झराखंड: आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को हाई कोर्ट से मिली बेल, पटना राबड़ी आवास में जश्न
चारा घोटाला के पांच मामलों के सजायाफ्ता बिहार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट से बेल मिल गई है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट ने शुक्रवार को लालू यादव को कुछ शर्तों के साथ बेल की सुविधा प्रदान कर दी।
रांची। चारा घोटाला के पांच मामलों के सजायाफ्ता बिहार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट से बेल मिल गई है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट ने शुक्रवार को लालू यादव को कुछ शर्तों के साथ बेल की सुविधा प्रदान कर दी।कोर्ट उन्हें एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्तट जुर्माने की राशि 60 लाख में से 10 लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया है।
लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआइ कोर्ट ने पांच साल की सजा और 60 लाख रुपये जुर्माना लगाया है।इस फैसले के खिलाफ लालू प्रसाद ने अपील दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल और देवर्षि मंडल ने कोर्ट को बताया कि लालू प्रसाद ने इस मामले में अब तक 42 माह जेल में बिताये हैं। जबकि डोरंडा वाले मामले में उन्हें पांच की साल सजा मिली है। ऐसे में सजा की आधी अवधि 30 माह होती है। इसलिए उन्हें जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। सीबीआइ ने इसका विरोध किया। कहा गया कि लालू प्रसाद ने इस मामले में करीब ढाई से तीन माह ही जेल में बितायें है। जेल से बाहर आने के लिए लालू को सिविल कोर्ट में 10 लाख रुपये जमा कराने होंगे। एक-एक लाख रुपये के दो बेल बांड भरने होंगे। इसके बाद कोर्ट रीलिज ऑर्डर जारी करेगा।
लालू प्रसाद यादव की बेल पर हाई कोर्ट ने लगभग दो घंटे तक सुनवाई के बाद उन्हें बड़ी राहत दी है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट में डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में अभियुक्त लालू प्रसाद यादव की बेल पिटीशन पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने लालू यादव की बेलपिटीशन मंजूर कर ली है।इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने लालू यादव को बेल दे दी है। कोर्ट ने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने लगभग 40 महीने जेल में गुजारी है, जो आधी सजा 30 महीने से भी अधिक है। डोरंडा कोषागार मामले में लालू यादव की बेल का विरोध कर रहे सीबीआइ की तर्क को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। लालू को बेल मिलने के बाद लालू परिवार और राजद में जश्न का माहौल है। पटना में राजद कार्यकर्ता एक-दूसरे से गले मिलकर अपने नेता के जेल से छूटने की खुशियां मना रहे हैं।राबड़ी आवास पर जश्न है।
इस बार लालू यादव का रास्ता नहीं रोक सकी CBI
सीबीआइ ने हाई कोर्ट में में लालू प्रसाद यादव की बेल का विरोध करते हुए कहा कि डोरंडा कोषागार वाले मामले में सीबीआइ कोर्ट द्वारा दी गई पांच साल सजा की आधी अवधि लालू ने जेल में नहीं बिताई है। इस पर कोर्ट ने अबतक उनके जेल में रहने का पूरा रिकॉर्ड खंगाला। इसके बाद बेल की सुविधा प्रदान कर दी।सीबीआइ की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में पांच साल की सजा और 60 लाख का जुर्माना लगाया है। इस आदेश के खिलाफ लालू प्रसाद यादव ने झारखंड हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी।लालू प्रसाद यादव की ओर से बढ़ती उम्र और 17 प्रकार की बीमारियों का हवाला देते हुए जमानत मांगी गई थी। लालू प्रसाद की ओर से कहा गया कि उन्होंने इस मामले में 41 माह जेल में बिताये हैं। जबकि सजा की आधी अवधि 30 माह ही होती है। वे आधी सजा से 11 माह अधिक जेल में रहे हैं, इसलिए उन्हें अदालत से जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए।
हाई कोर्ट ने कहा- सिर्फ लालू यादव के मामले में भेदभाव क्यों?
