कोविड-19 से कोलकर्मियों की मृत्यु होने पर परिजनों को मिलेगा 15 लाख मुआवजा: कोल मिनिस्टर
कोल मिनिस्टर प्रहलाद जोशी ने कहा कि कोल इंडिया के किसी भी कर्मचारी की कोविड-19 के कारण यदि मृत्यु हो जाती है तो उसे एक्सीडेंटल डेथ माना जायेगा। इसमें संबंधित कामगार के परिजनों को उतना ही वित्तीय लाभ मिलेगा जितना कि उन्हें काम करने के दौरान एक्सीडेंट में मौत होने पर मिलता हैं।
रांची। कोल मिनिस्टर प्रहलाद जोशी ने कहा कि कोल इंडिया के किसी भी कर्मचारी की कोविड-19 के कारण यदि मृत्यु हो जाती है तो उसे एक्सीडेंटल डेथ माना जायेगा। इसमें संबंधित कामगार के परिजनों को उतना ही वित्तीय लाभ मिलेगा जितना कि उन्हें काम करने के दौरान एक्सीडेंट में मौत होने पर मिलता हैं। 15 लाख मुआवाज दिये जायेंगे। इस निर्णय से कंट्रेक्टकर्मियों सहित कोल इंडिया के लगभग चार लाख कर्मियों को लाभ मिलेगा। जिन कर्मियों का कोरोना के चलते अभी तक निधन हो चुका है, उनके परिजनों को भी इस निर्णय से सुरक्षा मिलेगी।
कोल मिनिस्टर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान कोल इंडिया कर्मी अपनी जान जोखिम में डालते हुए लगातार कार्य कर रहे हैं। यही कारण है कि मैं उन्हें गर्व के साथ कोल योद्धा कहता हूं। उन्होंने कहा कि कोल माइनिंग के लिए झारखंड की नौ कोल माइंस आवंटन हेतु प्रस्तावित की गई हैं, जिनसे राज्य को प्रति वर्ष 3,200 करोड़ रुपये से अधिक का रेवन्यू प्राप्त होगा। साथ ही इससे स्टेट के 50,000 से अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इसके अतिरिक्त राज्य को डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (डीएमएफ) मद में भी प्रति वर्ष 17 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिसका उपयोग कोलफील्डस के आस-पास के क्षेत्रों के समावेशी विकास में किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि कॉमर्शियल माइनिंग को शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है। खासतौर पर झारखंड में आवंटन के लिए प्रस्तावित लगभग सभी खदानों में पांच 10 आवेदक आवंटन हेतु आगे आए हैं। इससे राज्य को कई मायनों में लाभ पहुंचेगा और राज्य की प्रगति का नया अध्याय लिखा जायेगा।अपने रांची दौरे के दौरान श्री जोशी ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की और उनके साथ राज्य में खनन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मंत्रणा की। उन्होंने कोयला कंपनियों- ईसीएल, बीसीसीएल, एवं सीसीएल के प्रदर्शन की समीक्षा की। मौजूदा महामारी के बीच भी देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में कोल योद्धाओं द्वारा किए जा रहे कठिन परिश्रम की सराहना की।
कॉमर्शियल माइनिंग शुरू करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सालाना कोयला जरूरतों का लगभग 20% कोयला आयात के जरिए पूरा करना पड़ता है। व्यावसायिक कोयला खनन के शुरू होने के बाद स्वतंत्र एवं कैपटिव तापीय बिजली घरों द्वारा किए जाने वाले कोयला आयात को घरेलू कोयले की आपूर्ति से समाप्त किया जा सकेगा, जिससे सालाना लगभग 30,000 करोड़ रुपए के आयात बिल की बचत होगी। साथ ही, इससे तीन लाख से अधिक कामगारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने में भी मदद मिलेगी।
झारखंड के लिए खनन की महत्ता पर जोर देते हुए श्री जोशी ने कहा कि खनन राज्य की लाइफ लाइन है और उसके विकास में बेहद अहम भूमिका अदा करता है।उन्होंने कहा कि झारखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां उसकी खनिजों से समृद्ध धरती से तीन-तीन कोयला कंपनियां कोयला खनन करती हैं। कोयला कंपनियां- ईसीएल, बीसीसीएल एवं सीसीएल अगले चार वर्षों में झारखंड में लगभग 742 मिलियन टन (एमटी) कोयले का खनन कर राज्य को लगभग 18,889 करोड़ रुपए का राजस्व देंगी। गत 04 वर्षों में प्रति वर्ष लगभग 4000 करोड़ रुपए, यानी 16,000 करोड़ रुपए का कुल राजस्व प्राप्त हुआ है। इन कोयला कंपनियों की होल्डिंग कंपनी, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), अपनी कुल देय रॉयल्टी का लगभग 30% अकेले झारखंड को भुगतान करती है, जबकि राज्य की सीआईएल के कुल कोयला उत्पादन में लगभग 20% की हिस्सेदारी है।
श्री जोशी ने कहा कि सेंट्रल गवर्नमेंट झारखंड की तरक्की और राज्य का देश की अर्थव्यवस्था की प्रगति में योगदान चाहती है। कोयला कंपनियां दशकों से झारखंड में कोयला खनन कर रहीं हैं और उसके बदले में राज्य के विकास के लिए राजस्व दे रही हैं। सीएमएसपी एक्ट के तहत आवंटित कोयला खदानों से झारखंड सरकार को सालाना 6,564 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, सीआईएल झारखंड में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 37,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगी।
झारखंड: कोल इंडिया ने पहली बार स्टेट को भूमि अधिग्रहण के एवज में 250 करोड़ रुपये दिये
कोल इंडिया ने कोल माइनिंग के लिए अधिग्रहित की गयी जमीन के एवज में पहली बार स्टेट गवर्नमेंट को 250 करोड़ रुपये दिये हैं। स्टेट गवर्नमेंट ने आठ हजार करोड़ रुपये की मांग की थीष सेंट्रल कोल मिनिस्टर प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को 250 करोड़ रुपये का चेक सीएम हेमंत सोरेन को सौंपा। मौके पर केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा भी थे.
