झारखंड के शराब कारोबारी तिवारी ब्रदर्स को ED ने भेजा नोटिस, 19 कंपनियों की मनी लांड्रिंग की जांच शुरु
ईडी ने झारखंड- बिहार के शराब कारोबारी ब्रदर्स योगेंद्र तिवारी व उनके भाई अमरेंद्र तिवारी को समन जारी किया है। यह शराब के कारोबार में मनी लांड्रिंग से संबंधित है। इससे संबंधित 19 कंपनियों के खिलाफ ईडी की जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि सभी कंपनियां एक-दूसरे से जुड़ी हैं। जिसका नियंत्रण तिवारी बंधुओं के पास है।
रांची। ईडी ने झारखंड- बिहार के शराब कारोबारी ब्रदर्स योगेंद्र तिवारी व उनके भाई अमरेंद्र तिवारी को समन जारी किया है। यह शराब के कारोबार में मनी लांड्रिंग से संबंधित है। इससे संबंधित 19 कंपनियों के खिलाफ ईडी की जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि सभी कंपनियां एक-दूसरे से जुड़ी हैं। जिसका नियंत्रण तिवारी बंधुओं के पास है।
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ईडी ने समन जारी कर यह जानकारी मांगी है कि मनी लांड्रिंग में उनकी कितनी संलिप्तता है, इसकी जानकारी दें। संभावना है कि ईडी इस केस से जुड़े कई अन्य लोगों को भी समन जारी कर सकता है। विदित हो कि नई उत्पाद नीति लागू होने से पहले शराब की बिक्री निजी हाथों में थी, जिसपर कुछ चुनिंदा लोगों की कंपनियों के ही वर्चस्व की जानकारी ईडी को मिली थी। इसके बाद ईडी ने ऐसी ही कुछ कंपनियों के बैंक अकाउंट्स का पता लगाया। इसमें जानकारी मिली कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के शुरूआती दौर में उक्त बैंक अकाउंट्स में जो राशि थी, शराब दुकान संचालन के बाद कुछ ही दिनों में उस अकाउंट्स से करोड़ों रुपये के लेन-देन होने लगे। ईडी की टीम इसे भी मनी लांड्रिंग के एंगल से देख रही है।
झारखंड के बड़े शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी और उनके भाई अमरेंद्र तिवारी से ईडी यह पूछताछ करेगी की कि वह शराब कारोबार के जरिए मनी लाउंड्रिंग में शामिल तो नहीं हैं। दोनों से पूछताछ के बाद शराब कारोबार से जुड़े अन्य कई लोगों को भी नोटिस किया जा सकता है, जिनके नाम पर पिछले वित्तीय वर्ष में कई कंपनियां बनाकर राज्य में शराब के ठेके लिय गये थे। ईडी अफसरों के अनुसार अबतक 19 कंपनियां एजेंसी के रडार पर हैं। ये सारी कंपनियों एक दूसरे से जुड़ी हुई है। सभी पर योगेंद्र तिवारी का ही नियंत्रण बताया जाता है। योगेंद्र तिवारी से जुड़ी कुछ फाइनेंस कंपनियों की भी जांच ईडी कर रही है।
थोक बिक्री नियमावली के विरोध के बाद ईडी ने शुरू किया था जांच
ईडी ने खुदरा शराब दुकानदार संघ के पीआइएल के आधार पर पूरे मामले की जांच शुरू की है। संघ ने थोक बिक्री नियमावली का विरोध किया था और हाई केार्ट में पीआइएल दायर कर इस नियमावली को चुनौती दी थी। आरोप था कि कुछ खास लोगों को ही लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से थोक बिक्री नियमावली लाई गई और इसका लाभ पूंजीपतियों को मिला।
कम बैलेंस पर खाते खुले, फिर करोड़ों का ट्रांजेक्शन
ईडी अफसरों के अनुसार, बीते वित्तीय वर्ष में झारखंड में ऑक्शन के जरिए शराब गोदाम व थोक कारोबार निजी कंपनियों को दिया गया था। राज्य में शराब कारोबार से जुड़े एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि शक्तिशाली लोगों ने शराब कारोबार पर कब्जा किया, इसके बाद अधिकतर जिलों में इन कार्टेल ने शराब का ट्रेडिंग लाइसेंस ले लिया।इन निजी कंपनियों के बैंक अकाउंट्स के प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आयी कि अधिकतर कंपनियों के बैंक अकाउंट वित्तीय वर्ष 2021- 22 की पहली तिमाही में मामूली रकम के साथ खोले गये थे। लेकिन कुछ ही दिनों में इन बैंक अकाउंट्स में करोड़ों रुपये जमा किए गए, साथ ही इन पैसों को अलग अलग कंपनियों में ट्रांसफर भी किया गया।
रिटेलर एसोसिएशन की शिकायत व पीआईएल बना आधार
झारखंड में में शराब कारोबार को लेकर रिटेलर एसोसिएशन ने शिकायत की थी। वहीं हाईकोर्ट में पीआईएल भी दायर किया गया था, जिसमें शक्तिशाली लोगों के समूह के द्वारा शराब कारोबार को कब्जाने और अवैध तरीके से निवेश का जिक्र किया गया था। ईडी ने इसे ही आधार बनाते हुए जांच शुरू की है।
बिहार से भी जुड़े हैं तार
ईडी ने बिहार में अवैघ शराब के कारोबार को लेकर भी अलग से जांच शुरू की है। बिहार में शराबबंदी के बाद झारखंड से भारी मात्रा में शराब की तस्करी होती है। आरोप है कि झारखंड में बड़े शराब माफिया बिहार में तस्करी में संलिप्तता हैं। ऐसे में ईडी ने इन पहलुओं पर अलग से जांच शुरू किया है।