धनबाद: प्रबुद्धजनों की संगोष्ठी में बोले मोहन भागवत -ठोस जनसंख्या नियंत्रण कानून बने, जो हर किसी को हो मान्य
RSS सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि अगले 50 वर्ष को ध्यान में रख कर देश में योजना बने। कितनी आबादी को भोजन, आवास सहित अन्य जरूरी साधन उपलब्ध करा सकते हैं, उसी हिसाब से ठोस जनसंख्या नियंत्रण कानून बने। यह कानून हर किसी के लिए मान्य हो। भागवत राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय प्रांतीय बैठक के अंतिम दिन प्रबुद्धजनों की संगोष्ठी में सवालों का जवाब दे रहे थे।
- RSS की तीन दिवसीय बैठक का समापन
- आरएसएस जनसंख्या नीति का विरोधी नहीं
- संघ को महिलाओं से परहेज नहीं
- तालिबान जैसे खतरे खत्म होनेवाले नहीं
- संघ की तुलना किसी से करना गलत
- देश के पांच हजार गांव प्रभात ग्राम के रूप में होंगे विकसित
- महादलितों के सामाजिक, राजनीतिक उत्थान के लिए हो प्रयास
- विद्यार्थी परिषद सहित अनुषंगी संगठनों में महिलाएं निभा रहीं बड़ी जिम्मेदारी
धनबाद। RSS सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि अगले 50 वर्ष को ध्यान में रख कर देश में योजना बने। कितनी आबादी को भोजन, आवास सहित अन्य जरूरी साधन उपलब्ध करा सकते हैं, उसी हिसाब से ठोस जनसंख्या नियंत्रण कानून बने। यह कानून हर किसी के लिए मान्य हो। भागवत राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय प्रांतीय बैठक के अंतिम दिन प्रबुद्धजनों की संगोष्ठी में सवालों का जवाब दे रहे थे।
जनसंख्या नियंत्रण पर प्रश्न का उत्तर देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि वे जनसंख्या नीति के विरोधी नहीं हैं। उनका मानना है कि नीति ऐसी हो जो सब पर समान तरीके से लागू किया जा सके। जब यह पारित हो जाए तब अनुशासन पूर्वक प्रत्येक व्यक्ति पर सख्ती के साथ इसका अनुपालन हो सके। यदि ऐसा नहीं तो सिर्फ नीति निर्माण के लिए एक नीति बना देने का कोई औचित्य नहीं। संघ प्रमुख ने कहा कि हमें जनसंख्या नियंत्रण के लिए ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि नीति की आवश्यकता ही ना रहे। नीति बनाना ही नहीं उसका अनुपालन कराना भी जरूरी है।
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आरएसएस में महिलाओं का प्रवेश वर्जित नहीं
एक प्रश्न के उत्तर में भागवत ने कहा कि महिलाओं के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रवेश वर्जित नहीं है। अधिक से अधिक महिलाएं संघ कार्य सा जुड़ें ऐसी हमारी अपेक्षा है। इसके लिए राष्ट्र सेविका समिति का गठन किया गया है। इससे जुड़कर महिलाएं संघ कार्य कर सकती हैं। इसके साथ ही जितने भी अनुषंगी संगठन है सभी में महिलाएं जुड़कर पुरुष कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। राष्ट्र सेविका समिति के जरिए महिलाएं लगातार इससे जुड़ रही हैं। दुष्प्रचार से बचने तथा महिलाओं के आग्रह पर ही अब तक उन्हें संगठन में सीधे कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गयी है। एक महिला ने सवाल किया कि संघ में महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं दी जाती? इस पर संघ प्रमुख ने कहा- यह सवाल वर्ष 1930 में भी उठा था। उस समय के संघ के गुरुजनों ने बहुत सोच-समझ कर निर्णय लिया था। संघ के अधिकांश स्वयंसेवक खास कर पूर्णकालीन अविवाहित होते हैं। महिलाएं होतीं तो शायद संघ के बारे में ज्यादा दुष्प्रचार होता।आज महिलाएं बहुत बड़ी संख्या में संघ से जुड़ रहीं हैं। राष्ट्र सेविका समिति लगातार महिलाओं के बीच काम कर रही हैं। उन लोगों के आग्रह पर ही अब तक कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गयी है। जब समिति की सदस्य जिम्मेदारी देने का आग्रह करेंगी, उन्हें निश्चित रूप से जिम्मेदारी दी जायेगी।
