झारखंड: भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर कमलेश यादव ने किया सरेंडर, तीन जिलों में मचा रखा था आतंक

भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर कमलेश यादव ने बुधवार को पुलिस प्रशासन के समक्ष सरेंडर कर दिया। प्रतापपुर पुलिस स्टेशन एरिया के चरका गांव निवासी शंकर यादव का पुत्र कमलेश यादव स्टेट गवर्नमेंट की सरेंडर एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर कमलेश ने सरेंडर किया है।

झारखंड: भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर कमलेश यादव ने किया सरेंडर, तीन जिलों में मचा रखा था आतंक

चतरा। भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर कमलेश यादव ने बुधवार को पुलिस प्रशासन के समक्ष सरेंडर कर दिया। प्रतापपुर पुलिस स्टेशन एरिया के चरका गांव निवासी शंकर यादव का पुत्र कमलेश यादव स्टेट गवर्नमेंट की सरेंडर एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर कमलेश ने सरेंडर किया है।

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कमलेशन ने चतरा के अलावा लातेहार एवं पलामू जिलों में आतंक मचा रखा था। उसके खिलाफ विभिन्न पुलिस स्टेशन में मर्डर, एनकाउंटर एवं किडनैप जैसे आठ मामले दर्ज हैं। इसमें तीन-तीन मामले प्रतापपुर व मनातू पुलिस स्टेशन में तथा दो मामले कुंदा पुलिस स्टेशन में दर्ज है। डीसी आफिस स्थित सभा कक्ष में डीसी अबु इमरान, एसपी राकेश रंजन एवं सीआरपीएफ 190वीं बटालियन के कमांसरेंडर आत्मसमर्पण के पश्चात डीसी और एसपी ने सरेंडर एवं पुनर्वास नीति के तहत तुरंत एक लाख रुपये का अनुदानित चेक सौंपा। मौके पर कमलेश की पत्नी भी उपस्थित थी।
दो माह पहले पूलिस के साथ हुए एनकाउंटर में था शामिल
प्रतापपुर पुलिस स्टेशन एरिया में लगभग दो माह पहले हुई पुलिस-नक्सली एनकाउंटर में शीर्ष नक्सली मनोहर गंझू के साथ वह शामिल था। एनकाउंटर में सीआरपीएफ 190वीं बटालियन का एक जवान चितरंजन कुमार शहीद हुए थे।

दो दशक से एक्टिव था कमलेश
एसपी ने कहा कि कमलेश लगभग दो दशक से संगठन में सक्रिय था। प्रतापपुर एनकाउंटर के बाद उसने स्वयं को आत्मसमर्पण करने का मन बनाया और 30 नवंबर को सरेंडर किया। एसपी ने कहा कि उग्रवाद संगठनों के पास एक मात्र विकल्प सरेंडर है। सरेंडर करने वालों के लिए जिला प्रशासन का द्वार सदा खुला हुआ है। यदि वे सरेंडर नहीं करेंगे, तो पुलिस की गोलियों से मारे जायेंगे।

बंदूक से किसी भी समस्या का निदान संभव नहीं, मुख्य धारा से जुड़े उग्रवादी
डीसी ने कहा कि स्टेट गवर्नमेंट ने समाज से विमुख हुए लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरेंडर नीति लागू किया है। नीति के तहत सरेंडर करने वाले उग्रवादियों को हर प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। बंदूक से किसी भी समस्या का निदान संभव नहीं है। इसलिए आर्म्स छोड़ कर समाज के मुख्य धारा में शामिल हो जाएं।