सीबीआई की ओर से सीआरपीसी की धारा 427 का मुद्दा उठाया गया। लालू की बेल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है। जिसमें उन्हें नोटिस जारी किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ सिर्फ लालू के मामले में सीबीआइ बार-बार सीआरपीसी की धारा 427 का मुद्दा उठात है। इसके अलावा चारा घोटाले के किसी अन्य सजायाफ्ता में ऐसा नहीं होता है। कोर्ट ने सीबीआइ की दलील को नहीं मानते हुए लालू प्रसाद को जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है।सीआरपीसी 427के तहत अगर एक ज्यादा मामलों में किसी को सजा दी जाती है, तो प्रार्थी की जिम्मेदारी है कि वह कोर्ट को इसकी जानकारी दे कि वह पहले से किसी मामले में सजा काट रहा है। इस मामले में उसके जेल की अवधि को गिना जाए।कोर्ट ने माना कि लालू प्रसाद इस मामले में 40 माह ही जेल में रहे हैं। लालू के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने बताया कि इस मामले में लालू प्रसाद मंगलवार या बुधवार बेल बांड भरा जाएगा। इसके बाद लोअर कोर्ट रिहाई का आदेश जारी किया जायेगा। लालू प्रसाद को चारा घोटाले के पांचों मामलों में जमानत मिल चुकी है। फिलहाल उनका इलाज दिल्ली स्थित रिम्स में चल रहा है।
कपिल सिब्बल की सधी दलीलों से दी सीबीआइ को मात
। एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल उनके लिए तारणहार साबित हुए। सिब्बल की सधी हुई दलीलों के आगे सीबीआइ की एक न चल सकी। और अदालत ने लालू की जमानत याचिका मंजूर कर ली। हााई कोर्ट में लालू प्रसाद यादव की ओर से उनकी जमानत याचिका पर बहस करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने मोर्चा संभाला। सीबीआइ और कपिल सिब्बल दोनों ने तर्कपूर्ण तरीके से अपनी दलीलें पेश कीं। कोर्ट ने सीबीआइ के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ लालू यादव के मामले में जांच एजेंसी सीआरपीसी 427 का मुद्दा क्यों उठाती है?कपिल सिब्बल इससे पहले भी लालू यादव को चारा घोटाला मामले में जमानत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर चुके हैं।
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल और देवर्षि मंडल ने सीबीआइ की ओर से दी गई सजा की आधी अवधि पूरी न करने की दलील की जमकर काट की। सिब्बल ने दस्तावेजी सबूत के दम पर कहा कि लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाला मामले में अब तक 42 माह जेल में बिताये हैं।सीबीआइ ने सिब्बल की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव ने डोरंडा कोषागार मामले में बमुश्किल तीन माह ही जेल में बिताए है। ऐसे में उनकी जमानत याचिका रद कर देनी चाहिए। सीबीआइ ने तब सीआरपीसी की धारा 427 का हवाला दिया। जिसमें अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सजा दिए जाने का प्रविधान है।सीबीआइ ने लालू की जमानत का पुरजोर विरोध करते हुए अपनी दलील में कहा कि लालू यादव की जमानत के खिलाफ जांच एजेंसी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है। जिसमें लालू प्रसाद को नोटिस जारी किया गया है। इस पर कोर्ट ने सीबीआइ को घेरते हुए पूछा कि केंद्रीय जांच एजेंसी आखिर सिर्फ लालू के मामले में ही सीआरपीसी धारा 427 का नाम क्यों लेती है। जबकि चारा घोटाल के दूसरे सजायाफ्ता के मामले में सीबीआइ ऐसा नहीं करती।
उल्लेखनीय है कि लालू प्रसाद यादव रांची के होटवार जेल के कैदी हैं। जिन्हें रिम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। इलाज के क्रम में लालू की एक किडनी फेल कर जाने पर उन्हें विशेष इलाज के लिए एम्स दिल्ली भेजा गया है। अभी लालू की हालत स्थिर बताई जा रही है। उनका क्रिटनीन लेवल 5 से ऊपर पहुंच गया है। लालू की बेटी मीसा भारती दिल्ली में अपने पिता की देखरेख कर रही है।