धनबाद:कोरोना काल PMCH में निस्वार्थ सेवा वायरोलॉजिस्ट रितिका को मिलेगा पारिश्रमिक, DC ने दिया आदेश
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण काल में धनबाद की बेटी वायरोलॉजिस्ट रीतिका ठाकुर (28) ने एक मिसाल पेश की है। वह पीएमसीएच में अप्रैल माह से बिना पारिश्रमिक लिए निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देती आ रही हैं।
- वायरोलॉजिस्ट रीतिका ठाकुर स्वेच्छा से PMCH में अप्रैल माह से निस्वार्थ भाव से दे रही हैं सेवा
धनबाद। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण काल में धनबाद की बेटी वायरोलॉजिस्ट रीतिका ठाकुर (28) ने एक मिसाल पेश की है। वह पीएमसीएच में अप्रैल माह से बिना पारिश्रमिक लिए निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देती आ रही हैं। डीसी उमाशंकर सिंह ने रीतिका के इस कार्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पीएमसीएच के प्रिंसिपल तथा माइक्रोवायोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. बीके सिंह को अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2020 तक का पारिश्रमिक देने के लिए राशि का निर्धारण करने का निर्देश दिया है।
डीसी ने 23 जुलाई तक राशि का निर्धारण करने और जिला प्रशासन से राशि मिलने के बाद उस राशि को अविलंब रीतिका ठाकुर के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है। वायरोलॉजिस्ट रीतिका पिछले तीन माह से पीएमसीएच के माइक्रो बायोलॉजी डिपार्टमेंट में स्वाब जांच करने में सहयोग कर रही हैं। वह पर डे लैब खुलते ही पीएमसीएच पहुंच जाती हैं। शाम तक हॉस्पीटल के मेडिकल स्टाफ के साथ काम करती हैं। धनबाद के नये डीसी उमाशंकर सिंह रविवार को जब हॉस्पीटल का निरीक्षण करने पहुंचे तो उनकी मुलाकात रीतिका से हुई। रीतिका से मिलकर डीसी काफी प्रभावित हुए व उनकी सराहना करते हुए उन्हें चाय पर बुलाया।
रीतिका खुद से काम करने की जातई थी इच्छा
रीतिका वर्ष 2017 में मणिपाल यूनिवर्सिटी से एमएससी पास की हैं। इसके बाद इंडियन स्कूल ऑफ वायरोलाजिस्ट कोलकाता में रिसर्च कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मार्च में वह कोलकाता से धनबाद आई थी। लॉकडाइन होने के कारण यही रह गई। इसी बीच जिले में कोरोना वायरस संक्रमण का फैलाव शुरू हो गया। वह पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ. शैलेंद्र कुमार से मिली और काम करने की इच्छा जाहिर की। इसपर प्रिंसिपल ने स्वीकृति लेकर काम करने की इजाजत दे दी।
वायरस के समझना और उसपर रिसर्च करना है पसंद
रीतिका ठाकुर के पिता ज्ञानेश्वर कुमार बीसीसीएल स्टाफ हैं। रीतिका अपने फैमिली के साथ सिटी सेंटर के पास रहती हैं। वह तहती हैं कि पहले से वायरस पर काम करते आ रही हूं। इसलिए वायरस के समझना और फिर उसपर रिसर्च करना उन्हें पसंद हैं। उनका कहना है कि रोज पीएमसीएच के लैब से लौटने के बाद वह सैनिटाइज होती हैं। घर पहुंचने पर फैमिली से दूरी बनाकर रहती हैं। ताकि उनको संक्रमण के खतरे से दूर रख सकूं।