बिहार: सृजन घोटाले के का आरोपित को भागलपुर में सीबीआइ ने पकड़ा, पटना में हो रही पूछताछ
बिहार से सबसे बड़े घोटाले भसृजन घोटाले के आरोपित डीआरडीए राजस्व विभाग के सस्पेंड क्लर्क अरुण रजक को तिलकामांझी को शुक्रवार को सीबीआई ने अरेस्ट कर लिया है। सीबीआइ ने अरुण को तिलकामांझी पुलिस स्टेशन एरिया के प्राणवती लेन गली संख्या आठ स्थित आवास से दबोचा है।
- राजस्व विभाग के सस्पेंड क्लर्क है अरूण रजक
पटना। बिहार से सबसे बड़े घोटाले भसृजन घोटाले के आरोपित डीआरडीए राजस्व विभाग के सस्पेंड क्लर्क अरुण रजक को तिलकामांझी को शुक्रवार को सीबीआई ने अरेस्ट कर लिया है। सीबीआइ ने अरुण को तिलकामांझी पुलिस स्टेशन एरिया के प्राणवती लेन गली संख्या आठ स्थित आवास से दबोचा है।
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अरूण पर कैश बुक में छेड़छाड़ करने का आरोप है। सदर अस्पताल में मेडिकल जांच कराने के बाद आरोपित को सीबीआइ की टीम पटना लेकर चली गई। अरबों के सृजन घोटाले में भागलपुर डीआरडीए से 79 करोड़ रुपये की अवैध निकासी में बतौर क्लर्क अरुण कुमार खलनायक की भूमिका में सामने आया था। डीआरडीए के एक्स क्लर्क अरुण रजक के विरुद्ध तब सस्पेंड के बाद डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग चली थी। अरुण कुमार के विरुद्ध सीबीआइ के डीआईजी और डीएसपी के प्रतिवेदन के आलोक में 12 जून 2018 को केस दर्ज किया गया था। उस समय पीसी एक्ट में मामला दर्ज किया गया था। इसलिए तत्काल डीएम ने डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग चलाने की कवायद शुरू कर दी थी।डीएम ने पूर्व में अरुण रजक के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति सीबीआई को दे दी थी। आपदा प्रबंधन शाखा में कार्यरत अरुण कुमार ने हेराफेरी में तब अजब-गजब का खेल खेला था। सीबीआइ पूर्व में कई बार अरुण कुमार से पूछताछ कर चुकी थी। सृजन घोटाला की जांच सीबीआइ कर रही है।
घोटाले की जब पड़ी नींव
सृजन घोटाले की मास्टर माइंड रहीं मनोरमा देवी 1991 में पति अवधेश कुमार की मृत्यु के बाद राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना शुरू किया था। पति रांची में भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान के वरीय वैज्ञानिक थे। मनोरमा मधुबनी के मिथिला दीप गांव की रहने वाली थी। बाद में रांची से अपने तीन बेटों और दो बेटियों के साथ सबौर स्थित अपने पिता के पास लौट आई थी। यहां उनके पिता 1996 में सिलाई, बिंदी, अगरबत्ती, सत्तू जैसी छोटी आय वाली सृजन गतिविधियों में खुद की अगुवाई में स्थानीय समाज की महिलाओं को गोलबंद किया। इसके बाद सहकारिता विभाग में सृजन महिला विकास सहकारी समिति के नाम से संस्था बना रजिस्टर्ड कराया था।
मनोरमा ने कई आइएएस, आइपीएस, राजनेता, जिला प्रशासन से जुड़े पदाधिकारी, क्लर्क, बैंक अधिकारी, ठेकेदार, बिल्डर की सशक्त सिंडिकेट तैयार कर ली। मनोरमा अपने जीवन काल में सभी झंझावातों को दूर भगा घोटाले पर जुगाड़ तंत्र से पर्दा डालती रही थी। शुरुआत में, उनके पास पेटीकोट और ब्लाउज सिलने के लिए कुछ साड़ी मशीन थीं और किराये के घर में काम करती थीं। धीरे-धीरे उसने संपर्क विकसित करना शुरू कर दिया। वह अपने संगठन की सदस्यता बढ़ाते हुए छोटे-मोटे घरेलू और कुटीर उत्पाद वाली संस्था को ऐसा बैंक बना डाला जहां सरकारी योजनाओं की करोड़ों-अरबों की रकम जमा होने लगी थी।