झारखंड: हाई कोर्ट ने 2016 की नियोजन नीति को कैंसिल किया, 17572 शिक्षकों की नियुक्ति पर लगा ग्रहण
झारखंड हाई कोर्ट ने वर्ष 2016 में स्टेट गवर्नमेंय द्वारा बनाये व लागू किये नियोजन नीति को कैंसिल कर दिया है। हाइकोर्ट के एक अहम फैसले से राज्य के आरक्षित 13 जिलों के हाई स्कूलों में 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया है। हाइकोर्ट ने 17,572 शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के लिए निकाले गये विज्ञापन को खारिज कर दिया है।
रांची।झारखंड हाई कोर्ट ने वर्ष 2016 में स्टेट गवर्नमेंय द्वारा बनाये व लागू किये नियोजन नीति को कैंसिल कर दिया है। हाइकोर्ट के एक अहम फैसले से राज्य के आरक्षित 13 जिलों के हाई स्कूलों में 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया है। हाइकोर्ट ने 17,572 शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के लिए निकाले गये विज्ञापन को खारिज कर दिया है।
लार्चर बेंच का फैला
पलामू के हाई स्कूल की टीचर सोनी कुमारी एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एचसी मिश्रा की अध्यक्षता वाली लार्जर बेंच ने यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता की दलील थी कि राज्य सरकार ने हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति में राज्य के 13 जिले को स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित कर दिया है, जो संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है।अपील में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल के उस आदेश का भी हवाला दिया गया था, जिसे कोर्ट ने कैंसिल कर दिया था। कोर्ट के उसी फैसले के आधार पर झारखंड की गवर्नर के फैसले को कैंसिल करने की मांग कोर्ट से की गयी थी। उल्लेखनीय है कि एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें 13 जिलों को शेड्यूल एरिया और 11 जिलों को नॉन-शेड्यूल एरिया बताया गया था। नोटिफिकेशन में कहा गया था कि शेड्यूल एरिया में सिर्फ उसी जिले के अभ्यर्थी हाई स्कूल में नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे। नॉन-शेड्यूल एरिया के 11 जिलों में किसी को भी आवेदन करने की छूट दी गयी। सरकार ने इसी नोटिफिकेशन के आधार पर 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के तहत विज्ञापन जारी किया।
याचिकाकर्ता ने सरकार के इस विज्ञापन को संविधान के खिलाफ बताया. कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले से इन जिलों में 100 परसेंट आरक्षण लागू हो जाता है। यग गैर संवैधानक है। सरकार के इस आदेश को रद्द किया जाये। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करते हुए सरकार की ओर से जारी विज्ञापन को कैंसिल कर दिया।इसके साथ ही 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर ग्रहण लग गया।उल्लेखनीय है कि झारखंड हाइ कोर्ट ने वर्ष 2019 की 18 सितंबर को झारखंड हाइकोर्ट ने हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर एक महीने के लिए रोक लगा दी थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस हरीश चंद्र मिश्रा और जस्टिस दीपक रोशन की कोर्ट ने पहली नजर में राज्य सरकार के उस फैसले को गलत माना, जिसके तहत 13 जिलों को सिर्फ स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित किया गया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे लार्जर बेंच में रेफर कर दिया था।
जेएसएससी ने दी थी यह दलील
हाई कोर्ट में पिछले साल हुई सुनवाई के दौरान झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सरकार के निर्देश के अनुरूप अधिसूचना जारी की गयी है। सरकार ने जिलेवार नियुक्ति का विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था। वर्ष 2016 में 17572 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन (संख्या 21/ 2016) निकाला गया।
जेएसएससी ने कोर्ट में कहा कि राज्य के 24 में से 13 जिलों को स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दिया गया।और 11 जिले को गैर-आरक्षित रखा गया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सोनी कुमारी एवं अन्य ने हाइकोर्ट की शरण ली। 13 जिलों को आरक्षित करने के फैसले को चुनौती दे दी। सोनी कुमारी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के लिए निकाले गये विज्ञापन को कैंसिल कर दिया है।
हो चुकी नियुक्ति पर भी पड़ेगा असर
हाइकोर्ट के आदेश के बाद झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की ओर से की जा चुकी नियुक्ति पर भी असर पड़ सकता है। जिन हो चुकी नियुक्तियों पर असर पड़ेगा. उनमें दरोगा नियुक्ति, वन आरक्षी, रेडियो ऑपरेटर, एक्साइज इंस्पेक्टर, हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति है। इन पदों पर 30 हजार से अधिक लोग चयनित होकर सेवा दे रहे हैं।
क्या थी 2016 की नियोजन नीति
स्टेट गवर्नमेंट की नोटिफिकेशन नंबर 5393 दिनांक 14 जुलाई 2016 में कहा गया है कि झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों में होनेवाली थर्ड और फोर्थ ग्रेड नियुक्तियों के संबंध में उक्त जिलों के पिछड़ेपन को देखते हुए 10 वर्षो तक स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित रहेगी।11 गैर अनुसूचित जिलों को अनुसूचित जिलों के लोगों सहित देश के योग्य अभ्यर्थियों के लिए खुला रखा गया। अनुसूचित जिला में रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़ और साहेबगंज को शामिल किया गया। गैर अनुसूचित जिलों में पलामू, गढ़वा, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, गोड्डा और देवघर को रखा गया।