धनबाद: इंस्पेक्टर PK सिंह हैं Encounter Specialist, कहा-पुलिस में गोली चलाने और गोली खाने का विल पावर होना चाहिए

कोयला राजधानी धनबाद में इंस्पेक्टर सह बैंकमोड़ थानेदार डॉक्टर प्रमोद कुमार सिंह की तत्परता व बहादुरी से मंगलवार को मुथूट फिनकॉर्प से करोड़ों की गोल्ड लूट होने की बच गयी। मात्र दो पुलिस जवानों के साथ इंस्पेक्टर ने पांच क्रिमिनलों का मुकाबला किया। एक क्रिमिनल को ढ़ेर कर दिया। दो मौके से दबोच लिये गये।

धनबाद: इंस्पेक्टर PK सिंह हैं Encounter Specialist, कहा-पुलिस में गोली चलाने और गोली खाने का विल पावर होना चाहिए

धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद में इंस्पेक्टर सह बैंकमोड़ थानेदार डॉक्टर प्रमोद कुमार सिंह की तत्परता व बहादुरी से मंगलवार को मुथूट फिनकॉर्प से करोड़ों की गोल्ड लूट होने की बच गयी। मात्र दो पुलिस जवानों के साथ इंस्पेक्टर ने पांच क्रिमिनलों का मुकाबला किया। एक क्रिमिनल को ढ़ेर कर दिया। दो मौके से दबोच लिये गये।

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बकौल प्रमोद सिंह सुबह लगभग10 बजे ड्यूटी के लिए तैयार हो रहे थे। इसी दौरान एक पब्लिक  का कॉल उनके मोबाइल पर आया। बताया कि कतरास रोड गुरुद्वारा के सामने मुथूट फिनकॉर्प में कुछ क्रिमिनल घुस हैं। मैनेजर साहब को थप्पड़ और कट्टा के बट से मारा है। यह सुनते ही इंस्पेक्टर प्रमोद सिंह बिना तैयार हुए जैसे थे, वैसे ही अपने बॉडीगार्ड उत्तम महतो, पुलिस स्टेशन के मुंशी गौतम सिंह एवं कांस्टेबल प्रेम प्रकाश के साथ पैदल ही निकल गये। पुलिस स्टेशन मात्र 150 मीटर की दूरी पर स्थित मुथूट फिनकॉर्प ऑफिस के पास जैसे ही वह पहुंचे, फस्ट फ्लोर से मोर्चा संभाले दो क्रिमिनलों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। इंस्पेक्टर प्रमोद सिंह ने खुद को बचाते हुए तुरंत जवाबी फायरिंग की। गोली सीधे अपराधी के सिर पर लगी और वह वहीं ढेर हो गया। इसके बाद चार अन्य क्रिमिनल  भागने लगे। थानेदार एवं उनके सहयोगी पुलिसकर्मी फस्ट फ्लोर पर पहुंचे। इस बीच दो क्रिमिनलों को काबू करने के लिए उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा। धक्का-मुक्की  होने वलगे। इधर, मौके का फायदा उठाकर दो डकैत भाग खड़े हुए।

पुलिस में गोली चलाने और गोली खाने का विल पावर होना चाहिए

एनकाउंटर के बाद मीडिया से बात करते हुए इंस्पेक्टर पीके सिंह ने कहा कि पुलिस के अंदर गोली खाने और ऐसे क्रिमिनलों को गोली मारने का विल पावर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस हमेशा गोली खाने के लिए पैदा होती है। उन्होंने कहा कि पब्लिक की सूचना पर वह मौके पर पहुंचे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से सूचना देने वाले का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। 

