जब तक जीत न जाएं तब तक लड़ना है,कोरोना की पहली लहर के बाद लापरवाह हो गई थी सरकार:आरएसएस चीफ मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि यह भी कहा कि हालात विपरीत हैं, लेकिन हम जीतेंगे यह बात भी निश्चित है। उन्होंने कहा कि समाज की जो भी आवश्यकता है संघ के स्वयंसेवक पूर्तिव में लगे हैं। अब जो परस्थिति है उसमें खुद को सुरक्षिंत रखना है।
- हमें रहना होगा पॉजिटिव
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि यह भी कहा कि हालात विपरीत हैं, लेकिन हम जीतेंगे यह बात भी निश्चित है। उन्होंने कहा कि समाज की जो भी आवश्यकता है संघ के स्वयंसेवक पूर्तिव में लगे हैं। अब जो परस्थिति है उसमें खुद को सुरक्षिंत रखना है। वर्तमान परस्थिति कठिन है और निराश करने वाली है, लेक्न नकारात्मक नहीं होना है और मन को भी नकारात्मक नहीं रखना है। निराशा की नहीं लड़ने की परिस्थिति
उन्होंने कहा कि जब तक जीत न जाएं तब तक लड़ना है। भागवत शुक्रवार को 'हम जीतेंगे: पाजिटिविटी अनलिमिटेड' के पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन अपने संबोधन के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और प्रभाव पर कई अहम बातें कहीं।मोहन भागवत ने कहा कि मन की दृढता सामूहिकता से काम करने और सत्य की पहचान करते हुएकाम करने की बात पूर्व के वक्ताओं ने की है। मेन बात मन की है। मन अगर थक गया, तो दिक्कत होगी। जैसे सांप के सामने चूहा अपने बचाव के लिए कुछ नहीं करता। ऐसा नहीं होने देना है। विकृति के बीच संस्कृति की बात सामने आ रही है। वर्तमान समय निराशा का नहीं लड़ने की परिस्थिति है।
संकल्प कर लड़ना है दुख की चुनौती मानकर
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि यह समय रोजाना हमारे मन को उदास और कटु बनाएगा। सारी समस्याओं को लांघकर सभ्यता आगे बढ़ी है। समाज की चिंता और प्लेग के रोगियों की सेवा करते हुए हेडगेवार के माता-पिता चले गये, तो क्या उनका मन कटूता से भर गया, ऐसा नहीं है, बल्कि उन्होंने आत्मीयता का संबंध बनाया।उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के संदर्भ में कहा कि जब विपत्ति आती है तो हमारी प्रकृति क्या है? भारत के लोग जानते हैं कि पुराना शरीर निरीपयोगी हो गया। दूसरा धारण करना है, यह हम जानते हैं। ऐसे में यह हमे डरा नहीं सकती। हमें जीतना है।सामने जो संकट है, उसे चुनौती मानकर संकल्प कर लड़ना है।जब तक जीत न जाएं तब तक लड़ना है। थोड़ा सी गफलत हुई। क्या शासन-प्रशासन लोग सभी गफलत में आ गए, इसलिए यह आया। वहीं, साइंटिस्ट कहते रहे, अब तीसरी लहर की बात हो रही है, तो बैठना नहीं है लड़ना है।
खाली मत रहें कुछ नया सीखें
भागवत ने कहा कि देर से जागे कोई बात नहीं है, लेकिन अंतर भरकर आगे निलना चाहिए। ऑनलाइन सीखने की व्यवस्था हो गई है। बहुत कठिन क्रिलयाएं नहीं, बल्कि सात्विक आहार, शरीर की ताकत को बढ़ाने वाला आधार हो, पर वैज्ञानिकता का भी आधार हो। जो भी आ रहा है उसको परखकर लेना चाहिए। हमारा स्वयं का अनुभव व वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर लें। हमारी ओर से बेसिर पैर की बात न जाएं। आयुर्वेद के पीछे तर्क है, उसे लेने में कोई दिक्कत नहीं है, पर सबको लाभ हो ऐसा भी नहीं। ऐसे में सावधानी रखकर उपचार और आहार का सेवन होना चाहिए। खाली मत रहिए कुछ नया सीखिए, बच्चों से संवाद कायम करे। कुटुंब का भी। पर्याप्त अंतर पर रहकर संपर्क, स्वच्छता कापालन करना, मास्क लगाएं। सावधानी हटती है तो दुर्घटना घटती है। गड़बड़ हो गई तो उपचार लें।बदनामी का डर और हॉस्पीटल की स्थति देखकर उपचार नहीं लेते, लेकिन तुरंत मेडिकल सलाह लेकर प्राथमिक सावधानियां बरतने से आदमी इससे बाहर आ सकता है। जन प्रबोधन और जन प्रशिक्षण का बड़ा महत्व है। प्रत्यक्ष सेवा करनी है तो उनके लिए बेड-ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी है। पहली लहर में की थी। अब उससे अधिक करने की आवश्यकता है। बच्चों की शिक्षा में पिछड़ने का दूसरा वर्ष, वह ज्ञान में न पिछड़े इसकी चिंता है।रोज कमाने-खाने वाले का रोजगार बंद न हो। उनकी चिंता होनी चाहिए और वह भूखे न रहें।
आरएसएस चीफ ने कहा कि आने वाले दिनों में इसके कारण आर्थिक क्षेत्र में पिछड़ने की बात होगी। ऐसे में स्कील ट्रेंनिग और मटके जैसे हस्तिशल्प को बढ़ावा देकर संबल हो सकता है। नियम, व्यवस्था व अनुशासन का पालन कर आगे बढ़ना होगा। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। होगी महामारी, छुपा होगा, रूप बदलने वाला होगा, हम जीतेंगे। परिस्थिति दोषों को दिखा देंगे, यह हमारे धैर्य की परीक्षा है। यश-अपयश का खेल चलता है। सफलता अंतिम नहीं है। आघातों में पचाकर धैर्य की प्रापप्ति तक सतत प्रयास के साथ संकल्प के साथ आगे बढ़ें तो हम जीतेंगे बात निश्चित है।
उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की पहली लहर के बाद सरकार लापरवाह हो गई थी।उन्होंने कहा, ''हमें पॉजिटिव रहना होगा और मौजूदा परिस्थिति में खुद को कोविड नेगेटिव रखने के लिए सावधानियां बरतनी होंगी। वर्तमान परिस्थितियों में तर्कहीन बयान देने से भी बचना चाहिए। यह परीक्षा का समय है लेकिन हमें एकजुट रहना होगा और एक टीम की तरह कार्य करना होगा।'उन्होंने कहा कि हम इस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं क्योंकि सरकार, प्रशासन और जनता, सभी कोविड की पहली लहर के बाद लापरवाह हो गए थे। अब तीसरी लहर की बात हो रही है, लेकिन हमें डरने की नहीं, बल्कि खुद को तैयार करने की जरूरत है।