Dhanbad : माले कार्यालय में मारपीट और पत्थरबाजी, सचिव का वाहन क्षतिग्रस्त

धनबाद में माले कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट और पत्थरबाजी हुई। घटना में पार्टी सचिव की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। पढ़ें पूरी खबर Threesocieties.com पर।

Dhanbad : माले कार्यालय में मारपीट और पत्थरबाजी, सचिव का वाहन क्षतिग्रस्त
माले के दो गुट आपस में भिड़े।

धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद में राजनीतिक संत रहे एक्स एमपी और महान विचारक दिवंगत ए के राय के पुराना बाजार टेंपल रोड स्थित ऑफिस में शनिवार की शाम हंगामा और तोड़फोड़ हुआ। गोली-गौलज व पत्थरबाजी होने की भी सूचना है।
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मासस के संस्थापक एके राय साहब की "कुटिया" बन गया भाकपा माले का ऑफिस 
हालांकि उक्त ऑफिस मासस के संस्थापक एके राय साहब का नहीं है। अब यह ऑफिस भाकपा माले का हो गया है। मासस का मामले में विलय हो गया है। एमपी रहते हुए भी एके राय का पुराना बाजार स्थित  "कुटिया" से मोह  कभी भंग नहीं हुआ था। मारपीट करने वाले लोगों में एक्स एमपी एके राय के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखा। एके राय की पार्टी का उनके समर्थकों ने माले में विलय कर लिया है। इस वजह से उनकी "कुटिया" माले का ऑफिस बन गया है। 
धनबाद के माले (भाकपा-माले) के कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस मारपीट और पत्थरबाजी में बदल गयी। घटना के दौरान अफरा-तफरी का माहौल बन गया।प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, किसी आंतरिक विवाद को लेकर यह झड़प हुई। पत्थरबाजी में ऑफिस को भी नुकसान पहुंचा है। वहीं पार्टी सचिव का वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया। घटना के बाद बैंक मोड़ पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को कंट्रोल किया।माले के वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। फिलहाल धनबाद ज़िले में माले के दो विधायक है।
डीओ का कोयला उठाव में वसूली है विवाद की जड़!
बताया जाता है कि विवाद की वजह कोयले का डीओ उठाव में लेन-देन है। दोनों ओर से जमकर मारपीट हुई। पार्टी ऑफिस को भी निशाना बनाया। जानकार सोर्सेज का कहना है कि  बीसीसीएल लोदना एरिया के नॉर्थ तिसरा कोलियरी में डीओ का कोयला उठाव को लेकर राजेंद्र पासवान और सुरेंद्र पासवान के बीच लंबे समय से विवाद  चल रहा था। इस विवाद को खत्म करने के लिए राजेंद्र पासवान के पक्ष से बिंदा पासवान ने बैठक की अध्यक्षता माले के केंद्रीय सचिव हरि प्रसाद पप्पू कर रहे थे। बैठक में पार्टी के अन्य बड़े नेता भी मौजूद थे।
बैठक में राजेंद्र पासवान और सुरेंद्र पासवान दोनों अपने-अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे। बैठक जब शुरू हुई तो माहौल शांत रहा। लेकिन धीरे-धीरे तनाव बढ़ता गया। मामला गाली -गलौज तक पहुंच गया।  इस दौरान ऑफिस में कुर्सियां समेत कई सामान को तोड़ दिया गया। लगभग एक  घंटे तक ऑफिस में अफरा-तफरी मची रही। मारपीट में दोनों पक्ष के कई लोग घायल हुए। 
दोनों पक्ष ने बैंक मोड़ पुलिस स्टेशन में किया कंपलेन
जानकारी के अनुसार कुजामा क्षेत्र में लोडिंग को लेकर चल रहे विवाद को निबटाने के लिए शनिवार को भाकपा माले के सचिव बिंदा पासवान की अध्यक्षता में पुराना बाजार टेंपल रोड स्थित कार्यालय में बैठक चल रही थी। इसमें कुजामा से प्रयेश कुमार पासवान अपने भाई कुंदन पासवान समेत 20 से 25 की संख्या में कार्यकर्ता भी पहुंचे थे। इसमें किसी बात को लेकर विवाद शुरू हुआ। इसके बाद कुजामा से पहुंचे कार्यकर्ताओं ने भाकपा माले सचिव बिंदा पासवान के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी। अन्य कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया। इसके बाद दोनों पक्ष के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गये।
मारपीट घटना के बाद दोनों पक्ष बैंक मोड़ पुलिस स्टेशन पहुंचे व एक-दूसरे के खिलाफ लिखित कंपलेन किया। पुलिस ने घायलों को इलाज के लिए हॉस्पिटल भेजा। एक पक्ष के कुजामा निवासी प्रयेश कुमार पासवान ने उनके और भाई कुंदन पासवान के साथ शशि पासवान, विक्की पासवान, रजत पासवान, बिंदा पासवान, राजेंद्र पासवान, सपन पासवान, राजेंद्र पासवान समेत अन्य द्वारा मारपीट कर घायल करने की कंपलेन बैंक मोड़ पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी है। वहीं दूसरे पक्ष से बेलगड़िया निवासी राजेश बिरूआ ने सुरेंद्र पासवान, कुंदन पासवान, विक्की पासवान, बच्चन बाउरी, विशाल गुप्ता, विजेंद्र पासवान पर मारपीट करने व वाहन क्षतिग्रस्त करने की कंपलेन दर्ज करायी है।
राजनीति के संत एके राय के बारे में जानें
एकीकृत बिहार में ही एके राय ,शिबू सोरेन, एके राय और विनोद बिहारी महतो ने मिलकर चार फरवरी 1973 को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया था। उस समय तीनों नेता बड़े नेता माने जाते थे। झामुमो का गठन झारखंड को बिहार से अलग राज्य बनाने के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए किया गया था, जो 2000 तक बिहार का हिस्सा था।. वैचारिक मतभेद होने पर एके  राय धीरे-धीरे अलग हो गये। उन्होंने  मार्क्सवादी समन्वय  समिति के नाम से अपनी पार्टी बनाई और पार्टी चलाने लगे। धनबाद से तीन बार के सांसद और सिंदरी से तीन बार के विधायक रहे एके  राय ने अपना जीवन ही कोयला मजदूरों के नाम कर दिया था। एके राय ने कभी बतौर एमपी अपना वेतन व एक्स एमपी कभी पेंशन नहीं लिया। संसद सत्र में भाग लेने दिल्ली व ट्रेन के जनरल बोगी में बैठकर जाते थे।