बिहार: दो दिनों की EOU रिमांड पर अभिषेक अग्रवाल, अब फर्जी जस्टिस उगलेगा राज

बिहार आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने फर्जी चीफ चीफ जस्टिस बन डीजीपी को काल करने वाले जालसाज अभिषेक अग्रवाल से पूछताछ के लिए दो दिनों की रिमांड पर लिया है। अब अभिषेक से विस्तार से पूरे षड्यंत्र के बारे में पूछताछ की जायेगी। उससे पूछा जाएगा कि उसने डीजीपी के अलावा और किन-किन अफसरों को किस-किस फर्जी नाम से काल किया था। 

बिहार: दो दिनों की EOU रिमांड पर अभिषेक अग्रवाल, अब फर्जी जस्टिस उगलेगा राज

पटना। बिहार आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने फर्जी चीफ चीफ जस्टिस बन डीजीपी को काल करने वाले जालसाज अभिषेक अग्रवाल से पूछताछ के लिए दो दिनों की रिमांड पर लिया है। अब अभिषेक से विस्तार से पूरे षड्यंत्र के बारे में पूछताछ की जायेगी। उससे पूछा जाएगा कि उसने डीजीपी के अलावा और किन-किन अफसरों को किस-किस फर्जी नाम से काल किया था। 

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बोरिंग रोड के रोस्टरेंट का सीसीटीवी फुटेज होगा चेक
EOU अभिषेक से पूछेगी कि आइपीएस अफसरों की बीच उसकी पैठ कैसे बनी।  उसमें कौन-कौन अन्य आइपीएस शामिल है, इस बारे में भी पूछताछ कर जांच टीम जानकारी लेगी। टाइल्स बिजनसमैन और जालसाज अभिषेक अग्रवाल ने आइपीएस आदित्य कुमार के साथ बोरिंग रोड के जिस रेस्टोरेंट में बैठकर फर्जी काल की साजिश रची, उसका सीसीटीवी फुटेज खंगाला जा रहा है। जांच टीम ने रेस्टोरेंट जाकर वहां के स्टाफ से पूछताछ कर अभिषेक की बात का सत्यापन किया। इसके बाद सीसीटीवी फुटेज चेक करने के लिए डीवीआर अपने साथ ले आई है।

DGP जालसाज को कहते थे सर
हाईकोर्ट का फर्जी चीफ जस्टिस बन डीजीपी को काल करने वाले अभिषेक अग्रवाल ने पूछताछ में दावा किया कि उसने अपनी बातचीत से डीजीपी एसके सिंघल को यह विश्वास दिला दिया था कि वह असली चीफ जस्टिस है। उसका दावा है कि बिहार के डीजीपी उसे सर कहते थे। इसका उल्लेख EOU के द्वारा दर्ज FIR में भी है। FIR के अनुसार, अभिषेक ने डीजीपी के सरकारी मोबाइल नंबर पर पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का छद्म रूप धारण करते हुए मोबाइल नंबर 9709303397 से नार्मल एवं वाट्सएप काल की थी। अभिषेक ने दावा किया कि इस दौरान उसने पूरे रौब-दाब के साथ डीजीपी से बात करते हुए अपने दबाव में लिया, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि मैं चीफ जस्टिस, पटना हाईकोर्ट हूं। इसी दौरान आइपीएस आदित्य कुमार ने पुलिस हेडक्वार्टर की कई गोपनीय रिपोर्ट हार्ड कापी में उपलब्ध कराई। अभिषेक ने पूछताछ में दावा किया कि डीजीपी के द्वारा मेरे छद्म रूप को असली मानते हुए मुझे सर-सर कहकर संबोधित किया जाता था। मेरी नाराजगी दिखाने पर डीजीपी द्वारा मुझसे मोबाइल पर वाट्सएप के माध्यम से समय लेकर काल भी की गई।ईओयू के अनुसार, अभिषेक अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत किए गए मोबाइल नंबर 9709303397 और मोबाइल नंबर 8051690779 में जमा डाटा के अवलोकन से अभिषेक अग्रवाल द्वारा बताई गई बातों की पुष्टि होती है। इस मामले में मोबाइल व सिम की फारेंसिंक जांच भी कराई जा रही है।

