बिहार: अकेले में मिले एक्स सीएम जीतन राम मांझी और मिनिस्टर मुकेश सहनी, उड़ने लगी पॉलिटिकल चर्चा
बिहार के एक्स सीएम जीतन राम मांझी व स्टेट के पशुपालन मिनिस्टर मुकेश सहनी शनिवार को जब दोनों नेताओं ने अचानक मुलाकात की। दोनों की मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगी है।
- कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाना
पटना। बिहार के एक्स सीएम जीतन राम मांझी व स्टेट के पशुपालन मिनिस्टर मुकेश सहनी शनिवार को जब दोनों नेताओं ने अचानक मुलाकात की। दोनों की मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगी है।
दोनों नेताओं ने ट्वीट कर दी मुलाकात की जानकारी
इस मुलाकात की जानकारी हम के सुप्रीमो मांझी और वीआइपी के नेता मुकेश सहनी दोनों ने अपने ट्विटर अकाउंट पर फोटो शेयर करते हुए जानकारी दी। हाल में ही बिहार सरकार ने अपने मिनिस्टर्स को लॉकडाउन में इधर-उधर भ्रमण करने से बचने की सलाह दी है। ऐसे में यह मुलाकात महत्वपूर्ण है। मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने कहा कि उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को चुनाव होने तक बढ़ाने के अलावा अन्य मुद्दों पर चर्चा की। उनके अन्य मुद्दों को लेकर बिहार के सियासी गलियारे और ट्विटर पर भी चर्चा छिड़ चुकी है।
ट्विटर यूजर्स ने पूछा- क्या पाला बदलने की तैयारी
मांझी और सहनी के ट्वीट पर लोगों ने कई मिजाज के कमेंट किए हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें दोनों नेताओं के पाला बदलने की चिंता है। कुछ यूजर्स ने इसको लेकर सवाल भी पूछे हैं तो कुछ ने दोनों नेताओं को राजद के साथ जुड़ने की सलाह दे डाली है। पुरुषोत्तम वत्स नाम के एक यूजर ने पूछा कि ये मुलाकात सत्ता परिवर्तन का संकेत तो नहीं? एक और यूजर ने पूछा कि कहीं सरकार पलटने पर तो विचार नहीं कर रहे हैं?
मांझी ने सरकार पर कसा था तंज
जीतन राम मांझी ने शनिवार की बिहार सरकार पर तंज कसते हुए सीएम नीतीश कुमार की तारीफ भी जोड़ दी थी, ताकि मामला बैलेंस रहे। मांझी ने सरकार को राज्य में स्वास्थ्य उप केंद्रों को बेहतर बनाने की सलाह दी थी, लेकिन इस सलाह की भाषा कुछ वैसी थी, जैसी आज कल इसी मुद्दे पर प्रमुख विपक्षी दल राजद की होती है। मांझी ने कहा कि लॉकडाउन कोविड का समाधान नहीं है। सही मायने में इस संकट से निपटना है तो गांव के स्वास्थ्य उपकेंद्रों को व्यवस्थित करना होगा।
पॉलिटिकल रणनीति का संकेत
मांझी और सहनी इन दोनों नेताओं की रणनीति तुरंत-तुरंत बनती और बिगड़ती है। दोनों के मुलाकात को लेकर सियासी गलियारे में भी काफी अनिश्चितता रहती है।
मांझी और सहनी को सरकार से चाहत
मांझी और सहनी के पास केवल चार-चार एमएलए ही हैं, लेकिन इन एमएलए की अहमियत अधिक है, क्योंकि इन्हें मिलाकर बमुश्किल बहुमत का आंकड़ा पूरा हो रहा है। दोनों नेता इसे समझते हैं और इसकी पूरी कीमत चाहते हैं। सहनी को इस बात का मलाल है कि उन्हें विधान परिषद में पूर्ण कार्यकाल वाली सीट नहीं दी गई। इसी तरह मांझी भी अपनी पार्टी के लिए एक और मंत्री पद व एमएलसी की एक सीट चाहते हैं। दोनों नेता बराबर अपने-अपने तरीके से सरकार को संदेश देने की कोशिश करते रहते हैं। इस मामले में मांझी की सक्रियता सहनी से कहीं अधिक है।