कोरोना के नये स्ट्रेन को लेकर गवर्नमेंट पूरी तरह सचेत, संक्रमितों का पुराने तरीके से ही होगा इलाज, वैक्सीन भी है कारगर
कोरोना के नये स्ट्रेन की इंडिया मे इंट्री के साथ ही सेंट्रल गवर्नमेंट पूरी तरह सचते हो गयी है। गवर्नमेंट ने कहा है कि कोरोना वायरस के नये स्वरूप के खिलाफ भी मौजूदा वैक्सीन कारगर होंगी।
- जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए 10 सरकारी प्रयोगशालाओं का समूह गठित
नई दिल्ली। कोरोना के नये स्ट्रेन की इंडिया मे इंट्री के साथ ही सेंट्रल गवर्नमेंट पूरी तरह सचते हो गयी है। गवर्नमेंट ने कहा है कि कोरोना वायरस के नये स्वरूप के खिलाफ भी मौजूदा वैक्सीन कारगर होंगी। अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है कि अभी जो वैक्सीन विकसित की जा रही हैं, वो ब्रिटेन या दक्षिण अफ्रीका में पाये गये कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन के खिलाफ काम नहीं करेंगी।
प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने दावा किया कि ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में वायरस में आये म्यूटेशन का प्रभाव वैक्सीन पर नहीं पड़ेगा। वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर आधारित वैक्सीन भी कारगर रहेगी।क्योंकि यह शरीर में पूरे स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करती है। जबकि वायरस में म्यूटेशन से स्पाइक प्रोटीन के कुछ भागों में ही परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन फेल हो जायेगी। ब्रिटेन में पाया गया वायरस का नया वैरिएंट अधिक संक्रामक है। लेकिन चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
कोवैक्सीन भी होगी कारगर
स्वदेशी टीका कोवैक्सीन विकसित करने वाली हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक के चेयरमैन और एमडी कृष्ण एल्ला ने कहा है कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ उनकी वैक्सीन काम कर सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस में बहुत ज्यादा बदलाव होने की उम्मीद है। आप निश्चिंत हो सकते हैं कि यह टीका भी रक्षा करेगा। वैक्सीन में दो ऐसे निष्कि्रय घटक हैं जो बदलाव के खिलाफ कारगर होंगे।गवर्नमेंट ने साफ किया है कि वायरस के नये स्वरूप से संक्रमित लोगों के इलाज भी पुराने प्रोटोकॉल के हिसाब से ही किया जायेगा।फिलहाल इसमें बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। नोडल एजेंसी आइसीएमआर यह पता लगाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है कि म्यूटेशन के कारण मौजूदा इलाज में बदलाव की जरूरत है या नहीं। आइसीएमआर कोरोना आने वाली वैक्सीन पर पड़ने वाले प्रभाव पर नजर रखेगी।
अलग-अलग भागों में स्थित प्रयोगशालाओं को शामिल किया गया
हेल्थ सेकरेटरी राजेश भूषण ने बताया कि देश में पांच परसेंट कोरोना पॉजिटिव मामलों के जीनोम सिक्वेंसिंग कराने का फैसला पहले ही कर लिया गया था। इसी को ध्यान में रखते हुए समूह में देश अलग-अलग भागों में स्थित प्रयोगशालाओं को शामिल किया गया है। इन प्रयोगशालाओं में पहले से ही जीनोम सिक्वेंसिंग का काम हो रहा था। अब तक पांच हजार से अधिक कोरोना वायरस के जीनोम सिक्वेंसिंग का काम हो भी चुका है।
म्यूटेशन के प्रभाव पर नजर
नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) डॉ. वीके पॉल के अनुसार कोरोना वायरस में म्यूटेशन पर नजर रखने के साथ ही संक्रमित लोगों की बीमारी पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का भी आकलन किया जा रहा है। आइसीएमआर को इसके लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।डॉ. पॉल ने कहा कि नए स्वरूप से तेजी से संक्रमण फैल रहा है। यह घातक नहीं भी हुआ तब भी ज्यादा लोगों के संक्रमित होने से गंभीर पेसेंट की संख्या भी बढ़ जायेगी। उनके लिए इलाज की सुविधाएं तैयार करनी पड़ेगी।
सरकार ने शुरू की पहल
सह-यात्रियों, पारिवारिक संपर्को और अन्य लोगों का पता लगाने के लिए व्यापक अभियान।
जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए 10 सरकारी प्रयोगशालाओं का समूह गठित।
ब्रिटेन से लौटे सभी संक्रमितों के सैंपल के जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे गये।
नए स्वरूप के प्रभाव पर नजर रखने के लिए आइसीएमआर को नोडल एजेंसी बनाया गया।
वैक्सीन आने तक नए स्ट्रेन के प्रसार को रोकने के लिए कोरोना गाइडलाइंस को सख्ती से लागू करने पर जोर।
जरूरत पड़ने पर राज्यों को रात का कर्फ्यू लगाने जैसे सख्त उपाय करने की भी सलाह।
जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली 10 सरकारी प्रयोगशालाएं
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स, कोलकाता
जीव विज्ञान संस्थान, भुवनेश्वर
राष्ट्रीय विषाणुविज्ञान संस्थान, पुणे
कॉलेज ऑफ कंप्यूटर साइंस, पुणे
कोशिका एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र, हैदराबाद
सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स, हैदराबाद
स्टेम सेल विज्ञान और पुनर्योजी चिकित्सा के लिए संस्थान, बेंगलुरु
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान अस्पताल, बेंगलुरु
इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, दिल्ली
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, दिल्ली
देश के विभिन्न राज्यों में ब्रिटेन से आये छह लोग कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन से संक्रमित पाये गये हैं। संबंधित स्टेट में बने कोरोना केयर सेंटर में इन्हें सिंगल रूम आइसोलेशन में रखा गया है। उक्त संक्रमित लोगों के निकट संपर्क में आए लोगों को भी क्वारंटाइन किया गया है। साथ ही ब्रिटेन से आने वाले इनके सह-यात्रियों, पारिवारिक संपर्को और अन्य लोगों का पता लगाने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया गया है।
सेंट्रल हेल्थ मिनिस्टरी के अनुसार 25 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच ब्रिटेन से कुल 33 हजार पैसेंजर्स देश आय थे। इन सभी की आरटी-पीसीआर जांच की गई, जिनमें कुल 114 लोग पॉजिटिव पाये गये थे। इन सभी के सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए विशेष रूप से गठित 10 सरकारी प्रयोगशालाओं के समूह को भेजा गया था। इनमें से बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान अस्पताल (निमहांस) में तीन, हैदराबाद स्थित कोशिका एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र में दो और राष्ट्रीय विषाणुविज्ञान संस्थान (एनआइवी) में एक सैंपल में कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन को पाया गया।