बिहार: पटना में महिला के शरीर में मंकीपाक्स जैसे चकत्ते पड़ने की बात कह डाक्टर ने मचाया हड़कंप
बिहार की राजधानी पटना पटना सिटी एरिया के गुरहट्टा मोहल्ले की खत्री लेन में मंगलवार को ग्लोबल मेडिकल इमरजेंसी घोषित मंकीपाक्स नामक वायरल बुखार की महिला पेसेंट मिलने की सूचना से हड़कंप मच गयी। पीड़िता का इलाज कर रहे डाक्टर ने सिविल सर्जन ऑफिस को फोन कर शरीर में चकत्ते होने के साथ महिला को मंकी पाक्स होने की आशंका जताई थी। जांच के बाद आशंका निराधार निकली।
- एहतियाती गाइडलाइन जारी
पटना। बिहार की राजधानी पटना पटना सिटी एरिया के गुरहट्टा मोहल्ले की खत्री लेन में मंगलवार को ग्लोबल मेडिकल इमरजेंसी घोषित मंकीपाक्स नामक वायरल बुखार की महिला पेसेंट मिलने की सूचना से हड़कंप मच गयी। पीड़िता का इलाज कर रहे डाक्टर ने सिविल सर्जन ऑफिस को फोन कर शरीर में चकत्ते होने के साथ महिला को मंकीपाक्स होने की आशंका जताई थी। जांच के बाद यह आशंका निराधार निकली। निकली।
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महिला के बारे में सूचना सिविल सर्जन डा. केके राय ने आननफानन में महामारी पदाधिकारी प्रशांत कुमार, डब्ल्यूएचओ के डा. कुमुद कुमार, पीएमसीएच में माइक्रोबायोलाजी विभाग के डा. नवनीत दत्ता और तकनीशियन प्रवीण की टीम बनाकर जांच और सैंपल लेने के लिए पसेंटके घर भेजा।चार सदस्यीय टीम ने नमूना लेने के साथ 45 वर्षीय महिला से समस्याओं की जानकारी ली। इसके बाद देर शाम सिविल सर्जन ने बताया कि महिला अन्य रोगों से पीड़ित है। उसमें मंकीपाक्स के विशिष्ट लक्षण नहीं मिलने के कारण लिये गये सैंपल जांच के लिए नेशनल वायरोलाजी लैब पुणे नहीं भेजे जायेंगे। जिले में अबतक मंकीपाक्स का एक भी संदिग्ध पसेंट नहीं मिला है।
महिला का स्टेट के बाहर या विदेश की ट्रैवेल हिस्ट्री नहीं
महिला के घर गई टीम के सदस्यों ने बताया कि महिला के हाथ और कुछ जगह त्वचा में चकत्ते हैं। वह शुगर, पेशाब में जलन यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से पीडि़त है। त्वचा में चकत्ते देख मंकीपाक्स की आशंका में घर वालों ने सूचना सिविल सर्जन ऑफिस को दे दी। महिला की राज्य के बाहर या विदेश की ट्रैवेल हिस्ट्री नहीं है। कुछ दिन पहले वह बिहारशरीफ गई थी। सिविल सर्जन ने बताया कि महिला को लाल दाने या घाव नहीं होने के कारण उसके सेंपल नहीं लिए जा सके थे।
हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस संक्रमण को लेकर गाइडलाइन जारी की
बिहार में हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस संक्रमण को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसके पहले WHO से हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। मंकीपाक्स एक वायरस है, जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति में चेहरे, हथेलियों, पैरों, पीठ व पैर के तलवे में चकत्ते बन जाते हैं। बीमारी को लेकर सावधानी बेदह जरूरी है। इसके लक्षण दिखें तो तुरंत डाक्टर की सलाह लें।
चेचक की तरह का संक्रमण
मंकीपाक्स वायरस चेचक की तरह का एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। इसका पहला मामला साल 1970 में सामने आया था। यह संक्रमण मुख्य रूप से मध्य व पश्चिम अफ्रीका के में होता रहा है। हालांकि, इस साल यह भारत के चार राज्यों में दस्तक दे चुका है।
मंकीपाक्स के लक्षण
बुखार के साथ सिरदर्द व कमजोरी हो तो डाक्टर की सलाह जरूर लें। ये मंकीपाक्स के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, समान्य वायरल फीवर व अन्य बीमारियों में भी ऐसा हो सकता है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। सामन्यत: मंकीपाक्स वायरस के संक्रमण के लक्षण चेहरे पर दिखता है। संक्रमण 14 से 21 दिनों तक रहता है।
बार-बार का तेज बुखार
पीठ एवं मांसपेशियों में दर्द
थकान व सुस्ती
त्वचा पर दानें व चकत्ते तथा खुजली होना
चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस
गला खराब होना व बार-बार खांसी आना
इलाज नहीं, जोखिम कम
मंकीपाक्स संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। हां, चेचक का टीका मंकीपाक्स का संक्रमण रोकने में 85 परसेंट तक प्रभावी साबित हुआ है। वैसे राहत की बात यह है कि ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है। यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह संक्रमित जानवर के काटने या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ व फर को छूने से भी हो सकता है। मंकीपाक्स से बचाव ही एकमात्र उपाय है।