Bihar Caste Census Economic Survey Report : सवर्णों में भूमिहार और पिछड़ों में यादव सबसे गरीब
बिहार में जातीय गणना के बाद नीतीश सरकार ने आर्थिक सर्वे रिपोर्ट भी पेश कर दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार सवर्णों मेंभूमिहार सबसे गरीब हैं। पिछड़ों में यादव समुदाय में गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है।
पटना। बिहार में जातीय गणना के बाद नीतीश सरकार ने आर्थिक सर्वे रिपोर्ट भी पेश कर दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार सवर्णों मेंभूमिहार सबसे गरीब हैं। पिछड़ों में यादव समुदाय में गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है।
बिहार में जातिवार गणना के आधार पर आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट भी पेश कर दी गई है। विधानसभा में पेश की गई इस रिपोर्ट में कई चौंकानेवाले आंकड़े भी सामने आये हैं। स्टेट में प्रभुत्व वाली जातियों की भी बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रही है। रिपोर्ट के अनुसार सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीबों की संख्या भूमिहार बिरादरी में है, जहां 27.58 परसेंट लोग गरीब हैं। पिछड़ों में 35 परसेंट की संख्या के साथ यादव बिरादरी में गरीबों का बड़ा आंकड़ा है।कुशवाहा समाज में 34 परसेंट लोग गरीब हैं। कुर्मियों में 29 परसेंट गरीबी रेखा से नीचे हैं। पिछड़ों में सबसे ज्यादा गरीब नाई हैं, जिनकी 38 परसेंट आबादी 6000 रुपये से कम में जीवनयापन कर रही है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 परसेंट गरीब परिवार हैं। अनुसूचित जाति में 42.93 परसेंट गरीब परिवार हैं।अनुसूचित जनजाति में 42.70 परसेंट परिवार गरीबी के दलदल में फंसे हैं।
मुसहर सबसे गरीब
बिहार में सबसे गरीब मुसहर समुदाय से हैं। इस बिरादरी के 54 परसेंट लोग गरीबी में जीनव बसर कर रहे हैं। अत्यंत पिछड़ा वर्ग में सबसेज्यादा 38 परसेंट नाई गरीब हैं। दूसरे नंबर पर नोनिया हैं, जिनमें 35 परसेंट लोग गरीब हैं। कहार, धानुक और मल्लाह समुदायों की भी 34 परसेंट आबादी गरीब है। 33 परसेंट कुम्हार, 29.87 परसेंट तेली और 33 परसेंट के करीब कानू भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहे हैं।
सवर्णों में कायस्थों की सबसे अच्छी
बिहार में सवर्णों में सबसे अच्छी स्थिति कायस्थों की है, जिनकी महज 13.83 परसेंट आबादी ही गरीब है। 25 परसेंट ब्राह्मण परिवार गरीब हैं। राजपूतों में भी यह औसत 24.89 परसेंट यानी करीब 25 का ही है। मुस्लिम सामान्य वर्ग में शामिल शेख 25 परसेंट गरीब हैं। पठानों में यह आंकड़ा 22 परसेंट है। सैयद तो 17 परसेंट ही गरीब हैं। सबसे ज्यादा गरीब भूमिहार जाति से हैं। भूमिहार में 27 परसेंट लोग गरीब हैं। बिहार में भूमिहारों को ताकतवर जाति में शुमार किया जाता है।
बिहार में किस जाति में कितने अमीर-गरीब? Caste Based Survey के आर्थिक आंकड़ों को आसान भाषा में यहां समझें
Bihar Caste Census Economic Survey Full Report बिहार में जाति आधारित गणना (Caste Based Survey) के तहत जुटाए गए आर्थिक आंकड़े सामने आए हैं। नीतीश सरकार इन आंकड़ों की रिपोर्ट सदन में रखेगी। इनसे जान सकते हैं कि प्रदेश में किस जाति में कितने लोग गरीबी में जीवन जी रहे हैं। प्रदेश सरकार दावा कर चुकी है कि इन आंकड़ों को आधार बनाकर वह अपनी योजनाएं बनायेगी।
बिहार में किस जाति में कितने अमीर-गरीब?
