DGP को CM नीतीश की क्लीनचिट, दो-तीन महीने बाद है रिटायरमेंट, कहा- मजबूती से काम कर रही है पुलिस
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने फ्रॉड अभिषेक अग्रवाल व और आईपीएस आदित्य कुमार प्रकरण में डीजीपी एसके सिंघल क्लीन चिट दे दी है। सीएम तीश कुमार ने कहा है कि डीजीपी एसके सिंघल काम ठीक करते हैं, लेकिन चूक हो गई है।
डीजीपी बोले-; सिंघल ने कहा- मामला पेचीदा है, अंदाज पर बात न करें
पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने फ्रॉड अभिषेक अग्रवाल व और आईपीएस आदित्य कुमार प्रकरण में डीजीपी एसके सिंघल क्लीन चिट दे दी है। सीएम तीश कुमार ने कहा है कि डीजीपी एसके सिंघल काम ठीक करते हैं, लेकिन चूक हो गई है।
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सीएंम ने कहा कि अब जो व्यक्ति अपनी गलती मान ले तो उसे छोड़ देना चाहिए। वैसे भी डीजीपी दो महीने में रिटायर करने वाले हैं। सीएम ने कहा कि यह लोग बढ़िया काम कर रहे हैं। मजबूती से जांच हो रही है। किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हो रही है। डीजीपी को एहसास हो गया था कि यह कोई बोगस आदमी है जो उनको लगातार फोन कर रहा है। उन्होंने अपनी गलती मान ली है। उन्होंने इस मामले को बताया है तब आगे जांच हो रही है।
CBI या किसी निष्पक्ष एजेंसी से हो जांच: सुशील मोदी
एक्स डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने ने नीतीश कुमार के बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सीएम का ये बयान कि दो-तीन महीने में रिटायर हो रहे हैं। ये गलत है। उन्हें DGP को बचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जबकि CBI या किसी निष्पक्ष एजेंसी से इसकी जांच करानी चाहिए। मोदी ने कहा कि जब एसपी स्तर के अधिकारी को बचाने और लाभ पहुंचाने का संदेह डीजीपी पर है, तो उनके नीचे काम करने वाली आर्थिक अपराध इकाई ( ईओयू) निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। सुशील मोदी ने कहा कि कि गया में शराब बरामद होने से लेकर वहां के तत्कालीन एसपी के ट्रांसफर और FIR से दोषमुक्त करने तक पूरे मामले में फर्जी कॉल के आधार पर फैसले करने वाले डीजीपी एसके सिंघल की भूमिका संदेह के घेरे में है।
मामला पूरी तरह से सेंसेटिव है पेचीदा: डीजीपी
इधर, डीजीपी को हड़काने वाले अभिषेक और आईपीएस आदित्य कुमार प्रकरण में डीजीपी एसके सिंघल ने पहली बार अपना मुंह डीजीपी संजीव कुमार सिंघल ने कहा है कि यह मामला पूरी तरह से सेंसेटिव है पेचीदा है। जांच एजेंसी या काम कर रही है। इस पर कुछ ज्यादा नहीं बोला जा सकता है। डीजीपी ने बताया कि इस पर क्या राजनीति हो रही है इस पर कुछ नहीं कहना है। लेकिन जो हमारी जांच एजेंसियां हैं वह इस पर जांच कर रही है। हमें सीबीआई की जरूरत नहीं है। हमारी जांच एजेंसियां कई तरह की है। अलग-अलग जांच एजेंसियां अलग अलग तरीके से काम करती है। तो वह सभी जांच एजेंसियां काम कर रही हैं। इसके लिए मुझे सीबीआई की जरूरत नहीं है। एसके सिंगल बीजेपी-5 में परेड के निरीक्षण के के दौरान मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
सिंघल ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। मैं सबको यह सुझाव दूंगा कि अंदाजे पर बात बिल्कुल न करें। इसका अनुसंधान चलने दीजिए। बिल्कुल सही समय पर मैं खुद सबको एक-एक चीज बताऊंगा।मीडिया ने जब सवाल किया कि विपक्ष इसको मुद्दा बना रहा है, तो डीजीपी ने कहा कि हमको इससे कोई मतलब नहीं है। हमको किसी तरह की राजनीति में पड़ना ही नहीं है। हमलोग अफसर हैं, मैं कह रहा हूं कि यह बहुत ही संवेदनशील, पेचीदा और रेयर टाइप का मामला है, जिसका अनुसंधान अभी चल रहा है। इसमें कुछ चीजें अभी और भी हैं, जिसके बारे में सही समय पर बात की जाएगी। फर्जी काल मामले की सीबीआइ जांच के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि मुझे इसपर कोई टिप्पणी नहीं करनी है। हमारी जो जांच एजेंसी है, वह पूरी तरह सक्षम है।
