बिहार: झंझारपुर कोर्ट की टिप्पणी, मधुबनी के SP को नहीं है कानून की जानकारी, ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद भेजा जाए

झंझारपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे फस्ट अविनाश कुमार ने मधुबनी एसपी व पुलिस अफसरों पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि एसपी को कानून की सही जानकारी नहीं है। इन्हें एक बार फिर से कानून की ट्रेनिंग लेनी चाहिए। जिले के एसपी, एसडीपीओ, झंझारपुर और थाना प्रभारी भैरवास्थान को आईपीएस ट्रेनिंग सेंटर, हैदराबाद में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाए।

बिहार: झंझारपुर कोर्ट की टिप्पणी, मधुबनी के SP को नहीं है कानून की जानकारी, ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद भेजा जाए

पटना। झंझारपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे फस्ट अविनाश कुमार ने मधुबनी एसपी व पुलिस अफसरों पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि एसपी को कानून की सही जानकारी नहीं है। इन्हें एक बार फिर से कानून की ट्रेनिंग लेनी चाहिए। जिले के एसपी, एसडीपीओ, झंझारपुर और थाना प्रभारी भैरवास्थान को आईपीएस ट्रेनिंग सेंटर, हैदराबाद में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाए।

एडीजे कोर्ट ने भैरवस्थान पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर में सेक्शन 376, पास्को एवं बाल विवाह अधिनियम 2006 नहीं लगाने पर पुलिस की कानूनी जानकारी पर सवाल उठायें हैं।कोर्ट कोर्ट ने एसपी, डीएसपी, थानाध्यक्ष के अलावा व्यवहार न्यायालय के एक न्यायिक अफसर पर भी सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने मधुबनी एसपी डॉ. सत्य प्रकाश के खिलाफ डीजीपी, होम मिनिस्टरी, स्टेट व सेंट्रल गवर्नमेंट को पत्र लिखा है। अपने पत्र में कोर्ट ने टिप्पणी की है कि मधुबनी एसपी को कानून एवं सुसंगत धारा लगाने की सही जानकारी नहीं है। कोर्ट ने डीजीपी को पत्रांक 363, केंद्र सरकार को पत्रांक 361, राज्य सरकार को पत्रांक 362 के तहत 14 जुलाई 2021 को एक साथ पत्र जारी किया है। सभी पत्र ई कोर्ट पोर्टल पर भी देखे जा सकते हैं।

क्या है मामला
एक महिला ने भैरवस्थान पुलिस स्टेशन में अपनी नाबालिग बेटी के किडनैपिंग की एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआइआर बलवीर सदाय, उसके पिता छोटू सदाय व उसकी मां को आरोपित किया गया था। मामले के मेन एक्युज्ड बलवीर सदाय 25 फरवरी 2021 से जेल में बंद है। पुलिस ने धारा 363, 366 ए एवं 34 के तहत मामला दर्ज किया था। इस केस में डीएसपी की सुपरविजन व एसपी की रिपोर्ट -2  आ चुकी है। कोर्ट के अनुसार इसमें पास्को, बलात्कार और बाल विवाह अधिनियम की धारा अनिवार्य रूप से लगाई जानी चाहिए। 
कोर्ट में लड़की की उम्र 19 वर्ष बताई गईं थी, जिसे एसीजेएम कोर्ट ने भी तत्काल माना था, मगर अभियुक्त को बेल नहीं दी थी। बाद में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में उस लड़की की उम्र मात्र 15 साल बतायी गयी थी। फिलहाल लड़की प्रेगनेंट है। कोर्ट में सुलहनामा अरजी दी गयी है जिसके अनुसार उसने उस लड़के से शादी कर ली है। आरोपित ने पुलिस के रिपोर्ट के आधार पर सुलह करते हुए कोर्ट से जमानत की मांग किया था। हालांकि कोर्ट ने आरोपित को जमानत नहीं दिया।कोर्ट ने इस पेटीशन को भी सुलह के लायक नहीं माना है। कोर्ट का मानना है कि नाबालिग का किडनैप व रेप के बाद सुलहनामा नैसर्गिक न्याय के विपरीत है। 
मामले मे मेडिकल रिपोर्ट आये बिना ही एसपी ने थानाध्यक्ष व डीएसपी के सुपरविजन के आधार पर रिपोर्ट को ट्रू जारी कर दिया।  मामले में पास्को एक्ट के साथ-साथ रेप की सेक्शन 376 को लगाना चाहिये वह सेक्शन भी नहीं लगाया गया। एसपी द्वारा रिपोर्ट टू आने के बाद आईओ ने आइपीसी की सेक्शन 363,366 ए एवं 34 में दर्ज मामले में पीड़िता को बालिग मान कर चार्जशीट दायर कर दिया। मामले में पीड़िता का बयान एसीजेएम तृतीय द्वारा लिया गया था। इसमें पीड़िता की उम्र 19 वर्ष बताया गया था। लेकिन मेडिकल बोर्ड के रिपोर्ट नाबालिग होने के बाद भी पोस्को एक्ट नही लगाया था।इसे न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए एसीजेएम से स्पष्टीकरण मांगा है।