बिहार में सामने आये आर्थिक आंकड़ों के अनुसार जिन परिवारों की आय छह हजार रुपये से कम है, उन्हें गरीब माना गया है। बिहार में सभी जातियों के परिवारों की कुल संख्या 2,76,68,930 है। इनमें से कुल गरीब परिवारों की संख्या 94,42,786 है। यह सभी समाज के कुल परिवारों की संख्या का 34.13 परसेंट है।
प्रदेश में सामान्य वर्ग (सवर्ण) के कुल परिवारों की संख्या 43,28,282 है। इनमें से 25.09 परसेंट यानी 10,85,913 परिवार गरीब हैं। backward class पिछड़ा वर्ग के कुल परिवारों की संख्या 74,73,529 है। इनमें से 33.16 परसेंट यानी 24,77,970 परिवार गरीब हैं। extremely backward class अत्यंत पिछड़ा वर्ग के कुल 98,84,904 परिवार हैं। इनमें से 33.58 परसेंट परिवार गरीब हैं। इनकी संख्या 33,19,509 है। scheduled caste अनुसूचित जाति के कुल परिवार 54,72,024 हैं। इनमें से 23,49,111 परिवार गरीब हैं, जो कि कुल संख्या का 42.93 परसेंट है। scheduled tribe प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के परिवारों की कुल संख्या 4,70,256 है। इनमें से 2,00,809 परिवार गरीब हैं। यह कुल संख्या का 42.70 परसेंट है। other castes अन्य जातियों के परिवारों की कुल संख्या 39,935 है। इसमें से 9,474 परिवार गरीब हैं। यह कुल संख्या का 23.72 परसेंट है।
छह हजार से कम आय वाले 94 लाख परिवार गरीब
बिहार में Bihar Caste Census Economic Survey में छह हजार रुपये से कम मासिक आय वाले परिवारों को गरीब माना गया है। प्रदेश की एक बड़ी आबादी गरीब है। राज्य में परिवारों की कुल संख्या 2,76,68,930 है। छह हजार रुपये से कम आय वाले कुल परिवारों की संख्या 94,42,786 है। यह कुल संख्या का 34.13 परसेंट है।वहीं, छह रुपये से 10 हजार रुपये तक की मासिक आय वालों की संख्या 81,91,390 है। यह कुल संख्या का 29.61 परसेंट है। 10 हजार रुपये से 20 हजार रुपये मासिक आय वालों की संख्या 49,97,142 है। यह कुल संख्या का 18.06 परसेंट है। प्रदेश में महीने में 20 हजार रुपये से 50 हजार रुपये तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 27,20,870 है। यह कुल संख्या का 9.83 परसेंट है। 50 हजार रुपये से अधिक मासिक आय वाले परिवारों की संख्या 10,79,466 है। यह कुल संख्या का 3.90 परसेंट है।प्रदेश में कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिन्होंने अपनी आय की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। ऐसे परिवारों की संख्या 12,37,276 है। यह कुल संख्या का 4.47 परसेंट है।
सवर्णों में भूमिहार सबसे ज्यादा गरीब कौन और कायस्थ सबसे अमीर
बिहार सवर्णों परिवारों की कुल संख्या 43,28,828 है। इनमें से 25.09 परसेंट यानी 10,85,913 परिवार गरीब हैं। सवर्णों में भी भूमिहार सबसे ज्यादा गरीब हैं। इनकी परिवारों की कुल संख्या 8,38,447 है। इसमें से 2,31, 211 परिवार यानी 27.58 परसेंट गरीब हैं। इनके बाद गरीब परिवारों के परसेंटेज के क्रम में देखें तो शेख, ब्राह्मण, राजपूत, पठान (खान), सैयद और फिर कायस्थ हैं। शेख की संख्या 10,38,888 है। इनमें से 25.84 परसेंट यानी 2,68,398 परिवार गरीब हैं। ब्राह्मण परिवारों की कुल संख्या 10,76,563 है। इनमें से 25.32 परसेंट यानी 2,72,576 परिवार गरीब हैं।राजपूतों की संख्या 9,53,784 है। इनमें से 24.89 परसेंट यानी 2,37,412 परिवार गरीब हैं। पठान (खान) परिवार प्रदेश में 1,89,777 हैं। इनमें से 22.20 परसेंट यानी 42,137 परिवार गरीब हैं। सैयद की संख्या 59,838 है। इनमें से 17.61 परसेंट यानी 10,540 परिवार गरीब हैं। कायस्थ 1,70,985 हैं। इनमें से 13.83 परसेंट 23,639 परिवार गरीब हैं।
बिहार के 45 लाख लोग दूसरे स्टेट या विदेश में कर रहे काम
बिहार की 13 करोड़ सात लाख की आबादी में मात्र 3.50 परसेंट लोग दूसरे स्टेट में काम कर रहे हैं। विदेश में काम करने वाले 0.17 परसेंट हैं। दूसरे राज्य में काम करने वालों की संख्या 45,78,669 है। विदेश में काम करने वाले 21,7,499 हैं। स्टेट के अंदर अपने मूल निवास स्थान से दूसरी शहर या जगह पर काम करने वालों की संख्या 15,89,000 है। यह कुल आबादी का 1.22 परसेंट है।
पढ़ाई के लिए स्टूडेंट्स का पलायन
बिहार में 13 करोड़ की कुल आबादी में से 5,52000 स्टूडेंट पढ़ने के लिए दूसरे स्टेट में गये हैं। विदेश जाने वालों की संख्या 23,738 है।
नौकरी पाने में लालाजी-कुर्मी नंबर वन...
