बिहार: विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला इस बार नहीं लगेगा, कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला

कोरोना वयरस संक्रमण के कारण इस साल विश्व विख्यात सोनपुर मेला को लेकर किसी तरह का आयोजन नहीं होगा। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर आयोजित होने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है। लोकल लोग इसे छत्तर मेला कहते हैं। 

बिहार: विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला इस बार नहीं लगेगा, कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला
  • पशु मेले को देखने देश-विदेश से आते हैं पर्यटक

पटना। कोरोना वयरस संक्रमण के कारण इस साल विश्व विख्यात सोनपुर मेला को लेकर किसी तरह का आयोजन नहीं होगा। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर आयोजित होने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है। लोकल लोग इसे छत्तर मेला कहते हैं। 
'हरिहर क्षेत्र मेला' कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है। एक माह तक चलने वाला यह मेला धार्मिक और व्यवासायिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय साफ कर दिया है कि इस वर्ष कोरोना को लेकर श्रावणी मेला और गया का पितृपक्ष मेला नहीं लगा. ऐसे में हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला भी नहीं लगेगा।
पिछले वर्ष विभिन्न देशों के लगभग तीस से अधिक विदेशी पर्यटक सोनपुर मेला को देखने पहुंचे थे।हजारों की संख्या में देसी पर्यटक एशिया के सबसे बड़े पशु मेला का आनंद लेने सोनपुर पहुंचे थे। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं।कार्तिक पूर्णिमा से महीने भर के लिए प्रत्येक वर्ष सोनपुर में मेला का आयोजन होता है। इसमें हाथी-घोड़ों के साथ अन्य पुश-पक्षी भी लाये जाते हैं। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। गंडक और गंगा के संगम पर लगने वाला इस मेला में देश-विदेश के हजारों पर्यटक आते रहे हैं। मेला में काफी भीड़भाड़ होती है।

मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने खरीदा था हाथी
 इस पशु मेले में  एक समय मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था।मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (340 ईसा पूर्व -298 ईसा पूर्व), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी।  1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था।