कोल मिनिस्टर ने कॉमर्शियल माइनिंग ऑक्शन को लेकर स्टेट गवर्नमेंट द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किये जाने पर पुनर्विचार का आग्रह किया। सीएम ने कहा कि पूर्व में यदि इसी तरह की वार्ता होती, तो आज स्टेट गवर्नमेंट का अलग स्टैंड होता। सीएम ने कहा कि यहां लोगों के अधिकार और राज्य के हित में क्या हो सकता है, इस पर अफसरों के साथ मंथन करके विधिसम्मत फैसला लिया जायेगा।
प्रोजेक्ट भवन में गुरुवार को दोनों सेंट्रल मिनिस्टर की उपस्थिति में सीएम की अध्यक्षता में कोल माइनिंग से संबंधित बैठक हुई। बैठक में कोल सेकरेटरी के सचिव, कोल इंडिया के अफसर, झारखंड के चीफ सेकरेटरी सुखदेव सिंह, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, खान सचिव, राजस्व सचिव व अन्य पदाधिकारी उपस्थिति थे।
सत्यापन के बाद होगा शेष राशि का होगा पेमेंट
बैठक में स्टेट गवर्नमेंट द्वारा एक अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि में कोल इंडिया द्वारा अधिग्रहित की गयी 14296 एकड़ सरकारी भूमि के एवज में 5439 करोड़ तथा 5298 एकड़ जंगल-झाड़ भूमि के लिए 2787 करोड़ रुपये की मांग की गयी। बैठक के दौरान ही 19 वर्ष पुराने इस मुद्दे का समाधान निकला और राशि सरकार को मिली।कहा गया कि सत्यापन के बाद शेष राशि का भुगतान किया जायेगा।उक्त अवधि में अधिग्रहित की गयी सराकरी भूमि के एवज में कोल इंडिया द्वारा भुगतान की जानेवाली राशि से संबंधित मांग भी शीघ्र भेजने का निर्णय लिया गया।बैठक में कहा गया कि कोल इंडिया विस्थापितों को उसी जगह बसा देती हैं, जहां पहले से ही कोयला है, फिर दोबारा उन्हें वहां से हटाया जाता है। सीबीए के अंतर्गत अर्जित होनेवाली भूमि के लिए रैयतों को समुचित मुआवजा एवं पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग रखी गयी। सीएम ने वास्ड कोल की बिक्री दर के आधार पर रॉयल्टी भुगतान और बंद पड़े माइंस को समतल कर वहां वृक्षारोपण करने की मांग की।
कॉमर्शियल माइनिंग पर विधि सम्मत निर्णय लिया जायेगा
सीएम ने कॉमर्शियल माइनिंग ऑक्शन के खिलाफ स्टेट गवर्नमेंट के सुप्रीम कोर्ट में जाने के सवाल पर कहा कि हमने मिनिस्टर को बताया कि हमारे जाने की मजबूरी थी। मिनिस्टर ने ने भी माना कि संवाद में कमी रह गयी थी, जिसके वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है। मिनिस्टर ने कोल ऑक्शन के विषय पर विचार करने का आग्रह किया है। हमने कहा है कि खनिज संपदा को पूर्व में राज्य के अभिशाप के रूप में देखा जाता था। हमारी सरकार इसे वरदान के रूप में बदलना चाहती है। .
रेलवे से कोयला जाने पर रॉयल्टी नहीं मिलती
सीएम ने कहा कि रेलवे से कोयला जाने पर स्टेट को रॉयल्टी नहीं मिलती। यह भी पता नहीं चलता कितना कोयला गया है। स्टेट गवर्नमेंट के डिजिटल पोर्टल और रेलवे पोर्टल को जोड़ने की मांग रखी है ताकि सही तरीके से रॉयल्टी मिल सके। अब कोल इंडिया की हर गतिविधि पर हमारी नजर रहेगी। स्टेट हक है, जिसे गवर्नमेंट हर हाल में ले कर रहेगी।कोल इंडिया ने स्टेट के हक को दबा रखा था। कोल मिनिस्टर ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए राशि सौंप कर पहला कदम उठाया है। छह माह के प्रयास के बाद राज्य का हक निकाल पाने में सफलता मिली है। सीएम ने कहा कि इससे पहले कई सरकारें रहीं, सेंट्रल मिनिस्टर भी यहां के सीएम रहे। पिछली सरकार भी भाजपा की थी पर इस राशि को कोई निकाल नहीं पाया।