सोमवार दोपहर 12 बजे दोबारा रेस्क्यू शुरू किया गया। अब तक दो दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं को बचाया गया है। दो महिलाओं की मौत हो गई है।
देवघर त्रिकुट रोपवे हादसे में फँसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन, सेना और NDRF की टीम पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रही है।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) April 11, 2022
मैं स्थिति पर लगातार नजर रख रहा हूँ। शीघ्र ही सभी सकुशल निकाल लिए जायेंगे।
त्रिकुटपहाड़ पर बने मंदिर की तरफ रविवार की शाम चार बजे जब एक साथ 26 ट्रॉलियां रवाना कीं जिससे तारों पर अचानक लोड बढ़ा और रोलर टूट गया। तीन ट्रॉलियां पहाड़ से टकरा गईं। इससे दो ट्रॉलियां नीचे गिर गईं। इनमें सवार 12 लोग जख्मी हो गये। एगक की मौत हो गई। शेष ट्रॉलियां आपस में टकराकर रुक गईं। अभी 18 ट्रॉलियां फंसी हुई हैं, जिसमें 26 लोग सवार हैं। इनमें छोटे बच्चे और महिलाएं भी हैं।आर्मी, एयरफोर्स व एनडीआरएफ की टीम दो हेलीकॉप्टर से रेसक्यू कर रही है। आर्मी के कमांडो हवा में रस्सियों के सहारे हेलीकॉप्टर से नीचे उतर कर लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
डर खत्म करने के लिए रात भर एक दूसरे से बात करते रहे
रेस्क्यू किये गये लोगों ने बताया कि डर खत्म करने के लिए हम एक दूसरे से बात करते रहे। हम सभी पूरी रात सो नहीं पाए। भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि कैसे भी हम बच जाएं।आर्मी ने सोमवार सुबह रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। कमांडों के साथ इंडियन एयरफोर्स का हेलिकॉप्टर पहुंचा। इसमें कमांडो भी मौजूद थे। रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने से पहले हवाई सर्वे किया गया। केबिन में फंसे लोगों तक ड्रोन से खाने का पैकेट पहुंचाया गया। ये रोप-वे दो पहाड़ियों के बीच में है। नीचे 1500 फीट गहरी खाई है। इसकी वजह से रेस्क्यू में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा।
यहां सभी का प्राथमिक उपचार शुरू कर दिया गया है। ट्रॉली में फंसी 10 साल की बच्ची डॉली कुमारी को दोपहर ढाई बजे इलाज के लिए त्रिकुट पहाड़ से सदर अस्पताल लाया गया। बच्ची घटना को लेकर डरी-सहमी है।सदर अस्पताल में चिकित्सक ने बच्ची की जांच की। डॉ संजय कुमार ने बताया कि बच्ची डिहाइड्रेशन व लू की शिकार है। हल्का बुखार भी है। घटना के बारे में बात करते हुए बच्ची ने बताया कि रातभर वह डरी- सहमी रही। सुबह पानी और खाने के लिए बिस्कुट मिला।वहीं दोपहर लगभग दो बजे चार लोगों को सदर अस्पताल लाया गया था। इनमें एक महिला और तीन युवक शामिल हैं। महिला झूमा पाल समेत सौरभ दास व देवांग जय पाल बंगाल के मालदा जिले के रहने वाले हैं, जबकि वकील कुमार महतो बिहार के दरभंगा सिंघवारा के निवासी हैं। सभी को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल में एडमिट कर लिया गया है।
जवानों ने बढ़ाया हौसला' छोटे-छोटे बच्चों ने सुनाई दास्तां
ट्रॉलियां दो पहाड़ों के बीच फंसी हैं। नीचे खाई है। हेलिकॉप्टर को जैसे ही इनके पास ले जाया जाता है, तेज हवा की वजह से ये हिलने लगती हैं। बेहद संभलकर एयरलिफ्ट किया जा रहा है। कुछ लोगों को रस्सी के सहारे लोगों को निकाला गया।ट्रॉलियों में फंसे लोगों को निकालने में जुटे जवानों को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा।केबिन जमीन से करीब 2500 फीट की ऊंचाई पर है। लिहाजा ऑपरेशन शुरू करने से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया है।