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उद्योगपति खुद के लाभ के बारे में न सोचें
सरसंघचालक ने कहा कि उद्योगपति केवल अपने बारे में सोचते हैं, यह गलत है। उद्योग का लाभ मजदूरों को भी मिलना चाहिए। हर व्यक्ति अपने को पुण्यात्मा बनाये। इससे बहुत सारी समस्याएं सुलझ जायेंगी।आर्थिक असमानता की चर्चा करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि जो भी सुविधाएं हमें प्राप्त हो रही हैं, हमारा प्रयास होना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक को वह मिले। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रभात ग्राम नाम से एक अभियान शुरू किया है। इसके तहत सुदूरवर्ती गांव में तालाब खोदना व अन्य संसाधन जुटाकर ग्रामीणों को सुविधा संपन्न बनाना और आत्मनिर्भर बनाना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने केंद्र की आर्थिक नीतियों पर कहा कि यदि कोई उद्योग लगता है तो इससे सिर्फ देश की सरकार और उद्योगपतियों को ही लाभ नहीं मिलना चाहिए। बल्कि मजदूरों को भी लाभ मिलना चाहिए। तभी उद्योग लगाने का उद्देश्य सार्थक होगा और अर्थव्यवस्था में भी सुधार आयेगी।
खत्म नहीं होगा खतरा, दुनिया निपटने का तरीका ढूंढें
भागवत ने अफगानिस्तान संकट के बाद दुनिया को तालिबान जैसे खतरों से सचेत किया है। उन्होंने कहा है-दुनिया से खतरों को खत्म नहीं किया जा सकता है। उससे जूझने का जज्बा हमें स्वयं में विकसित करना होगा। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के संदर्भ में स्वयंसेवकों और प्रबुद्धजनों के सवाल का जवाब देते हुए साफ कहा कि दुनिया को खतरों से निपटने के लिए तरीका ढूंढना होगा।
तालिबान जैसे खतरों से निपटने के लिए किया प्रेरित
भागवत ने तालिबान संकट से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए निपटने के लिए एक कहानी सुनाई। कहा-एक राजा था। वह जंगल में शिकार करने गया तो उसे पैर में कांटा चुभ गया। इससे राजा कुपित हुआ और उसने सभी कांटो को समाप्त करने का निर्देश दिया। धड़ाधड़ कांटो के पेड़ काटे जाने लगे। लेकिन अगले वर्ष जब राजा फिर शिकार पर निकला तो उसे फिर से कांटे चुभ गये। तब उसके एक सहायक ने उसे बताया कि कांटे कभी खत्म नहीं होंगे। वह एक तरफ काटे जाएंगे तो दूसरी तरफ उगते जायेंगे। इसलिए कुछ और उपाय अपनाया जाए। उसने राजा को एक जोड़ी जूते दिए जिसे पहनने के बाद कांटा चुभने से बचाव किया जा सकता है। ऐसा कह कर भागवत ने समाज को तालिबान जैसे कांटों से जूझने का सामर्थ्य हासिल करने को प्रेरित किया।
सम्मेलन में साइंटिस्ट, प्रोफेसर, डॉक्टर, समाजसेवी तथा कुछ राजनीतिज्ञों को बुलाया गया था। मोहन भागवत ने कुल 120 लोगों के साथ चर्चा की। प्रतिनिधियों ने अलग-अलग विषयों पर कई सवाल किये, भागवत ने एक-एक कर सबका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जैसे राम-रावण बार-बार पैदा नहीं होते, गंगा जैसी नदी दूसरी नहीं हो सकती, उसी तरह RSS जैसा कोई दूसरा संगठन नहीं हो सकता। यह अतुलनीय है।