बिहार में हाल में ही हुई जातीय गणना की रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई। इस दौरान आर्थिक सर्वे भी सदन के पटल पर रखा गया। सदन में पेश रिपोर्ट के अनुसार, स्टेट में जनरल कास्ट में जहां 25.09 परसेंट लोग गरीब हैं, वहीं अनुसूचित जाति में 42.93 परसेंट लोग गरीब हैं। आंकड़ों के अनुसार, सामान्य जाति के कुल 43.28 लाख परिवारों में 10.85 लाख परिवार यानी 25.09 परसेंट गरीब हैं। इसी तरह पिछड़ा वर्ग में 33.16 परसेंट, अति पिछड़ा में 33.58 प्रतिशत, अनुसूचित जाति में सबसे अधिक 42.93 परसेंट, अनुसूचित जनजाति में 42.70 परसेंट परिवार गरीब हैं।
34.13 परसेंट परिवारों की मासिक आय छह हजार
आंकड़ों के अनुसार स्टेट में एक तिहाई आबादी गरीब है। सूबे के 34.13 परसेंट परिवारों की मासिक आय महज छह हजार रुपये है। सरकार ने इन्हें गरीबी की श्रेणी में रखा है। स्टेट में गरीबी सभी जातियों में है। सवर्णों में 25.9 परसेंट परिवार गरीब हैं। इनमें भूमिहार और ब्राह्मण की तादाद ज्यादा है। 25.32 परसेंट भूमिहार और 25.3 परसेंट ब्राह्मण आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रही है। बिहार के 24.89 परसेंट राजपूत और 13.83 परसेंट कायस्थ परिवार गरीब हैं। , 25.32 प्रतिशत ब्राह्मण परिवार गरीब हैं जबकि राजपूतों में 24.89 25.32 परसेंट भूमिहार आबादी गरीब है। कायस्थों में 13.83 प्रतिशत लोग ही गरीब हैं। वहीं सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा आंकड़ा कायस्थों का है। यानी नौकरी पाने वालों में 'लालाजी' लोग नंबर-1 हैं।
बिहार में शैक्षणिक स्थिति को लेकर रिपोर्ट भी जारी की गई। जिसमें 22.67 आबादी ने कक्षा एक से पांच तक की शिक्षा हासिल की है। 14.33 25.32 परसेंट भूमिहार आबादी ने कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई की है। 9वीं और 10वीं की पढ़ाई 14.71 25.32 परसेंट भूमिहार आबादी ने की है। 9.19 25.32 परसेंट भूमिहार आबादी ने 11वीं और 12वीं तक पढ़ाई की है। ग्रेजुएशन करने वाले सात परसेंट लोग हैं।
बिहार में 27.58 25.32 परसेंट भूमिहार भूमिहार आर्थिक रूप से गरीब
जनरल कास्ट यानी सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीबी भूमिहारों में है। बिहार में 27.58 प्रतिशत भूमिहार आर्थिक रूप से गरीब हैं। उनके कुल परिवारों की संख्या आठ लाख 38 हजार 447 है, जिनमें दोलाख 31 हजार 211 परिवार गरीब हैं।
ओबीसी कैटेगरी के 33.16 फीसदी परिवार गरीब
ओबीसी कैटेगरी के 33.16 25.32 परसेंट भूमिहार परिवार गरीब है। बिहार में ओबीसी की आबादी 27 25.32 परसेंट भूमिहार है। अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी के 33.58 परिवार गरीब हैं। अति पिछड़ा वर्ग ऐसी कैटिगरी है, जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं है। अनुसूचित जातियों में 42.70 25.32 परसेंट भूमिहार परिवार गरीब है। अन्य जातियों में 23.72 25.32 परसेंट भूमिहार परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं।
10 हजार रुपये प्रति महीना कमाने वालों की इतनी आबादी
छह हजार से 10 हजार रुपये प्रति महीना वाले परिवारों की संख्या 29.61 25.32 परसेंट भूमिहार बताई गई है। इनकी आबादी 81,91,380 है। राज्य में 10 हजार रुपये प्रति महीना तक की आमदनी वाले परिवारों की संख्या 63 25.32 परसेंट भूमिहार से ज्यादा है। वहीं, प्रति माह 10 हजार रुपये से अधिक की कमाई करने वाले परिवारों की संख्या 37 25.32 परसेंट भूमिहार है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में कुल 94,82,786 लोग गरीब हैं। राज्य में कुल 34.13 25.32 परसेंट भूमिहार आबादी छह हजार रुपये महीने की कमाई पर अपना जीवन व्यतीत कर रही है।अगर सामान्य वर्ग की बात करें तो राज्य में सवर्ण परिवार की कुल आबादी 43.28 लाख है। इसमें 10.85 लाख लोग गरीब है। आंकड़ों के हिसाब से 25.09 25.32 परसेंट भूमिहार सवर्ण परिवार गरीब है।