जुड़ती गई कड़ी और दबोचा गया जालसाज
ईओयू ने सबसे पहले वोडाफोन कंपनी के मोबाइल नंबर 9709303397 से धारक का नाम-पता निकलवाया। इसमें सिम कार्ड राहुल कुमार, दीवान मोहल्ला, पटना के नाम से जारी होने की जानकारी मिली। राहुल ने पूछताछ में बताया कि वह पटना सिटी के खाजेकलां थाना अंतर्गत हमाम गली में मुर्गन कम्युनिकेशन दुकान में पार्ट टाइम काम करता है। अगस्त में उसने अपने नाम से सिम लेने के लिए दुकान मालिक गौरव राज को बोला तो आधार से लिंक कर अंगूठे का निशान ले लिया, मगर सिम नहीं दिया। पूछने पर बताया कि सिम एक्टिव नहीं हो सका। ऐसा तीन-चार बार हुआ। इसके बाद राहुल के साथ जांच टीम गौरव राज के पास पहुंची। उसने बताया कि उसके दोस्त शुभम कुमार ने 2500 रुपये की रेट से दो सिम के लिए पैसा दिया था।इसके लिए उसने दुकान में काम करने वाले राहुल के नाम से सिम निकालकर शुभम को दे दिया। इसके बाद जांच टीम गौरव राज को लेकर शुभम के दीवान मोहल्ला स्थित आवास पहुंची। शुभम ने बताया कि वह बोरिंग रोड क्रासिंग के पास मिस्टर गैजेट मोबाइल शाप के मालिक राहुल रंजन जायसवाल के यहां काम करता है और उसी के कहने पर अपने दोस्त गौरव राज से सिम लिया था। उसने दो हजार में राहुल रंजन जायसवाल को यह सिम बेच दिया।
मोबाइल शॉप के स्टाफ के नाम पर 5000 में खरीदे दो सिम
अभिषेक अग्रवाल DGP एसके सिंघल को वाट्सऐप कॉल करता। डीजीपी फोन उठाते ही उसे सर-सर बोलते थे। इस दौरान अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को 40 से 50 बार कॉल किया, लेकिन उन्हें पता तक नहीं चला। एडीजी जेएस गंगवार के शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मामला ठगी और धोखाधड़ी का है। डीजीपी की तरफ ईओयू को सूचना दी गई थी, इस पर पांच सदस्यीय टीम बनाई गई। कई तरह की जांच अलग-अलग यूनिट के मध्यम से चल रही है। सिम मोबाइल शॉप पर काम करने वाले 17 साल के लड़के के नाम पर लिये गये थे। उसके लिए पांच हजार रुपये दिये थे।
डीजीपी पर जताता था धौंस
अभिषेक अपने ऊंचे रसूख का हवाला देकर लोगों को अपने झांसे में लेता था। अक्सर बड़ी गाड़ियों में चलने वाला अभिषेक अपने आपको बिहार के टॉप मोस्ट आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का करीबी बताता था। नकली चीफ जस्टिस बनकर डीजीपी को भड़काता था। यहां तक कि डीजीपी अक्सर उसे सर-सर कहते थे। पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि कई बार उसने डीजीपी पर नाराज होकर धौंस दिखाया था। उसके बाद अवैध शराब के मामले में डीजीपी ने आईपीएस अफसर आदित्य कुमार क्लीनचिट दिया गया था।अभिषेक अपनी पहुंच बिहार के एक्स डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद तक भी बताता था और कहता था कि वह उनके पड़ोसी हैं। ईओयू ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो उसमें एक दिलचस्प कहानी सामने आई कि जिस नंबर से अभिषेक ने डीजीपी को फोन किया था, वह नंबर एक नौकर का है।
ऐसे हुई थी पूरी सेटिंग 
राहुल कुमार पटना के दीवान मोहल्ला झाऊगंज का रहने वाला है। सात साल पहले उसके पिता शत्रुघ्न ठाकुर को लकवा मार गया था। राहुल की मां मोहल्ले में ही लोगों के घर चौका बर्तन करती थी। चुंकि, राहुल की उम्र 17 साल है। उसने हाल में ही मैट्रिक की एग्जाम पास की है तो, उसने भी अपने घर को चलाने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के सीएसपी का काम करने लगा। राहुल पार्ट टाइम में मुर्गन कम्युनिकेशन मोबाइल की दुकान पर भी काम कर रहा था।एक दिन अचानक राहुल के मोबाइल पर बिहार के आर्थिक अपराध इकाई के तरफ से फोन आया और उससे पूछा गया कि क्या वह राहुल है, तो उसने बताया हां। उसके बाद ईओयू  के लोग लोगों ने राहुल से पूछताछ की तो पता चला राहुल के नाम पर दो मोबाइल सिम निर्गत है और उसका इस्तेमाल कहीं और हो रहा है। राहुल जब उसे पता चला कि उसके मोबाइल सिम से बिहार के डीजीपी को फोन गया था। वह भी पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन कर तो वह परेशान हो गया। 