यह है आइपीएस आदित्य कुमार का शराब कांड मामला
आइपीएस आदित्य कुमार के गया में एसपी रहने के दौरान शराब तस्करों से सेटिंग का आरोप लगा था। वर्ष 2021 में आठ मार्च को शराब की खेप बरामद की गई थी। इसके बाद 26 मार्च को कार से शराब की खेप बरामद हुई थी। दोनों ही मामलों में शराबबंदी कानून को तोड़ने के खिलाफ मामलाा दर्ज करने के बजाए सनहा दर्ज किया गया। यह खेल फतेहपुर थाना के तत्कालीन थानेदार ने किया। शराबबंदी कानून में तस्करों की सेटिंग का मामला जब सुर्खियों में आया तो तत्कालीन एएसपपी मनीष कुमार ने जांच की। डीएसपी की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच रिपोर्ट में थानेदार संजय कुमार की बड़ी मनमानी सामने आई। एएसपी मनीष कुमार ने तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार को जांच रिपोर्ट सौंप दी।
एसएसपी की बड़ी सेटिंग से चल रहा था खेल
एसएसपी ने बड़ी सेटिंग की और आरोपित थानेदार संजय कुमार को कागजी कार्रवाई के बाद सस्पेंड कर दिया। लेकिन यह सस्पेंड सिर्फ दिखावे वाला ही था। एसएसपी ने एक माह भी इंतजार नहीं किया, महज 15 दिन में ही आरोपित संजय कुमार को बाराचट्टी का थानेदार बना दिया। नियुक्ति के एक माह बाद आईजी ने आरोपित थानेदार संजय कुमार का ट्रांसफर औरंगाबाद कर दिया। आईजी व एसएसपी में विवाद हो गया। दोनों आइपीएस अफसरों के बीच विवाद का मामला पुलिस हेडक्वार्टर तक पहुंचा। इसके बाद आरोपित थानेदार संजय कुमार को सस्पेंड कर दिया गया।
डीजीपी ने दिए थे जांच के आदेश
आइपीएस आदित्य कुमार व आरोपी थानेदार संजय कुमार के साथ उनके खिलाफ गया के फतेहपुर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराया गया था। उत्पाद अधिनियम के खिलाफ दर्ज मामले में पूर्व एसएसपी और पूर्व थानेदार की जमानत याचिका भी स्पेशल एक्साइज कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इस मामले को लेकर पुलिस महकमे की काफी किरकिरी हुई थी।गया में शराबबंदी कानून के उलंघन में थानेदार और एसएसपी की मनमानी से हुई बिहार पुलिस की किरकिरी के बाद डीजीपी ने मामले में संज्ञान लिया। इसके बाद डीजीपी ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान आरोप पूरी तरह से सही पाया गया। Fसके बाद DSP हेडक्वार्टर अंजनी कुमार सिंह ने गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार और फतेहपुर के पूर्व थानेदार रहे संजय कुमार के खिलाफ फतेहपुर में ही FIR दर्ज कराया था। डीजीपी ने खुद जिस मामले की जांच के आदेश दिए।
जांच में आरोपों की पुष्टि से संबंधित रिपोर्ट उनके पास आने के बाद भी आईपीएस आदित्य कुमार को बचाने में डीजीपी ने पूरा जोर लगा दिया।साइबर क्रिमिनलों के जाल में फंसकर डीजीपी से आईपीएस को बेदाग करा दिया। डीजीपी के लिए यह बड़ा सवाल है, क्योंकि ऐसे आरोपी आईपीएस की जांच रिपोर्ट की पुष्टि होने के बाद भी राहत की बारिश करना कहीं न कहीं से डीजीपी को भी दागदार बना रहा है। सितंबर महीने में आरोप मुक्त किए गये आईपीएस आदित्य कुमार के लिए अब पोस्टिंग की फील्डिंग चल रही थी, लेकिन मामला सीएम हाउस पहुंचा जहां से पूरा नेटवर्क खंगाल लिया गया। सेटिंग ऐसी हुई कि केस के आईओ मद्य निषेध विभाग के डीएसपी सुबोध कुमार ने पूर्व एसएसपी को शराब के मामले में निर्दोष बता दिया।
IPS ने दोस्त को चीफ-जस्टिस बना डीजीपी को 50 बार कराये फोन
IPS आदित्य कुमार ने अपने ऊपर शराबबंदी से जुड़े केस को खत्म कराने के लिए अपने दोस्त को हाईकोर्ट का फर्जी चीफ जस्टिस बना दिया। इस फर्जी चीफ जस्टिस ने DGP एसके सिंघल को फोन कर केस खत्म करने के लिए कहा। वह भी एक नहीं, 40 से 50 बार। केस खत्म होने के बाद खुफिया इनपुट से मामले का खुलासा हुआ।