झारखंड से 250 गाड़ियां लेकर फरार हुई गुजरात की ट्रांसपोर्ट कंपनी
गुजरात की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी ने झरिया कतरास बोकारो व गिरिडीह सहित अन्य क्षेत्रों के लगभग 60 वाहन मालिकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है।
- बड़ी रकम देकर किराये पर लगाने का दिया था लालच
- कंपनी ने झारखंड के 60 वाहन मालिकों को ठगा
- भाड़े पर लगाने का लालच देकर ली गाड़ी
- कुछ ही महीने में हो गयी फरार
धनबाद। गुजरात की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी ने झरिया कतरास बोकारो व गिरिडीह सहित अन्य क्षेत्रों के लगभग 60 वाहन मालिकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। एक कंपनी 60 लोगों से 250 वाहन लेकर गायब हो गई।कंपनी ने पहले इन वाहन मालिकों को भाड़े पर गाड़ी देने को राजी किया और कुछ ही महीने बाद गाड़ियां लेकर फरार हो गयी।
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पीड़ित वाहन मालिकों ने इसकी शिकायत झरिया पुलिस स्टेशन में किया है। पुलिस से न्याय की गुहार लगाई। अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला। गुजरात के भावनगर की वैष्णवी ट्रांसपोर्ट कंपनी ने झरिया, कतरास, बोकारो व गिरिडीह सहित अन्य क्षेत्रों के लगभग 60 वाहन मालिकों को भाड़े पर गाड़ी देने को राजी किया था। इसके एवज में प्रतिमाह किराये के रूप में मोटी रकम देने व किस्त चुकाने का भी लालच दिया था।
लोगों ने झांसा में आकर फाइनेंसर के जरिए वाहन खरीदकर कंपनी को दे दिया। कुछ माह तक सब ठीक चला। फिर देखते ही देखते कंपनी सारे वाहनों को लेकर फरार हो गयी। इस कंपनी ने तीन माह की किस्त भी जमा नहीं की। इसके बाद फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों का फोन वाहन मालिकों को आने लगा। भुक्तभोगियों ने इसकी जानकारी ट्रांसपोर्ट कंपनी के अफसरों से लेना चाही, लेकिन किसी ने फोन नही उठाया। इस बाद वे समझ गये कि उसके साथ ठगी हुई है।
कंपनी ने सभी लोगों को फाइनेंसर के माध्यम से वाहन खरीदकर चलाने का लालच दिया। इसके एवज में महीने में बंधी-बंधाई रकम देने और किस्त भी चुकाने की बात कही थी। लोगों ने झांसे में आकर फाइनेंसर के जरिए धड़ाधड़ वाहन खरीदकर दे दिया। बाद में कंपनी सभी वाहनों को लेकर फरार हो गयी। अब फाइनेंस कंपनी से वाहन मालिकों को फोन आ रहे हैं कि तीन-चार महीने से किस्त जमा नहीं की गयी है। इधर, ट्रांसपोर्ट कंपनी के सभी फोन नंबर स्विच ऑफ आ रहे हैं।
पीड़ितों ने बताया कि दो वर्ष पहले कथित तौर पर वडोदरा की वैष्णवी ट्रांसपोर्ट कंपनी के कुछ कर्मी झरिया पहुंचे और लोगों को अपने जाल में फंसाना शुरू किया। कंपनी के कर्मियों ने पीड़ित व्यक्तियों के नाम से जेसीबी, हाइवा, स्कॉर्पियो, इनोवा, फॉर्च्यूनर, पिकअप वैन समेत विभिन्न कंपनियों के लग्जरी वाहनों को शो-रूम से खरीदवाया। वाहन को अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी में चलवाने की बात कही। प्रति वाहन खरीद पर 25 से 50 हजार रुपये कैश एकमुश्त दिया गया। प्रति महीने पांच हजार रुपये खर्च के रूप में दिए जाते थे. जिससे काफी लोग लालच में आते गये। 60 लोगों ने करीब 250 वाहन फाइनेंसर के जरिए खरीदकर कंपनी को दे दिया। ट्रांसपोर्ट कंपनी का मालिक नथानी तरुण अशोक बताया जाता है, जो मुम्बई का रहने वाला है।
ट्रांसपोर्ट कंपनी ही करती थी शो-रूम को डाउन पेमेंट
शो-रूम से वाहन लेने के लिए ट्रांसपोर्ट कंपनी ही डाउन पेंमेंट करती थी। कोई भी व्यक्ति यदि स्कॉर्पियो वाहन शोरूम से निकालकर देता था तो उसे कंपनी के कर्मी 25 से 30 हजार रुपये कैश देते थे। वहीं, इनोवा क्रिस्टा के लिए 35- 40 हजार व फॉर्च्यूनर के लिए 40-50 हजार रुपये कैश दिये जाते थे। कंपनी प्रति वाहन पांच हजार रुपए महीने अलग से देती थी। वाहन का किस्त भी कंपनी ही भर रही थी। 60 लोगों के 250 वाहन कंपनी को दिया गया।
लोगों की ओर से कंपनी को दिए वाहनों में जेसीबी दो, हाइवा 5, फॉरच्यूनर सात, इंनोवा क्रिस्टा 10, बोलेरो 20, पिकप वैन 50, स्कॉर्पियो 40, महिंद्रा थार 10, किया सेलटोस 10, क्रेटा 8, बलेनो आठ, वेणु 10, एक्सट 5, मारुति सुजुकी डीमी तीन, वरनातीन समेत कुल करीब 250 वाहन शामिल हैं।
झरिया के बनियाहीर निवासी पीड़ित पप्पू सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने नाम से एक महिंद्रा बोलेरो व दो पिकअप वैन ट्रांसपोर्ट कंपनी को दिये थे। एक-डेढ़ साल तक कंपनी ने ईएमआई बैंक में दिया भरा। पिछले तीन-चार महीने से बैंक को ईएमआई नहीं भरी जा रही है। जब बैंक से फोन आने लगा, तो उनलोगों ने कंपनी के लोगों और मालिक से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनके सभी फोन बंद मिल रहे हें।भौंरा निवासी मुकेश साव ने बताया कि उन्होंने अपने नाम से एक महिंद्रा 300, एक कैम्पर, एक एलएस 6 समेत चार गाड़ी व अपने पिताजी के नाम से दो गाड़ी यानी कुल छह वाहन कंपनी को दिये हैं। एक साल तक कंपनी वाहनों का ईएमआई बैंक में जमा कर रही थी। लेकिन पिछले 3-4 महीनों से बैंक को ईएमआई नहीं जा रहा है. अब फाइनेंस कंपनी उन्हें फोन कर रही है।
बैंक मोड़ ते मटकुरिया के होटल में रुकता था कंपनी का मालिक
ट्रांसपोर्ट कंपनी का मालिक नथानी तरुण अशोक धनबाद के मटकुरिया रोड स्थित कोलफिल्ड होटल में आकर दो-दो महीने तक रुकता था। बाद में उसने अशोक नगर में एक फ्लैट भी किराये पर ले लिया था।