हादसे में फंसे लोगों की पहचान देवघर के अमित कुमार, खुशबू कुमारी, जया कुमारी, छठी लाल शाह, कर्तव्य राम, वीर कुमार, नमन, अभिषेक, भागलपुर के धीरज, कौशल्या देवी, अन्नु कुमारी, तनु कुमारी, डिंपल कुमार व वाहन चालक, मालदा के पुतुल शर्मा, सुधीर दत्ता, सौरव दास, नमिता, विनय दास के रूप में की गई।दूसरी ओर स्थानीय युवक पन्नालाल ने जमीन की सतह से 50 फीट ऊपर लटक रहे केबिन से चार यात्रियों को रस्सी में कुर्सी बांधकर एक-एक कर नीचे उतारा है। स्थानीय युवकों की पूरी टीम भी रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना के जवानों और एनडीआरएफ की टीम का साथ दे रही है।
सीएम हेमंत सोरेन ने जताया दुख
घटना पर सीएम हेमंत सोरेन ने देवघर के त्रिकूट पर्वत के रोपवे का तार टूटने से हुए हादसे पर गहरा दुख जताया है। साहिबगंज रवाना होने से पूर्व रांची एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस हादसे के बाद युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है। एनडीआरएफ और बचाव दल द्वारा लोगों को सकुशल निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें विशेषज्ञों की भी सहायता ली जा रही है। इस हादसे पर सरकार की पूरी नजर है। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सरकार द्वारा लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं।राज्य सरकार के अनुरोध पर बचाव कार्य में जुटी है वायुसेना: राज्य सरकार के विशेष अनुरोध पर इंडियन एयरफोर्स के हेलीकाॅप्टर द्वारा फंसे यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है। आइटीबीपी, इंडियन आर्मी के करीब एक सौ जवान फिलहाल त्रिकुट पर्वत पर मौजूद हैं।
रोप-वे चलाने वाली एजेंसी होगी ब्लैक लिस्टेड
पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन अंसारी और राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी सोमवार की सुबह घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं। झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन अंसारी ने कहा है कि रोप-वे का संचालन कर रही दामोदर वैली कंपनी को काली सूची में डालकर पूरे मामले की जांच कराई जायेगी।उन्होंने कहा कि आखिर सैप कैसे टूटा, उसका मेंटेनेंस किस तरह हो रहा था, यह जांच का विषय है। हफीजुल हसन अंसारी ने कहा कि पूरे घटनाक्रम की जांच कराएंगे। आने वाले समय में पर्यटकों की सुरक्षा के सवाल पर कहा कि पहाड़ से नीचे उतरने के लिए एक वैकल्पिक सड़क बनाई जायेगी। इसका सर्वे करने को कह दिया गया है। मंत्री ने कहा कि घटना दुखद है। आखिर संचालन में तकनीकी खराबी कैसे आई, इसकी पूरी जांच होगी। घटना के बाद संचालक की पूरी टीम के भागने के सवाल पर कहा कि इसलिए तो उसे ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फंसे लोगों को बाहर निकालने और रोपवे की मरम्मत के बाद दोबारा इसके संचालन के लिए टेंडर निकाली जायेगी।
26 ट्रॉली के साथ त्रिकुट पर्वत पर चलता है रोपवे
त्रिकुट पर्वत पर संचालित रोपवे कुल 26 ट्रॉलियों के साथ चलाया जाता है। हालांकि रविवार को 24 ही चल रही थीं। 2 ट्रॉलियों का मेंटेनेंस किया जा रहा था। हादसे के समय रोपवे के 20 केबिन में 80 यात्री सवार थे। इनमें से आठ केबिन में फंसे करीब 28 लोग रविवार की रात तक ही निकाल लिये गये थे। पहाड़ के ऊपर फंसे 25 से 30 लोग रात में पैदल ही नीचे उतर गए। झारखंड का एकमात्र रोपवे देवघर के त्रिकुट पर्वत पर है। इसके माध्यम से यहां आए पर्यटक पर्वत पर जाते हैं। रविवार को रोपवे ने ज्योंही यात्रा प्रारंभ की, इसके टाप लेवल के रोप का सैप टूट गया। रोप वे का संचालन दामोदर वैली कंपनी करती है। इससे सालाना तकरीबन 80 लाख रुपये सरकार को मिलते हैं। रोपवे के शुरू होने पर एक तरफ से 12 केबिन और दूसरी तरफ से 12 केबिन एक साथ चलते हैं। घटना ऊपर से नीचे आने वाले रोपवे के सैप टूटने से हुई है। इससे रोपवे बंद हो गया। हालांकि नीचे से ऊपर की ओर जाने वाला सैप नहीं टूटा था। इस घटना में टाप के दो केबिन के यात्री ज्यादा घायल हैं।