बिहार: मेरी सीएम बनने की इच्छा नहीं थी, पर बीजेपी नहीं हुई राजी, मुझ पर डाला गया दबाव: नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार सीएम नीतीश कुमार ने जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दो टूक अंदाज में कहा कि मुझे अब सीएम नहीं रहना । एनडीए गठबंधन जिसे चाहे बना दें सीएम। बीजेपी का ही सीएम हो । मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे किसी पद का मोह नहीं है।
पटना। सीएम नीतीश कुमार सीएम नीतीश कुमार ने जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दो टूक अंदाज में कहा कि मुझे अब सीएम नहीं रहना । एनडीए गठबंधन जिसे चाहे बना दें सीएम। बीजेपी का ही सीएम हो । मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे किसी पद का मोह नहीं है।
पद की चाहत नहीं, काम करने का प्रेशर
सीएम नीतीश कुमार जेडीयू नेशनल प्रसिडेंट के चुनाव के बाद बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा मुझे पद की कोई चाहत नहीं, इच्छा नहीं कि पद पर रहें। चुनाव परिणाम आने के बाद मैंने अपनी यह इच्छा गठबंधन के समक्ष जाहिर भी कर दी थी। पर दबाव इतना था कि मुझे फिर से काम संभालना पड़ा।नीतीश ने कहा कि हम स्वार्थ के लिए काम नहीं करते। आज तक हमने कभी किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया।
छह के जाने के बाद भी एक एमएलए डटा है
नीतीश ने अरुणाचल प्रदेश में छह जेडीयू एमएलए के बीजेपी में चले जाने के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि क्या हुआ अरुणाचल में। छह के जाने के बाद भी वहां एक एमएलए पार्टी में डटा रहा। पार्टी की ताकत को समझिए। हमें सिद्धांतों के आधार पर ही लोगों के बीच जाना है। नफरत का माहौल बनाया जाता है । हमलोग नफरत के खिलाफ हैं। एक-एक काम लोगों के हित के लिए किया। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को गुमराह किया जा रहा। वह चाहेंगे कि अच्छी बातें सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के बीच प्रचारित हो। समाज में किसी तरह का मतभेद नहीं हो।
पद से हटे, पार्टी छोड़ा नहीं, करते रहेंगे काम
उन्होंने कहा कि हमने पार्टी छोड़ा नहीं है। रात-दिन पार्टी के काम में लगे रहते हैं। व्यस्तता की वजह से पार्टी के प्रसिडेंट पोस्ट का काम ठीक से नहीं देख पा रहे थे। उनकी इच्छा है कि पार्टी के संगठन का विस्तार होना चाहिए। इसके लिए लोग दूसरे राज्यों में समय दें। इस दिशा में काफी काम होना चाहिए। मैंने जानबूझकर यह किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा समय लोगों को दे सकें।
पार्टी का सारा काम सही से नहीं देख पा रहा था
नीतीश कुमार ने कहा, "मैं तो 2015 में भी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाहता था। लेकिन शरद यादव जी ने जबरदस्ती अध्यक्ष बनवाया दिया था। आरसीपी सिंह को पार्टी की कमान सौंपे जाने पर सीएम नीतीश ने कहा, "आरसीपी सिंह को पार्टी की कमान बहुत सोच समझ कर सौंपी है क्योंकि सीएम पद पर रहते हुए पार्टी का सारा काम सही से नहीं देख पा रहा था। पार्टी को भी देखना है और राज्य को भी। लिहाजा संगठन के विस्तार का काम आरसीपी बाबू को सौंपा है। आरसीपी बाबू इस काम को सही तरीके से देखेंगे।
जेडीयू में जल्द होगी कई पार्टियों का विलय
नीतीश कुमार ने कहा कि 2014 में ही शरद यादव ने कहा था कि जेडीयू के साथ कई पार्टियों का विलय करा कर संगठन का विस्तार किया जाए। उस समय शरद यादव का बात नहीं मानी थी, उन्होंने सही बात कही थी। अब आरसीपी बाबू के जिम्मे इस काम को पूरा करने का भार है। आने वाले दिनों में जेडीयू में कई पार्टियों का विलय होगा। उनसे बातचीत चल रही है।
चुनाव के बाद सीएम बनने की नहीं थी इच्छा
बकौल नीतिश वर्ष 2020 के चुनाव के बाद उन्हें सीएम बनने की इच्छा नहीं थी। उन्होंने बीजेपी लीडरशीप के समक्ष भी यह बात रखी थी कि वे सीएम बनना नहीं चाहते हैं। बीजेपी की ओर से ही कोई सीएम बने। पर, बीजेपी लीडरशीप इस पर राजी नहीं हुआ और मुझे पर सीएम बनने का दबाव डाला गया। जदयू की बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी।
नीतीश कुमार साख के नेता
केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार संख्या बल के नेता नहीं, बल्कि साख के नेता है। नीतीश कुमार के नेतृत्व और उनके आभामंडल को संख्या बल से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है। नीतीश कुमार की साख में तनिक भी कमी नहीं आई है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू को पूर्व की भांति वोट मिले हैं। इस चुनाव में भी खासकर महिलाओं और उपेक्षित वर्ग, जिन्हें मुख्य धारा से अलग रखा जाता रहा है, उनका पूरा समर्थन एनडीए को मिला है।
पश्चिम बंगाल चुनाव लड़ेगा जदयू
त्यागी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव में जदयू हिस्सा लेगा। जदयू वहां पर कितनी सीटों पर लड़ेगा, इसका फैसला दो-तीन दिनों में ले लिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव में भी जदयू भाग लेगी।
एलजेपी को रोकना चाहिए था
केसी त्यागी ने यह भी कहा कि एलजेपी को विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने से रोका जाना चाहिए था। एनडीए इस चुनाव में बहुमत हासिल करने के मामले में बाल-बाल बचा है। उन्होंने यह भी कहा कि चिराग पासवान चुनाव में एकबार भी रामविलास पासवान और भीमराव अंबेडकर का नाम नहीं लिया। सिर्फ नरेंद्र मोदी का नाम ही वे चुनाव में लेते रहे। जबकि वे एनडीए के खिलाफ चुनाव में उतरे थे।