गिरिडीह: फेल हो गई सारी सेटिंग-गेटिंग तो अब ढूंढ रहे गांव-जवारी से रिश्ता... पशोपेश में हैं सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर
पुलिसिंग के मामले में झारखंड का गिरिडीह जिला रोज नये एग्जांपल सेट कर रहा है। जिले में पोस्टिंग के साथ ही युवा एसपी दीपक कुमार शर्मा ने जहां अवैध कोयले के कारोबार पर शिकंजा कस कानून को ठेंगे पर लेकर चलने वालों को सीधा कर दिया, वहीं अब एक बार फिर यह जिला पुलिस विभाग में पोस्टिंग चर्चा का विषय बना है। चर्चा इसलिए, क्योंकि यहां आकर अच्छे अच्छों की घिग्गी बंधती नजर आ रही है।
- मिसाल बन रहा है गिरिडीह जिला पुलिस की कार्यप्रणाली
गिरिडीह। पुलिसिंग के मामले में झारखंड का गिरिडीह जिला रोज नये एग्जांपल सेट कर रहा है। जिले में पोस्टिंग के साथ ही युवा एसपी दीपक कुमार शर्मा ने जहां अवैध कोयले के कारोबार पर शिकंजा कस कानून को ठेंगे पर लेकर चलने वालों को सीधा कर दिया, वहीं अब एक बार फिर यह जिला पुलिस विभाग में पोस्टिंग चर्चा का विषय बना है। चर्चा इसलिए, क्योंकि यहां आकर अच्छे अच्छों की घिग्गी बंधती नजर आ रही है।
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एसपी दीपक कुमार शर्मा रोज अपने फैसलों से जहां विभाग और आम जनता का दिल जीत रहे हैं, वहीं आलोचकों के मुंह पर ताला भी लगा रहे। जिले में थानेदारों की पोस्टिंग में अपनाये जा रहे एसपी की मापदंड से पुलिस इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टरों में बड़ी परेशानी देखी जा रही है। पहले दारोगा व इंसपेक्चर एसपी आवास की परिक्रमा करता था, चार-पांच जगहों से पैरवी पत्र लाता था, उसे ही इन थानों में प्रभारी बनाकर भेजा जाता था। डीएसपी से प्रमोशन पाकर एसपी बने दीपक शर्मा इस मामले में बेवाक हैं। एसपी के ऐसे निर्णय की तारीफ करते उनके आलोचक भी नहीं थक रहे हैं।
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फरवरी माह के प्रारंभ में स्टेट में तीन हजार से ज्यादा पुलिस इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टरों का ट्रांसफर किया गया। सैकड़ों पुलिस अफसर च्वाइस पोस्टिंग में गये। गिरिडीह जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद यहां आने के लिए कई पुलिस अफसरों ने च्वाइंस पोस्टिंग दी।कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब यहां आकर उनकी सारी सेटिंग गेटिंग फेल हो गई। व्यवहार से बेहद सौम्य, लेकिन विभाग के जौहरी कहे जाने वाले पुलिस कप्तान दीपक कुमार शर्मा ने स्पष्ट कर दिया है कि जिले में पोस्टिंग काम के आधार पर दी जायेगी, चेहरा या नाम देखकर नहीं। जिनकी फाइल में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा दिखेगी उन्हें ही थानेदारी मिलेगी। गिरिडीह में 126 एसआइ और सात पुलिस इंस्पेक्टरों का दूसरे जिलों से ट्रांसफर हुआ है। इतने ही पुलिस इंस्पेक्टर व सब इंसपेक्टरों को गिरिडीह जिला बल में भेजा गया है। छह पुलिस इंस्पेक्टर व लगभग एक सौ सब इंस्पेक्टरों ने जिले में योगदान भी दे दिया है।
एसपी दीपक कुमार शर्मा का कहना है कि डाउन द लाइन जिनकी फाइल में ईमानदारी रहेगी, उनकी छवि अपने आप अच्छी हो जा/sगी। जनता के बीच बढ़िया मैसेज भी जायेगा। एसपी ने कहा कि यहां पर पैरवी और थैली संस्कृति न पहले चली है और ना ही आगे कभी चलेगी। ऐसे में जिनकी प्लानिंग फेल हो गई, वह अब जिला व गांव-जवारी से रिश्ता जोड़ रहे। पता लगाने में जुटे हैं कि अब परिवार में किस से प्यार भी कराई जाए कि एसपी के चहेते बन जाएं और मनचाही पोस्टिंग मिल जाए। दो सब इंस्पेक्टर को एसपी के पैतृक जिले का होने का दावा कर जीटी रोड की थानेदारी चाह रहे थे। दोनों को थानेदारों की पोस्टिंग की पहली लिस्ट में जगह नहीं मिली है। बहरहाल गिरिडीह जिले में यह फिलहाल संभव तो नहीं दिख रहा... आगे-आगे देखना है, होता है क्या!
अवैध कोयला,बालू और गो तस्करी के कारोबार पर भी कसा शिकंजा
दीपक कुमार शर्मा गिरिडीह में बतौर एसपी पदस्थापित होने से पूर्व सरिया बगोदर क्षेत्र के एसडीपीओ भी रह चुके हैं। अनुमंडल से जिला स्तर तक काम करने का उनके पास लंबा अनुभव है। यही वजह है कि बतौर पुलिस कप्तान जब उन्होंने कमान संभाली तो न सिर्फ अवैध कोयले के कारोबार, बल्कि आर्थिक अपराध से जुड़े अन्य तमाम बिजनस पर रोक लग गई। अवैध कोयला, बालू, गो-तस्करी करने वालों पर लगातार शिकंजा कस रहा है। साइबर क्राइम में भी जामताड़ा के बाद कुख्यात हो रहे गिरिडीह की छवि सुधारने को लेकर एसपी दीपक कुमार शर्मा की ओर से किये गये प्रयासों ने उन्हें पुलिस हेडक्वार्टर तक चर्चा में ला दिया। सीनीयर पुलिस अफसर एसपी की कार्यशैली की खूब प्रशंसा कर रहे हैं।
लिंक तलाश रहे नई पुलिस इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर
पिछले दिनों हुए ट्रांसफर के बाद जिनकी दाल नहीं गलती नजर आ रही, वह अब एसपी से पैरवी के लिए लिंक तलाशते नजर आ रहे हैं। एसपी के परिचितों और करीबियों तक पहुंच बनाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि एसपी को करीब से जानने वाले पूरी निश्चिंतता के साथ यह बात कहते हैं कि गिरिडीह जिले में इनमें से कोई तरकीब काम नहीं आने वाली। कोई सेटिंग-गेटिंग नहीं चलेगी।
जो कॉन्फिडेंट थे, वह खड़े हैं कतार में
सिर्फ काम के आधार पर थानेदारी देने के ही एसएसपी के निर्णय की तारीफ नहीं हो रही, बल्कि यह भी चर्चा का विषय बना है कि जो अपनी राजनीतिक पकड़ व अन्य कारणों से बेहतर जगह प्रतिनियुक्ति को लेकर पहले से कॉन्फिडेंट थे, वह अभी एसएसपी के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में विभागीय पदाधिकारी और कर्मी ही उम्मीद जता रहे हैं कि जल्द जिले की पुलिसिंग में नये बदलाव और सुधार देखने को मिलेंगे।