अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा तंत्र मजबूत करने में जुटी गवर्नमेंट,शाह -सिन्हा की बैठक
अफगानिस्तान की सत्ता पर आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में संभावित खतरे के मद्देनजर आतंकियों और उनके आकाओं की रीढ़ तोड़ चुकी सरकार सुरक्षा तंत्र को दुरुस्त करने में जुटी है।इसी सिलसिले में सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ लंबी बैठक हुई।
नई दिल्ली।अफगानिस्तान की सत्ता पर आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में संभावित खतरे के मद्देनजर आतंकियों और उनके आकाओं की रीढ़ तोड़ चुकी सरकार सुरक्षा तंत्र को दुरुस्त करने में जुटी है।इसी सिलसिले में सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ लंबी बैठक हुई।बैठक में सभी सीनीयर अफसर भी मौजूद थे। बैठक में सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के साथ ही विकास योजनाओं को गति देने और कट्टरपंथी ताकतों पर लगाम लगाने पर विस्तार से चर्चा हुई।
आतंकी गतिविधियां बढ़ने की आशंका
अफगानिस्तान में तालिबान के आने से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा हालात पर फिलहाल कोई असर पड़ने की आशंका नहीं है, लेकिन भविष्य को लेकर पहले से तैयारी जरूरी है। जम्मू-कश्मीर में तालिबान या अफगानी आतंकियों का हस्तक्षेप कभी नहीं रहा। परंतु, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सीमा पार बैठे आतंकी आकाओं और घाटी में मौजूद उनके समर्थकों का दुस्साहस बढ़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।तालिबान पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की कठपुतली है। पाकिस्तान उसके सहारे कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को हवा देने की कोशिश कर सकता है। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों और लोकल पुलिस तंत्र को अत्यधिक चौकन्ना रहने और खुफिया सूचनाओं के तत्काल आदान-प्रदान और उसपर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है। सुरक्षा एजेंसियों को सीमा पार की एक-एक हलचल पर पैनी रखने को भी कहा गया है।
विकास योजना को गति देने पर बल
होम मिनिस्टर व एलजी की बैठक को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी तो नहीं दी गई है, लेकिन बताया जाता है कि बैठक में जम्मू-कश्मीर की विकास योजनाओं को गति देने पर विस्तार से चर्चा हुई। गवर्नमेंट का मानना है कि विकास योजनाओं के सहारे युवाओं को पाकिस्तानी दुष्प्रचार से बचाया जा सकता है। पंचायत व स्थानीय निकाय, बीडीसी और डीडीसी चुनावों से आम लोगों की विकास प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित हुई है। इसका सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है।