झारखंड राज्यसभा चुनाव 2016 : हार्स ट्रेडिंग मामले की जांच कर सकती है ED, पुलिस से मांगे दस्तावेज

झारखंड में 2016 के राज्यसभा हार्स ट्रेडिंग मामले की ईडी जांच कर सकती है। मामले में ईडी ने पुलिस अफसर और रांची के एसएसपी को पत्र लिख कर हॉर्स ट्रेडिंग से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। ईडी इन दस्तावेजो की जांच-पड़ताल करेगी। इसके बाद FIR दर्ज कर सकती है। इसमें कई पॉलिटिशियन व ब्यूरोक्रैट्स फंस सकते हैं।

झारखंड राज्यसभा चुनाव 2016 : हार्स ट्रेडिंग मामले की जांच कर सकती है ED, पुलिस से मांगे दस्तावेज
  • फंस सकते हैं कई पॉलिटिशियन व ब्यूरोक्रैट्स 

रांची। झारखंड में 2016 के राज्यसभा हार्स ट्रेडिंग मामले की ईडी जांच कर सकती है।  मामले में ईडी ने पुलिस अफसर और रांची के एसएसपी को पत्र लिख कर हॉर्स ट्रेडिंग से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। ईडी इन दस्तावेजो की जांच-पड़ताल करेगी। इसके बाद FIR दर्ज कर सकती है। इसमें कई पॉलिटिशियन व ब्यूरोक्रैट्स फंस सकते हैं। 

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राज्यसभा हार्स ट्रेडिंग में चुनाव आयोग के निर्देश पर जगन्नाथपुर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करायी गयी थी। वर्ष 2018 में दर्ज एफआइआर में इन्विस्टीगेन के दौरान कांग्रेस से बड़कागांव की तत्कालीन एमएलए निर्मला देवी व एक्स मिनिस्टर योगेंद्र साव ने पुलिस की पूछताछ में यह बयान दिया था कि राज्यसभा चुनाव 2016 में वोटिंग के लिए तत्कालीन सीएम रघुवर दास, स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन सीएम के सलाहकार अजय कुमार ने उन्हें एनडीए कैंडिडेट के पक्ष में वोटिंग के एवज में पांच करोड़ रुपये का लालच दिया था। बीजेपीमें शामिल होने का प्रस्ताव भी दिया था। वोटिंग के लिए आफर व धमकाने संबंधित एक आडियो भी रिकार्ड किया गया था, जिसके बाद ही मामले ने तूल पकड़ा था। ईडी अगर समीक्षा के बाद कार्रवाई करेगी तो तत्कालीन सीएम, आईपीएस अफसर और सलाहकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पुलिस की जांच पर सिटी एसपी ने भी उठाये थे सवाल
राज्यसभा हॉर्स ट्रेडिंग 2016 की जांच कर रहे आइओ सह हटिया डीएसपी राजा मित्रा ने मामले को बंद करने की सिफारिश की है। इस पर रांची के तत्कालीन सिटी एसपी अंशुमान कुमार ने 17 नवंबर 2022 को अपने सुपरविजन में कहा है कि नौ सितंबर 2022 को मामले के वर्तमान आईओ हटिया डीएसपी राजा मित्रा ने केस डायरी समर्पित की है। आईओ ने गांधीनगर के एफएसएल के ऑब्जर्वेशन ओपिनियन में बिंदु 12 और 13 का उल्लेख नहीं किया है। वहीं एफएसएल रिपोर्ट के बिंदु 16 में बताये गये निर्देश के अनुसार ट्रांस्क्रिप्ट को भी तैयार करने की कोशिश आइओ ने नहीं की है। इसी तरह फोन से समाप्त किये गये डाटा (डिलिटेड डेटा) का एक डीवीडी तैयार कर गांधीनगर एफएसएल को भेजा गया था, लेकिन इसका भी अध्ययन आईओ ने नहीं किया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मात्र कुछ बिंदुओं का ही जिक्र कर आईओ ने इन्विस्टीगेशन को समाप्त करने की तरफ कंडिका 619 में अपना मंतव्य लिखा है।

सिटी एसपी ने सुपरविजव में कहा है कि आइओ को उक्त चीजों का अध्ययन करना चाहिए था, उसका ट्रांस्क्रिप्ट बनाना चाहिए था। केस का इन्विस्टीगेशन जारी रखना चाहिए था। लेकिन आइओ ने ऐसा नहीं कर इन्विस्टीगेशन बंद करने का प्रयास किया है, जो साफ इंगित करता है कि इन्विस्टीगेशन को सही दिशा में ले जाने की कोई रुचि नहीं है।