आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को झारखंड हाई कोर्ट ने दी बेल, साढ़े तीन साल बाद आयेंगे जेल से बाहर
झारखंड हाई कोर्ट से बिहार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बेल मिल गयी है। हाई कोर्ट ने दुमका कोषागर मामले में आधी सजा पूरी करने के आधार पर लालू प्रसाद यादव को शनिवार को बेल की सुविधा प्रदान कर दी है।
रांची। झारखंड हाई कोर्ट से बिहार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बेल मिल गयी है। हाई कोर्ट ने दुमका कोषागर मामले में आधी सजा पूरी करने के आधार पर लालू प्रसाद यादव को शनिवार को बेल की सुविधा प्रदान कर दी है।
लालू को जेल से बाहर आने के लिए ₹100000 के निजी मुचलके का बांड लोअर कोर्ट में भरना होगा। हालांकि कोर्ट की बिना अनुमति के वे देश से बाहर नहीं जा पायेंगे। ना ही किसी भी सूरत में अपना पता और मोबाइल नंबर बदलेंगे। हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को बेल देने के दौरान इन शर्तों को लगाया है।
झारखंड हाई कोर्ट ने लालू यादव की बेल पर सुनवाई के दौरान ने सीबीआइ की दलीलें खारिज कर दीं। इससे पहले लालू की बेल पर शुक्रवार को ही सुनवाई होनी थी, लेकिन झारखंड हाई कोर्ट कैंपस को सैनिटाइज करने की वजह से उनकी बेल पर सुनवाई टल गई थी। शुक्रवार को हाई कोर्ट कैंपस को सैनिटाइज कर दिया गया। इस संबंध में हाई कोर्ट की ओर से नोटिस जारी कर कहा गया था कि शुक्रवार को होने वाली सभी मामलों की सुनवाई अब 17 अप्रैल को होगी।
साढ़े तीन साल बाद जेल से बाहर आयेंगे लालू
चारा घोटाले के दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में झारखंड हाईकोर्ट में जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट ने शर्तों के साथ उन्हें बेल दी है। लालू प्रसाद ने अपने हेल्थ और दुमका कोषागार केस में मिली आधी सजा काट लेने के आधार पर बेल मांगी थी। लगभग साढ़े तीन साल बाद लालू प्रसाद जेल से रेगुलर बेल पर बाहर आयेंगे। लालू बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि कोर्ट ने उन्हें बेल दी है। वे अभी एम्स में एडमिट हैं। इलाज चल रहा है। हम लोगों की चिंता उनके स्वास्थ्य को लेकर भी है। उनकी किडनी में संक्रमण काफी ज्यादा है। सांस लेने में तकलीफ है। उनका इलाज अभी एम्स में ही चलेगा।
शर्तों पर मिली लालू को बेल
लालू प्रसाद के खिलाफ झारखंड में पांच मामले चल रहे थे। अबतक तीन मामलों में उन्हें बेल मिल चुकी है। चौथे मामले में भी आज उन्हें नियमित बेल मिल गयी है। अब कुल चार मामलों में लालू यादव को बेलमिल चुकी है। पांचवा मामला डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित है। इसपर सीबीआई कोर्ट में सुनवाई अभी चल रही है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट ने लालू प्रसाद को एक लाख के निजी मुचलके, दस लाख जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया है। लालू प्रसाद को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। बिना कोर्ट की अनुमति के वे विदेश नहीं जा सकेंगे। उन्हें अपना मोबाइल नंबर और पता भी नहीं बदलने का निर्देश अदालत ने दिया है।
लालू की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने की बहस
लालू की ओर से पक्ष रखते हुए सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनायी है। उन्होंने छह अप्रैल को ही 42 माह जेल में काट लिए हैं। उनकी आधी सजा पूरी हो गयी है। इस कारण उन्हें बेल प्रदान की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी आधी सजा पूरी करने के बाद बेल प्रदान करने का कई मामलों में आदेश दिया है।
सीबीआई ने किया विरोध
सीबीआई की ओर से लालू प्रसाद को जमानत का विरोध किया गया। सीबीआई का कहना था कि दुमका कोषागार में लालू प्रसाद को सीबीआई कोर्ट ने आईपीसी में सात और पीसी एक्ट के तहत सात साल की सजा सुनायी है। सीबीआई कोर्ट ने दोनों सजा अलग-अलग चलाने का आदेश दिया है। ऐसे में लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी में कुल 14 साल की सजा मिली है। सात साल जेल में बिताने के बाद ही उनकी आधी सजा पूरी होगी। इस तरह उनकी आधी सजा पूरी नहीं हुई है। इसलिए वह बेल के हकदार नहीं है। सीबीआई की इस दलील का कपिल सिब्बल ने विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कई और अन्य आरोपियों को सात साल की सजा मान कर ही बेल प्रदान की गयी है। उन मामलों में सीबीआई ने यह दलील नहीं दी थी, फिर लालू प्रसाद के मामले में यह नयी दलील नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने भी सीबीआई के इस दलील को नहीं माना। लालू प्रसाद को कुछ शर्तों के साथ जमानत प्रदान कर दी
यह है दुमका कोषागार का मामला
एकीकृत बिहार (बिहार और झारखंड) में तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव के कार्यकाल में दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में सीबीआइ ने केस दर्ज कर मामले में तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव सहित 31 लोगों को आरोपी बनाया था। कोर्ट ट्रायल के अनुसार लालू यादव पर दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से फर्जी वाउचर के जरिये 3.76 करोड़ की अवैध निकासी करने-कराने का आरोप सिद्ध हुआ। ये अवैध निकासी जानवरों का चारा, कृषि उपकरण के नाम और दवा के नाम पर ट्रेजरी से निकाले गये थे। सीबीआइ कोर्ट ने मामले में सजा का एलान किया था।