राहुल ने ईओयू अफसरों को बताया किवह  गौरव राज के दुकान पर पार्ट टाइम नौकरी करता था। अगस्त के महीने में गौरव ने उसके आधार कार्ड को लिंक करके उसके अंगूठा का निशान लिया, लेकिन सिम नहीं दिया। गौरव ने राहुल को बताया कि सिम एक्टिवेट नहीं हो सका है। राहुल ने EOU के अफसरों के सामने यह कहा कि उसके साथ यह दो-तीन बार गौरव ने ऐसा किया है।EOU की टीम राहुल को लेकर गौरव के पास पहुंची। गौरव ने एक-दूसरे मित्र शुभम का नाम बताया और उसने कहा की पांच हजार रुपये के एवज में उसने दो सिम शुभम को दिए हैं। आर्थिक अपराध इकाई की टीम राहुल और गौरव को लेकर शुभम के पास पहुंची तो, शुभम ने बताया कि वह रमेश जायसवाल के मोबाइल की दुकान बोरिंग रोड में काम करता है और रमेश जायसवाल ने उससे सिम की मांग की थी और उसने शुभम से सिम की मांग की थी। शुभम ने गौरव राज से सिम मांगा था। गौरव ने राहुल के आधार का गलत इस्तेमाल करके सिम निकाला था।
राहुल रंजन जायसवाल के पास जब ईओयू की टीम पहुंची तो राहुल रंजन जायसवाल ने बताया कि अभिषेक अग्रवाल उसके रेगुलर कस्टमर हैं। और समय-समय पर वह आकर मोबाइल लेते रहते हैं। उन्होंने ही दो सिम के साथ दो मोबाइल देने को बोला था। उन्होंने यह भी कहा था कि सिम किसी और व्यक्ति के नाम से निकलवा कर दे देना। एक सीनियर पुलिस अफसर को देना है, यह वही पुलिस ऑफिसर हैं जो मेरे साथ तुम्हारी दुकान पर मोबाइल लेने आते रहते हैं। राहुल ने बताया कि रेगुलर कस्टमर जानकर उसने मोबाइल और सिम उन्हें दे दिए थे।
IPS को बचाने के लिए रचा षड्यंत्र
ईओयू की टीम इन पांचों को लेकर पटना के बोरिंग रोड नागेश्वर कॉलोनी के निलय अपार्टमेंट में रहने वाले अभिषेक अग्रवाल के पास पहुंची। पहले तो अभिषेक अग्रवाल ने आनाकानी किया।। उसके बाद जब टीम ने सख्ती दिखाई तो अभिषेक टूट गया। उसने बताया कि आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार उसके अभिन्न मित्रों में से हैं। उनको बचाने के लिए ही उसने यह पूरा षड्यंत्र रचा था।
DGP ने IPS से जुड़े केस खत्म भी कर दिए
बिहार कैडर के IPS आदित्य कुमार ने अपने ऊपर शराबबंदी से जुड़े केस को खत्म कराने के लिए अपने दोस्त को हाईकोर्ट का फर्जी चीफ जस्टिस बना दिया। इस फर्जी चीफ जस्टिस ने DGP एसके सिंघल को 40 से 50 बार फोन कर केस खत्म करने के लिए कहा। केस खत्म होने के बाद खुफिया इनपुट से मामले का खुलासा हुआ।
दागी अफसर रहे हैं आइपीएस आदित्य 
बिहार कैडर के 2011 बैच के आईपीएस अफसर का विवादों से पुराना नाता रहा है। विदा और उनका चोली-दामन का रिश्ता रहा है। एक आईपीएस अफसर के रूप में वे जहां भी पोस्टेड रहे, वे दागी ही रहे हैं। दरभंगा व बेगुसराय में भी लगे थे आरोप।
 अभिषेक पहले जा चुका है जेल
अभिषेक अलग-अलग लोगों को अलग-अलग आदमी बन कर फोन कर काम निकलवाया करता था। अभिषेक ने कई बार होम मिनिस्टर का PA बनकर भी अफसरों को फोन किया था। अभिषेक की पहुंच बड़े-बड़े नेताओं के साथ ही कई अफसरों तक भी है। 2018 में भी पुलिस ने अभिषेक को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा था। इसके पहले 2014 में उसने बिहार के एक एसपी को भी ब्लैकमेल किया था। उस समय एसपी के पिता से मोटी रकम की भी वसूली की थी। इसके अलावा एक अन्य IPS अफसर से भी दो लाख की ठगी में इसका नाम आया था। अभिषेक अग्रवाल पर बिहार में जालसाजी के कई मामले दर्ज हैं। भागलपुर में भी अभिषेक पर मामला दर्ज है। अभिषेक बड़े-बड़े अफसर और नेताओं के साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करता था। जिससे लोगों के बीच इसकी धमक बनी रहे। इस बार इसने फ्रॉड करने के लिए हाईकोर्ट के एक सीनियर जज के साथ फोटो खिंचवाकर वॉट्सऐप DP में लगा रखी थी, ताकि ऐसा लगे कि यह वास्तव में कोई जज है।अभिषेक ने फेसबुक पर बड़े नेता और अफसरों के साथ ऐसी ही कई तस्वीरें पोस्ट की हैं। जिस IPS अफसर को बचाने के लिए वह DGP को फोन किया करता था उसे क्लीनचिट भी मिल गई है। उस IPS अफसर के खिलाफ शराब के एक मामले में गया में केस दर्ज हुआ था।