धनबाद। झरिया के एक्स एमएलए संजीव सिंह की इच्छा मृत्युवाली याचिका कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एक्स एमएलए की याचिका को खारिज कर दी है। कोर्ट ने संजीव के बेहतर इलाज कराने का निर्देश दिया है।
एमपी-एमएलए कोर्ट के स्पेशल जज अखिलेश कुमार की कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए जेल सुपरिटेंडेंट धनबाद को संजीव सिंह को धनबाद के किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करने का निर्देश दिया। इसकी पुष्टि एक्स एमएलए संजीव के एडवोकेट मोहम्मद जावेद ने की है।
कोर्ट से की थी इच्छा मृत्यु व अंग दान की मांग
बीजेपी के झरिया के एक्स एमएलए संजीव सिंह द्वारा मांगी गयी इच्छा मृत्यु व मौत के बाद अंगदान करने के मामले में पिछले बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के स्पेशल जज अखिलेश कुमार की कोर्ट में फिर सुनवाई हुई थी। संजीव सिंह के एडवोकेट मो जावेद ने कहा था कि बेहतर इलाज उनका संवैधानिक अधिकार था। लेकिन उन्हें बेहतर इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही है। गरिमा के साथ जीने नहीं दे रहे हैं, तो उन्हें इच्छा मृत्यु दे दी जाये। इस पर अभियोजन पक्ष की ओर सेनअपर लोक अभियोजक अवधेश कुमार ने कहा कि सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए इस आवेदन को खारिज किया जाये।कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुननेके बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने गुरुगवार को इस याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने संजीव सिंह का बेहतर इलाज का निर्देश दिया।
संजीव सिंह के एडवोकेट की अपील
संजीव सिंह के एडवोकेट मोहम्मद जावेद ने कोर्टको बताया कि विचाराधीन बंदी के मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता है। गरिमा के साथ मरने का उनका मौलिक अधिकार है। उन्होंने वर्ष 2018 के सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच द्वारा पारित निर्णय कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया का हवाला देतेहुए कहा कि गरिमा के साथ जीवित रहना और गरिमा के साथ मरना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मनुष्य का मौलिक अधिकार है। एडवोकेट मोहम्मद जावेद ने कोर्ट से कहा था कि संजीव सिंह इलाज के अभाव में एसएनएमएमसीएच में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार की मानवता मर गयी है. कोर्ट मेंराज्य सरकार इनके इलाज का विरोध कर रही है। सरकारी हॉस्पिटल में बेड पर इलाज के अभाव में तड़प कर मरने से अच्छा है कि गरिमा के साथ मरें। मरने के बाद अंग दान करने की अपील एडवोकेट जावेद ने कोर्ट से कहा कि एक्स एमएलए संजीव सिंह के मरनेके बाद उनका एक-एक अंग जरूरतमंद लोगों को दान देंगे। दिनोंदिन संजीव का स्वास्थ्य गिर रहा है। वह 14 दिनों से बिना अन्न-जल के हैं। वह एक दर्जन रोगों से ग्रसित हैं। एसएनएमएमसीएच में यूएसजी और एमआरआई की कोई व्यवस्था नहीं है।
संजीव सिंह बार-बार कोर्ट से अपने निजी खर्च पर
प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने की अपील कर रहे हैं, फिर भी सरकार उनका इलाज रिम्स रांची में कराने पर क्यों अडिग है।एडवोकेट ने बताया कि संजीव सिंह इतना कमजोर हो गये हैं कि वह धनबाद से रांची की दूरी नहीं तय कर पायेंगे। नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर के आरोप में 2017 से जेल में बंद हैं संजीव झरिया के एकस एमएलए संजीव सिंह 11 जुलाई को धनबाद मंडल कारा से एसएनएमएमसीएच में एडमिट कराये गये थे। उसी दिन झारखंड हाईकोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर उन्हें बेल देने से मना कर दिया था। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रार्थी संजीव सिंह की याचिका खारिज कर दी थी।
हॉस्पिटल में एडमिट कराते समय बताया गया था कि संजीव जेल में कुर्सी सेगिर कर घायल हो गये हैं। कोर्ट ने जेल प्रशासन की रिपोर्ट को देखते हुए प्रार्थी को राहत देने से इनकार कर दिया था। जेल प्रशासन ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रार्थी को मेडिकली फिट बताया था। 11 जुलाई से पूर्व मेडिकल बोर्ड ने जांच में संजीव सिंह की स्थिति सामान्य पायी थी। रिपोर्ट में उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं होने की बात बतायी गयी थी। संजीव सिंह पूर्व डिप्टी मेयर व कांग्रेस लीडर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर मामले में अप्रैल 2017 से जल में बंद हैं।