धनबाद: छात्रवृत्ति घोटाले में 96 स्कूल संचालकों व नौ लोगों के खिलाफ नेम्ड FIR दर्ज
डीसी उमाशंकर सिंह के निर्देश पर नौ करोड़ 99 लाख रुपये के छात्रवृत्ति घोटाला में 96 स्कूल संचालकों के साथ नौ लोगों के खिलाफ नेम्ड एफआइआर दर्ज कराई गयी है।
- नौ करोड़ 99 लाख रुपये का हुआ है घोटाला
- एक साल में स्कॉलरशीप पाने वाले छात्रों में हुई 404 प्रतिशत की वृद्धि
- मुख्य सरगना चतरा के सादिक ने अपने को बताया अगरबत्ती कारोबारी
- चतरा का गिरोह प्रति छात्र प्राचार्य को देता था 1000, एजेट को 200 से 400 रूपये
- वृद्ध को भी विद्यार्थी दिखाकर किया फर्जीवाड़ा
धनबाद। डीसी उमाशंकर सिंह के निर्देश पर नौ करोड़ 99 लाख रुपये के छात्रवृत्ति घोटाला में 96 स्कूल संचालकों के साथ नौ लोगों के खिलाफ नेम्ड एफआइआर दर्ज कराई गयी है। डीसी के निर्देश पर मामले जांच करने के लिए गठित चार सदस्य टीम ने एक सप्ताह में जांच कर इस मामले की एफआइआर दर्ज करायी है। वहीं जिला कल्याण पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
जांच में एक जनप्रतिनिधि तथा कुछ ऐसे लोगों का नाम भी उजागर हुआ है जिनपर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई है। साथ ही कल्याण विभाग के लिपिक विनोद कुमार पासवान और कम्प्यूटर ऑपरेटर अजय कुमार मंडल की डिसमिसल की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
उक्त जानकारी देते हुए एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) चंदन कुमार ने सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस क्रांफ्रेस में मीडिया को बताया कि छात्रवृत्ति अनियमितता को उजागर करने में धनबाद कि मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है एवं सच्चाई को उजागर किया है। जब यह मामला डीसी की संज्ञान में आया तो उन्होंने चार नवंबर को एडीएम ( एंड ऑर्डर) के नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया। इसमें कार्यपालक दंडाधिकारी गुलजार अंजुम, यूआइडीएआइ अमित कुमार एवं एडीआइओ प्रियांशु कुमार को शामिल किया गया।
एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि समिति ने जब जांच आरंभ की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आने लगे। वर्ष 2018-19 में जहां 2675 छात्रों के बीच एक करोड़ 55 लाख 33 हजार 359 रुपए की स्कॉलरशिप दी गई थी। वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसमें 404 प्रतिशत की वृद्धि के हिसाब से 13506 छात्रों के बीच 11 करोड़ 55 लाख 16 हजार 808 रूपए बांटे गये। एक साल में अचानक 9 करोड़ 99 लाख रुपए की वृद्धि ने संशय पैदा किया।
चतरा का गैंग प्रिंसिपल को देता था एक हजार, एजेेट को 200 से 400 रूपये
इस पूरे प्रकरण में चतरा का गैंग शामिल है। गिरोह में सादिक उर्फ साहिल, अफजल फैसल ने एक लोकल एजेंट बनाया था। लोकल एजेंट स्कूल के प्रिंसिपल या नोडल अफसर को प्रति छात्र ₹1000 देता था। वहीं एजेंट को 200 से ₹400 दिए जाते थे। जिसका साक्ष्य लेन-देन में उजागर हुआ है। वहीं मुख्य सरगना सादिक ने अपने को अगरबत्ती कारोबारी बताया था। उसके ग्रुप में 20 से 25 ऑपरेटर हैं। गैंग ने झारखंड के धनबाद, साहिबगंज सहित बिहार में भी इस तरह के घोटाले किए हैं। जांच में गैंग की सबीना, नाज़नी, तौसीफ, ताबीज, सोहेल इत्यादि के बारे में भी जानकारी मिली है जो एजेंट के रूप में विभिन्न विद्यालयों से आवेदन कलेक्ट करते थे। फर्जी अकाउंट और फर्जी आधार नंबर के सहारे राशि को ट्रांसफर कराते थे।
वृद्ध को भी स्टूडेंट दिखाकर किया फर्जीवाड़ा
नौ करोड़ 99 लाख के इस फर्जीवाड़े में गिरोह ने वृद्ध को भी विद्यार्थी दिखाया और राशि का गबन किया। वहीं संबंधित पदाधिकारी ने कथित विद्यार्थियों की आयु का सत्यापन भी नहीं किया। एक साल में राशि में 10 गुना वृद्धि होने पर भी किसी प्रकार का विरोध करने या मामले की जांच करने या वरीय पदाधिकारियों को सूचित करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
जिन लोगों के खिलाफ दर्ज करायी गयी एफअइआर
96 स्कूल के प्रिंसिपल या नोडल अफसर के अलावे क्लर्क विनोद कुमार पासवान, कंप्यूटर ऑपरेटर अजय कुमार मंडल, एडवोकेट गुलाम मुस्तफा, जेनेसिस पब्लिक स्कूल मैरनवाटांड के प्रताप जसवार, नीलोफर परवीन, संतोष विश्वकर्मा, अब्दुल हमीद, झरीलाल महतो जीवीएम पब्लिक स्कूल, कलीम अख्तर गुरुकुल विद्या निकेतन भौंरा नंबर 9 के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गयी है। इन सभी पर आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120 बी, 34 तथा आईटी एक्ट में जिले के सभी प्रखंड एवं झरिया अंचल में संबंधित बीडीओ व सीओ द्वारा केस दर्ज कराई गई है।