Bhagalpur Riots : भतौड़िया कांड में ADJ कोर्ट का बड़ा फैसला, 33 साल बाद जिंदा बचे सभी 10 आरोपित बरी

बिहार में भागलपुर दंगा से जुड़े भतौड़िया कांड मामले में 33 साल बाद सभी जिंदा 10 आरोपित बरी। भागलपुर दंगे से जुड़े इस केस में ADJ ज्योति कुमार की अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला।

Bhagalpur Riots : भतौड़िया कांड में ADJ कोर्ट का बड़ा फैसला, 33 साल बाद जिंदा बचे सभी 10 आरोपित बरी
गवाहों के मुकरने से कमजोर हुआ केस।

भागलपुर। बिहार में 1989 के भागलपुर दंगे के दौरान हुए चर्चित भतौड़िया कांड में सोमवार को बड़ा फैसला आया है। ADJ (अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश) ज्योति कुमार की कोर्ट ने इस मामले में जिंदा बचे सभी 10 आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
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जिला अपर सत्र न्यायाधीश-11 ज्योति कुमार कश्यप की कोर्ट ने जिन आरोपितों को बरी किया उनमें लक्ष्मण मंडल, गुरुदेव यादव, विजय यादव, योगेंद्र यादव, श्याम मंडल, उचित यादव, प्रसादी यादव, प्रकाश यादव, ब्रह्मदेव यादव और प्रमोद मंडल शामिल हैं। मामले में सरकार की तरफ से विशेष अपर लोक अभियोजक अतिउल्लाह और बचाव पक्ष से वरीय अधिवक्ता सिकंदर पांडेय ने बहस में भाग लिया। केस में कुल तीन गवाहों ने गवाही दी थी। तीनों गवाहों में एक ने भी घटना का समर्थन नहीं किया था। सभी अपने बयान से मुकर गये।
कोर्ट में मौजूद आरोपितों को भी तीनों में किसी गवाहों ने पहचाना नहीं था। फर्द बयान प्रूव ही नहीं हो सका था। हालांकि, अभियोजन पक्ष से पटना से आये विशेष लोक अभियोजक अतिउल्लाह ने भी पक्ष रखते हुए दलील दी थी कि कि होस्टाइल विटनेस एडमिशेबल समझा जाए, क्योंकि दंगा संगठित अपराध की श्रेणी में आता है। हजार लोग मारे गये थे। इस केस में स्पेशल एक्ट अप्लाई ही नहीं होगा।केस के आईओ ने पुराने केस की केस डायरी के साथ कोर्ट में चार्जशीट समर्पित नहीं किया है। विशेष लोक अभियोजक अतिउल्लाह ने यह भी दलील दी थी कि सेशन केस 187-90 में इन्हीं आरोपितों को तत्कालीन एडीजे तृतीय की अदालत में उम्रकैद की सजा सुनायी जा चुकी है। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाते हुए दस आरोपितों को बरी कर दिया है।
भतौड़ियां गांव में 26 अक्टूबर 1989 को बलवाइयों ने घरों को लगा दी थी आग
नाथनगर पुलिस स्टेशन एरिया के भतौड़िया गांव में लगभग दो हजार बलवाइयों ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों को घेर आग के हवाले कर दिया था। तब जैसे-तैसे लोगों ने भाग कर जान बचायी थी। उस घटना में एक पुरुष और तीन महिलाओं की जलने से मौत हुई थी। घटना की जानकारी पर पहुंची पुलिस पार्टी पर बलवाइयों ने हमला कर दिया था। जिसके बाद पुलिस पार्टी की जवाबी कार्रवाई में एक बलवाई मारा गया था। पुलिस जवानों के राइफल भी छीनने की कोशिश बलवाइयों ने की थी। घटना के दौरान बलवाइयों ने लूटपाट भी की थी।मामले में नाथनगर पुलिस स्टेशन में तैनात तत्कालीन एएसआई नरेंद्र कुमार के लिखित बयान पर एफआइआर दर्ज किया गया था। इन्विस्टीगेशन के क्रम में पुलिस ने केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। जस्टिस एनएन सिंह न्यायिक जांच आयोग के आदेश पर केस री-ओपन हुआ था।