प्रमोद सिंह की एनकाउंटर की लिस्ट

1994 बैंच से सब इंसपेक्टर से प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर डॉक्टर प्रमोद कुमार सिंह अब तक एक दर्जन से अधिक नक्सलियों एवं क्रिमिनलों को इनकाउंटर में ढेर कर चुके हैं। इस कारण, उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार एवं मुख्यमंत्री पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है। प्रमोद सिंह नेतृत्व में पहली बार 2004 में पलामू में नक्सलियों से पुलिस टीम की एनकाउंटर हुई थी। इस एनकाउंटर में 24 नक्सली व क्रिमिनल मारे गये थे। इसके बाद 2006 में उन्होंने एक क्रिमिनल को मार गिराया था, जबकि तीन लोग उनकी गोली से जख्मी हुए थे। उन्हो‍ंने जमशेदपुर में 2011 में चार क्रिमिनलों को मार गिराया था। वर्ष 2018 में उन्होंने सब जोनल कमांडर को एनकाउंटर में मारा था। बैंक मोड़ में फिनकॉर्प को लुटने से बचाकर पीके सिंह के साथ पूरी पुलिस टीम ने अपनी उपलब्धियों की लिस्ट में एक और बड़ी सफलता जोड़ ली है।

जवाबी कार्रवाई में मारा गया क्रिमिनल
बैंक मोड़ थाना प्रभारी प्रमोद कुमार सिंह ने अपनी एकेएम राइफल से एक ही गोली में एक डकैत को मार गिराया। प्रारंभ में डकैतों की ओर से पांच राउंड फायरिंग की गई थी। जवाबी कार्रवाई में उन्होंने भी फायरिंग की। उन्होंने आधुनिक वेरिएंट का एकेएम राइफल AK47 से गोली चलायी है। इसका पूरा नाम कलास्निकोव मॉर्डनाइज्ड ऑटोमेटिक राइफल है। यह 7.62 एमएम असाॅल्ट राइफल है। अभी तक के इस्तेमाल में एकेएम राइफल सबसे सफल राइफल है। 

 पीके सिंह ने नावाडीह में कसी थी नक्‍सल‍ियों पर नकेल

बैंक मोड़ इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार सिंह बतौर सब इंस्पेक्टर बोकारो जिले के नावाडीह में दो बार थानेदार रहे थे।  उन्होंने एरिया में नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाया था। नावाडीह का ऊपरघाट उग्रवादियों के लिए सेफ जोन माना जाता था। बोकारो के तत्कालीन पुलिस कप्तान प्रिया दुबे ने मार्च-2006 में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआइ (अब पुलिस इंस्पेक्टर) प्रमोद कुमार सिंह को नावाडीह थाना का प्रभारी बनाया था। उस समय की गई थी, जब माओवादी नक्सली ऊपरघाट में काफी सक्रिय थे। माओवादियों की ओर से जनअदालत लगाने, एक के बाद एक विध्वंसक घटना अंजाम देने, जगह-जगह पोस्टर चिपकाने आदि वारदात किये जाते थे।प्रमोद कुमार सिंह ने नावाडीह में योगदान देने के बाद सबसे पहले पुलिस-पब्लिक संबंध को मजबूत बनाकर सूचना तंत्र को विकसित किया। पब्लिक का विश्वास जीतने के बाद उन्होंने एक के बाद एक कई हार्डकोर नक्सलियों को दबोचा  था।

एक साल के अंदर दूसरी बार बने नावाडीह थानेदार

नक्सलियों पुलिस को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से पुल-पुलिया के नीचे छिपाकर रखे गये कई लैंडमाइंस उन्होंने बरामद कर उग्रवादियों के मंसूबे को विफल किया था। पहली बार मात्र पांच माह के कार्यकाल में ही ऊपरघाट स्थित चेचरिया जंगल से माओवादियों के एक बंकर से काफी मात्रा में आर्म्स, गोली व अन्य सामग्री बरामद कर एक माओवादी को अरेस्ट सफल हुए थे। इससे बौखलाये माओवादियों ने कंजकिरो स्थित नई बस्ती के समीप एक विध्वंसक घटना को अंजाम दिया था। पुलिस कप्तान ने दिसंबर-2006 में प्रमोद सिंह का टांसफर बोकारो पुलिस लाइन कर दिया गया था। इसके बाद प्रमोद कुमार सिंह को पांच जून-2007 को नावाडीह थाना का प्रभारी बनाया गया था। दूसरी बार पोस्टिंग के बाद उन्होंने सड़क लूट के लिए चर्चित पंद्रह माइल जंगल में एनकाउंटर कर एक क्रिमिनल को ढेर कर दिया था।