बिहार: BJP बनी सबसे बड़ी पार्टी, मांझी और निर्दलीय अलग हुए तो भी NDA गवर्नमेंट रहेगी सुरक्षित

बिहार में VIP के तीनों एमएलए राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव के बीजजेपी में शामिल होने से के बड़ा पॉलिटिकल उलटफेर हुआ है। वीआईपी एमएलए के बीजेपी में विलय के बाद बिहार विधानसभा में दलों का गणित बदल गया है। अब BJP स्टेट में सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है। अब जीतनराम मांझी की पार्टी व  निर्दलीय अलग हुए तो भी NDA गवर्नमेंट सुरक्षित रहेगी।

बिहार: BJP बनी सबसे बड़ी पार्टी, मांझी और निर्दलीय अलग हुए तो भी NDA गवर्नमेंट रहेगी सुरक्षित

पटना। बिहार में VIP के तीनों एमएलए राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव के बीजजेपी में शामिल होने से के बड़ा पॉलिटिकल उलटफेर हुआ है। वीआईपी एमएलए के बीजेपी में विलय के बाद बिहार विधानसभा में दलों का गणित बदल गया है। अब BJP स्टेट में सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है। अब जीतनराम मांझी की पार्टी व  निर्दलीय अलग हुए तो भी NDA गवर्नमेंट सुरक्षित रहेगी।

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बिहार विधानसभा में BJP एमएलए की संख्या 74 से बढ़कर 77 हो गयी है। वहीं 75 एमएलए वाली RJD अब स्टेट में  में दूसरे नंबर पर आ गई है। इस तरह बिहार विधानसभा में एनडीए के सहयोगी मुकेश सहनी की वीआईपी का अस्तित्व खत्म हो गया है। वीआईपी के चार एमएलए थे, जिनमें मुसाफिर पासवान के निधन के बाद तीन ही बचे थे।

 बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यह घर वापसी

वीआईपी के तीनों एमएलए मिश्री लाल यादव, राजू सिंह और स्वर्णा सिंह ने बीजेपी मुख्यालय में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सदस्यता ग्रहण कराई। इस अवसर पर डिप्टी सीएम तारकिशोर सिंह और रेणु देवी के साथ मिनिस्टर जीवेश कुमार समेत कई एमएलए भी मौजूद थे। तीनों एमएलए को पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यह घर वापसी है। उन्होंने कहा कि यह लोग बीजेपी के टिकट से लड़ने जा रहे थे, एक समझौते के तहत वीआईपी के टिकट पर लड़े थे।

जायसवाल ने कहा कि पिछले दिनों जो भी घटनाक्रम हुए उससे तीनों एमएलए सहमत नहीं थे। यह लोग चाहते थे कि इनकी घर वापसी हो जाए। इसी के बाद इनके बीजेपी में शामिल करने पर विचार किया गया।तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि वीआईपी की विधायक दल की नेता स्वर्णा सिंह ने अपने दल का बीजेपी में विलय कर लिया है। उनके विलय को विधानसभा अध्यक्ष ने भी मंजूरी दे दी है। रेणु देवी ने कहा कि वीआईपी में हमारे ही लोग थे। उन लोगों को हमने ही वीआईपी के टिकट पर मैदान में उतारा था।

बोचहां में उपचुनाव
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में शामिल वीआईपी के चार कैंडिडेट अलीनगर से मिश्रीलाल यादव, गौराबौराम से स्वर्णा सिंह,  साहेबगंज से राजू सिंह और बोचहां से मुसाफिर पासवान जीते थे। मुसाफिर पासवान की मृत्यु के बाद बोचहां में 12 अप्रैल को उपचुनाव है। इस उपचुनाव को लेकर ही वीआईपी और बीजेपी आमने-सामने थी। 
उत्तर बिहार से हैं तीनों एमएलए
तीनों एमएलए उत्तरी बिहार से हैं। राजू सिंह मुजफ्फरपुर जिला में साहेबगंज,स्वर्णा सिंह दरभंगा जिले के गौड़ाबौराम व मिश्रीलाल यादव दरभंगा जिला में अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं। तो राजू सिंह और स्वर्णा सिंह राजपूत बिरादरी तथा मिश्री लाल पिछड़ा वर्ग में शामिल यादव बिरादरी से आते हैं। 

बोचहां विधानसभा उपचुनाव में BJP व VIP आमने-सामने
बोचहां विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने बेबी कुमार को कैंडिडेट बनाया है। मुकेश सहनी ने एक्स मिनिस्टर रमई राम की पुत्री गीता कुमारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। एमएलसी चुनाव में भी एनडीए में साहनी को दरकिनार कर बीजेपी व जेडीयू ने आपस में सीट बांट लिया है। बीजेपी ने अपने कोटे की एस सीट सेंट्रल मिनिस्टर पशुपति पारस की पार्टी को दी है।
विधानसभा में अब दलगत स्थिति 
बीजेपी : 77
आरजेडी : 75
जेडीयू :45
कांग्रेस : 19
माले :12
एआईएमआईएम : पांच
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा :चार
सीपीएम : दो
सीपीआई :दो
निर्दलीय (जेडीयू को समर्थन) : एक
रिक्त : एक 

अब 21 जुलाई तक सहनी को मिनिस्टर बने रहना मुश्किल
अब VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी एनडीए से आउट होंगे? पशुपालन मिनिस्टर सहनी का MLC का कार्यकाल 21 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। विनोद नारायण झा, बेनीपट्टी से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद विधान परिषद की सदस्यता छोड़ दी थी। इसी सीट पर सहनी को BJP ने MLC बनाया था। जबकि वह छह साल यानी पूरे टर्म वाली सीट चाहते थे। बीजेपी ने उन्हें 'छोटे कूपन वाली सीट' देना ही मुनासिब समझा।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कोटे की 11 सीट VIP को दी थी
विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने कोटे में आई 121 सीट में से 11 सीट VIP को दी थी। यह बीजेपी का अति पिछड़ा कार्ड था। 11 में से चार सीट पर VIP को जीत भी मिली। इसी के साथ सहनी की ताकत राजनीति में बढ़ गई। उनको वह विभाग दिया गया जिस मछुआरे की लड़ाई वे लड़ते रहे और आरक्षण की मांग करते रहे। पहली बार मिनिस्टर बने।अब बदलती राजनीति में 21 जुलाई के बाद सहनी का मंत्री बने रहना भी मुश्किल हो सकता है। बीजेपी उन्हें हटाकर अति पिछड़ा वोट बैंक को आहत नहीं करना चाहती। सहनी इससे पहले क्या कदम उठाते हैं, यह उनके राजनीतिक विवेक पर निर्भर करेगा। वे 21 जुलाई के पहले मिनिस्टर का पोस्ट छोड़ देंगे या फिर टर्म खत्म होने का इंतजार कर सकते हैं। दोनों का अलग-अलग मैसेज जायेगा।