बिहार: NDA से आउट हुए मुकेश साहनी, CM नीतीश कुमार ने गवर्नर से किया कैबिनेट से हटाने की अनुशंसा
सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी NDA से आउट हो गये हैं। वह अब नीतिश कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहेंगे। बीजेपी की मांह पर सीएम नीतीश कुमार ने गवर्नर फागू चौहान से मुकेश साहनी को कैबिनेट से हटाये जाने की अनुशंसा कर दी है।
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पटना। सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी NDA से आउट हो गये हैं। वह अब नीतिश कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहेंगे। बीजेपी की मांह पर सीएम नीतीश कुमार ने गवर्नर फागू चौहान से मुकेश साहनी को कैबिनेट से हटाये जाने की अनुशंसा कर दी है।
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बताया जाता है कि राजभवन को रविवार की शाम सीएम की यह अनुशंसा मिल गयी है। सीएमत्री द्वारा भेजे गये इस प्रोपोजल पर गवर्नर द्वारा मुहर लगाने की औपचारिकता भर रह गई है। इससे पहले डिप्टी सीएम व बीजेपी विधानमंडल दल के नेता तारकिशोर प्रसाद ने सीएम को पत्र भेजकर मुकेश सहनी को राज्य मंत्रिमंडल से निकालने का आग्रह किया। इसमें कहा गया है कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 में निर्वाचित हुए तीनों एमएलए की अब बीजेपी में विलय हो गया है।, वीआईपी अब एनडीए का हिस्सा नहीं है। बीजेपी के इस पत्र के बाद सीएम ने गवर्नर से वीआईपी चीफ सहनी को मंत्रिमंडल से हटाने की सिफारिश कर दी है।
हटाने की पटकथा 20 मार्च को ही हो गया था तय
बताया जाता है कि वीआईपी चीफ मुकेश सहनी का बीहार कैबिनेट से हटना 20 मार्च को ही तय हो गया था। इस दिन शाम में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री व सीनीयर बीजेपी लीडर नित्यानंद राय ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व तथा प्रदेश इकाई की मुकेश सहनी को लेकर मत से श्री राय द्वारा सीएम को अवगत करा दिया गया। इसके बाद 23 मार्च को विधानमंडल सत्र के बाद बीजेपी प्रसिडेंट डा. संजय जायसवाल, डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी संग वीआईपी के तीनों एमएलए राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्रीलाल यादव ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से उनके कक्ष में मुलाकात कर बीजेपी को समर्थन देने का पत्र सौंपा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन तीनों के बीजेपी में विलय को मंजूरी दे दी। देर रात तीनों एमएलए बीजेपी में शामिल भी हो गये।
बीजेपी मांग रही थी मुकेश सहनी से इस्तीफा
एमएलए की संख्या जीरो होने के बाद से बीजेपी लगातार मुकेश सहनी से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांग रही थी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल समेत कई एमएलए, सरकार में भाजपा कोटे के मिनिस्ट तक ने उन्हें मीडिया में दिए बयान के माध्यम से इस्तीफा देने की नसीहत दी। सहनी ने 24 मार्च की सुबह प्रेस कांफ्रेंस कर घोषणा की थी कि वे इस्तीफा नहीं देंगे। सरकार में काम करते रहेंगे। इसके बाद रविवार को बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया। उल्लेखनीय है कि यूपी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरने और बीजेपी तथा पीएम के खिलाफ लगातार टिप्पणी करने को लेकर मुकेश सहनी उसी समय से पार्टी के निशाने पर थे।
पिछले विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी एनडीए के साथ थी। सहनी स्वयं भी चुनाव लड़े मगर हार गए थे। हालांकि उनकी पार्टी चार प्रत्याशी जीत गए थे। बीजेपी ने फिर भी सहनी को मंत्री और एमएलएसी भी बनाया। अब उनकी विधान परिषद सदस्यता भी खतरे में पड़ गई है। उनका कार्यकाल इसी वर्ष जुलाई में खत्म हो रहा है। बदली परिस्थिति में अब वह विधान परिषद नहीं जा पायेंगे।
यूपी विधानसभा चुनाव में साहनी ने बीजेपी के खिलाफ बड़ी संख्या में अपने दल के कैंडिडेट को उतारा था। इसके बाद मुजफ्फरपुर की बोचहां विधानसभा सीट को लेकर भी विवाद बढ़ा। बोचहां से मुकेश सहनी की पार्टी के मुसाफिर पासवान एमएलए थे। उनकी मृत्यु के बाद वहां उपचुनाव होना है। बीजेपीने मुकेश सहनी को आईना दिखाते हुए वहां से अपना प्रत्याशी दिया तो वीआइपी ने भी वहां से अपने उम्मीदवार उतार दिया है।