पंजाब के एक्स सीएम प्रकाश सिंह बादल का निधन,पीएम व प्रसिडेंट ने जताया शोक
पंजाब के एक्स सीएम व शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार की रात निधन हो गया। 95 साल के प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के सीएम रहे। कुछ दिन पहले तबीयत खराब होनेके चलते प्रकाश सिंह बादल को मोहाली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में 16 अप्रैल को ए़डमिट कराया गया था,जहां उनका इलाज चल रहा था। सें
- प्रसिडेंट, पीएम समेत राजनेताओं ने जताया शोक
चंडीगढ़। पंजाब के एक्स सीएम व शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार की रात निधन हो गया। 95 साल के प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के सीएम रहे। कुछ दिन पहले तबीयत खराब होनेके चलते प्रकाश सिंह बादल को मोहाली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में 16 अप्रैल को ए़डमिट कराया गया था,जहां उनका इलाज चल रहा था।
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प्रकाश सिंह बादल का जन्म आठ दिसंबर 1927 को पंजाब के गांव अबुल खुराना के जाट सिख फैमिली में हुआ था। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल उनके बेटे हैं।आठ दिसंबर, 1927 को पंजाब के फाजिल्का जिले के अबुल खुराना गांव में प्रकाश सिंह बादल का जन्मह हुआ था। उन्होंने 1947 में शिरोमणि अकाली दल (SAD) पार्टी के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। बादल के परिवार मेंउनके बेटे व अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और बेटीपरनीत कौर हैं। बेटी की शादी एक्स कैबिनेट मिनिस्टर आदिश प्रताप सिंह कैरों से हुई है। बादल की वाइफ सुरिंदर कौर बादल का मई 2011 में कैंसर के कारण निधन हो गया था।
13 बार लड़ा विधानसभा का चुनाव
प्रकाश सिंह बादल 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान, राज्य में सबसे उम्र के कैंडिडेट थे। दिवंगत सांसद जगदेव सिंह खुदियान के बेटे गुरगुमीत सिंह खुदियान से चुनाव हार गये थे। यह बादल का 13वां विधानसभा चुनाव था। चुनाव परिणामों के बाद, बादल राजनीतिक रूप सेकम सक्रिय हो गये थे। हालांकि उन्होंने लांबा में अपना थैंक्सगिविंग दौरा शुरू किया था, लेकिन वह भी बीच में ही रद्द कर दिया गया था। बादल इससे पहले भी कई रिकॉर्ड बना चुके थे। 1952 में बादल गांव से चुने जाने पर वह सबसे कम उम्र के सरपंच थे। वह 1970 में स्टेट के सबसे कम उम्र के सीएम भी बने। वह 2012 में सबसे उम्रदराज सीएम भी बने।
पांच बार रहे पंजाब के सीएम
प्रकाश सिंह बादल ने आजादी के वर्ष 1947 में शिरोमणि अकाली दल (SAD) पार्टी के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। बादल अपने राजनीतिक जीवन में पांच बार पंजाब के सीएम बने। उन्होंने पहली बार 1970 से 1971 तक, फिर 1977 से 1980 तक, उसके बाद 1997 से 2002 तक तीसरे कार्यकाल और फिर 2007 से 2012 और 2012 से 2017 तक कुल पांच बार सीएम पद संभाला। वह लोकसभा के सदस्य भी रहे। प्रकाश सिंह बादल 1977 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय कृषि एवं सिंचाई मंत्री भी रहे।
जमींदार फैमिली में हुआ था जन्म
प्रकाश सिंह बादल ल का जन्म एक जमींदार किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने लाहौर (अब पाकिस्तान में) में फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज सेबी.ए. की डिग्री हासिल की थी। राजनीति मेंउनका पहला प्रवेश 1947 में हुआ जब वे अपने गांव के नेता चुने गये। 1957 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी) के सदस्य के रूप में पंजाब विधान सभा के लिए चुने गये थे। उन्होंने कुछ साल बाद पंजाब के सीएम के साथ मतभेदों को लेकर पार्टी छोड़ दी। इसके बाद शिरोमणि अकाली दल (SAD) में शामिल हो गये। बादल को 1967 के राज्य विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने 1969 के विधानसभा चुनाव में अपनी सीट जीतकर वापसी की। पंजाब की की शिअद के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गये। एक साल बाद उन्हें सीएम नामित किया गया। हालांकि, उनका कार्यकाल केवल एक वर्ष तक चला, क्योंकि पार्टी अंदरूनी कलह से घिरी हुई थीऔर सरकार को भंग कर दिया गया था।
कई बार पंजाब विधान सभा के लिए चुनेगए
प्रकाश सिंह बादल 1969 से 2012 तक बार-बार पंजाब विधान सभा के लिए चुने गये। 1992 एकमात्र अपवाद था। उस साल अकाली दल ने राज्य के चुनावों का बहिष्कार किया था। बादल को कई बार जेल भी हुई, जिसमें 1975-77 के आपातकाल के दौरान एक खंड भी शामिल है। 1977 की शुरुआत में वे लोकसभा के लिए चुने गये। पीएम मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर बादल का कार्यकाल छोटा था, क्योंकि अकाली दल ने जोर देकर कहा कि वह पंजाब की राजनीति में लौट आयें। इसके तुरंत बाद उन्होंने सीएम के रूप मेंअपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया।
कई बार जेल भी गये बादल
पंजाब में जब अधिक स्वायत्तता के लिए सिख आंदोलन चरम पर था तब, 1980 के दशक में प्रकाश सिंह बादल कई बार जेल गये। बादल को पंजाब से पड़ोसी राज्य हरियाणा मेंनदी के पानी को मोड़ने की योजना के विरोध में अरेस्ट किया गया था। दूसरी बार उन्होंनेएक विरोध प्रदर्शन के दौरान भारत के संविधान के पन्नों को फाड़ दिया था, हालांकि बाद में उन्होंने ऐसा करने के लिए माफी मांगी। उन्होंने 1985 के राज्य विधानसभा चुनावों में अपनी सीट वापस जीत ली। लेकिन उनकी पार्टी के एक साथी सुरजीत सिंह बरनाला को सीएम नामित किया गया था।प्रकाश सिंह बादल को 1996 में काली दल का अध्यक्ष चुना गया। अगले वर्ष SAD ने राज्य विधानसभा चुनावों मेंबड़ी संख्या मेंसीटें हासिल कीं। बादल तीसरी बार सीएम बने। उन्होंने पहली बार अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। 2002 के विधानसभा चुनावों में एसएडी को कांग्रेस पार्टी से हारने के बाद, उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा।
लगातार दो बार बने थे पंजाब के सीएम
अकाली दल 2007 के चुनावों में बीजेपी के साथ गठबंधन किया और विधानसभा सीटों में पर्याप्त बहुमत हासिल किया। बादल को फिर सीएम बने। एक बार फिर उन्होंने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया। 2012 के विधानसभा चुनावों मेंभी दोनों पार्टियां सहयोगी रहीं और फिर सेबहुमत हासिल किया। बादल, अपने पद को बरकरार रखते हुए, पंजाब में सीएम के रूप में लगातार दो बार सेवा करने वाले पहले व्यक्ति बने। वह देश के सबसे उम्रदराज सीएम भी बने थे।प्रकाश सिंह बादल ने 2008 में पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल ने उनकी जगह ली थी। 2012 के अभियान के दौरान, वरिष्ठ बादल ने घोषणा की कि यह उनका अंतिम चुनाव होगा लेकिन उन्होंने पिछले साल भी चुनाव लड़ा था।