जज उत्तम आनंद मर्डर केस की जांच से हाईकोर्ट नाराज, कहा-लगता है CBI डायरेक्टर से ही लेनी पड़ेगी जानकारी
धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस में सीबीआइ जांच की तरीके पर झारखंड हाई कोर्ट ने फिर नाराजगी जतायी है। कोर्ट ने कहा है कि निराशाजनक है कि अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। सीबीआइ बार-बार अलग तरीके से जांच की बात कह रही है, लेकिन कोई नया एवीडेंस हाथ नहीं लगा है। लगता है इस मामले में अब सीबीआइ डायरेक्टर को ही बुलाकर जानकारी लेनी पड़ेगी।
- हाई कोर्ट ने कहा कि निराशाजनक है कि अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया
- सीबीआइ बार-बार अलग तरीके से जांच की कह रही है बात
रांची। धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस में सीबीआइ जांच की तरीके पर झारखंड हाई कोर्ट ने फिर नाराजगी जतायी है। कोर्ट ने कहा है कि निराशाजनक है कि अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। सीबीआइ बार-बार अलग तरीके से जांच की बात कह रही है, लेकिन कोई नया एवीडेंस हाथ नहीं लगा है। लगता है इस मामले में अब सीबीआइ डायरेक्टर को ही बुलाकर जानकारी लेनी पड़ेगी।
अगली सुनवाई अब 14 जनवरी को
झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच में शुक्रवार को जज उत्तम आनंद मर्डर केस की सुनवाई हुई। कोर्ट ने सीबीआइ को अगली सुनवाई के दौरान प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी।
तुक्का लगा रही जांच एजेंसी
सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से कहा गया कि आरोपितों का दोबारा नार्को टेस्ट किया जा रहा है। इसमें अभी समय लगेगा। इस पर चीफ जस्टिस डा रवि रंजन ने कहा कि सीबीआइ की अब तक की जांच ने हमें कुछ बोलने लायक ही नहीं छोड़ा है। लगता है कि सीबीआइ कोई तुक्का लगा रही है, शायद कोई तीर निशाने पर लगेगा। ऐसे में अब कोर्ट किस एजेंसी से जांच कराए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विश्वास जताते हुए हाई कोर्ट को इस मामले की निगरानी का जिम्मा सौंपा है। हाइ कोर्ट सीबीआइ की जांच से अभी तक संतुष्ट नहीं हुई है। सीबीआइ ने कहा कि इस मामले में नए तरीके से जांच की जा रही है और उन्हें पूरा विश्वास है कि कुछ नया एवीडेंस हाथ लगेगा। पूरे मामले का पर्दाफाश भी होगा।
सिर्फ दो के खिलाफ चार्जशीट
हाई कोर्ट ने कहा कि कोर्ट चाहती है कि जज मर्डर केस का षड्यंत्र करने वालों का पर्दाफाश हो। दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाए। सीबीआइ ने सिर्फ दो लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है। उसमें भी बिना उद्देश्य के मर्डर किये जाने की बात कही है। ऐसे में उन्हें धारा 302 के तहत सजा दिलाना लगभग असंभव है। कोर्ट ने सीबीआइ डायरेक्टर को बुलाने संबंधी टिप्पणी तो की, लेकिन इसे लेकर कोई आदेश पारित नहीं किया है।
कोर्ट पहले भी जता चुकी है सीबीआइ की जांच रिपोर्ट से नाराजगी
झारखंड हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआइ की जांच रिपोर्ट से नाराजगी जताते हुए एक बार फिर कड़ी टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच ने मौखिक रूप से कहा कि भले ही सीबीआइ इस मामले के खुलासे को लेकर आश्वस्त हो, लेकिन अब तक की जांच से कोर्ट का विश्वास हिल गया है। फिलहाल कोर्ट देखना चाहेगी कि सीबीआइ की आगे की जांच में क्या समाने आता है।कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने पहले ही आगाह किया था कि इस मामले में समय बहुत महत्वपूर्ण है। समय बीतने पर यह मर्डर मिस्ट्री बन जायेगा। लेकिन डर है कि कहीं यह मामला मिस्ट्री अनएक्सप्लेन न बन जाए। उल्लेखनीय है कि झारखंड हाई कोर्ट सीबीआइ जांच की रिपोर्ट की हर सप्ताह समीक्षा कर रहा है।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद घर से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड पुलिस और स्टेट गवर्नमेंट गंभीर हुई। एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गयी थी। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसके बाद सीबीआई नई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 ने चार अगस्त को केस को टेकओवर कर पांच अगस्त से जांच शुरू कर दिया है।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी। सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी जा रही है।
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है।