झारखंड: CM हेमंत सोरेन व करीबियों का शेल कंपनी मामला, हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 30 जून को
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन व उनके करीबियों से जुड़े शेल कंपनी और माइंस लीज आवंटन मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की अगली सुनवाई 30 जून को वर्चुअली होगी।
- हाई कोर्ट ने कहा- सुनवाई को बार-बार बाधित कर रहे, हम और बर्दाश्त नहीं करेंगें
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन व उनके करीबियों से जुड़े शेल कंपनी और माइंस लीज आवंटन मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की अगली सुनवाई 30 जून को वर्चुअली होगी।
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अब इस मामले में 30 जून को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच ने सीएम हेमंत सोरेन के एडवोकेट को आज ही याचिकाऔर शपथ पत्र की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि आश्चर्य की बात है कि जब प्रतिवादी हेमंत सोरेन की एडवोकेट के पास याचिका और शपथ पत्र की प्रति उपलब्ध नहीं थी। उसके बाद भी उनकी ओर से कैसे बहस की गई और याचिका की मेंटलबिलिटी पर आपत्ति भी दर्ज कराई गई थी।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीएम हेमंत सोरेन की ओर से कहा गया कि शेल कंपनियों के मामले में उन्हें याचिका और शपथ पत्र की कापी नहीं मिले हैं। इसलिए वे जवाब नहीं दे पायेंगे। नैसर्गिक न्याय और न्याय के हित के लिए यह जरूरी है कि उन्हें याचिका और शपथ पत्र की प्रति उपलब्ध कराई जाए ताकि वह भी अपना पक्ष कोर्ट में रख सकें। कोर्ट आग्रह किया गया कि इस मामले की सुनवाई अगली तिथि तक स्थगित कर दे।
हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा है, जिसपर 11 जुलाई को सुनवाई होनी है। 11 जुलाई तक हाईकोर्ट समय दें। सीएम हेमंत का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने 11 जुलाई तक हाईकोर्ट से इंतजार करने की मांग की। .मामले की मैरिट पर वर्चुअल सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल झारखंड सरकार की ओर से पक्ष रखा। दोनों ही मामलों के प्रार्थी शिव शंकर शर्मा है, जिनके एडवोकेट राजीव कुमार है। ईडी की ओर से एडवोकेट एसवी राजू सुनवाई में शामिल रहे।
सरकार के एडवोकेट ने फाइल नहीं की थी वकालतनामा
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि माइनिंग लीज मामले में हेमंत सोरेन का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने वकालतनामा फाइल नहीं किया है। कोर्ट ने इसी गंभीरता से लेते हुए कहा कि जब वकालतनामा फाइल नहीं की गई थी तब आप पक्ष कैसे रख सकते हैं। दो दिनों के भीतर अधिवक्ता को सभी एफिडेविट कोर्ट को सौंपने का निर्देश दिया गया है। इधर, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से स्टे आर्डर नहीं मिल जाता है तब तक मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
माइनिंग लीज मामला
सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सीए हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल की। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।
शेल कंपनी मामला
शिव शंकर शर्मा ने ही शेल कंपनी मामले में भी एडवोकेट राजीव कुमार के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। याचिका के माध्यम से आरोप लगाया है कि सीएम हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है। यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है। इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को वाइट मनी बनाया जा रहा है। इसलिए याचिका के माध्यम से कोर्ट से सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है। इस मामले में झारखंड के चीफ सेकरेटरी,सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है।
कोर्ट ने माना था मेंटेंएबल है याचिका
हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दोनों याचिका को मेंटेंएबल बताते हुए सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया था। सीएम हेमंत सोरेन की और से एडवोकेट कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे हैं। इसके पहले मामला सुप्रीम कोर्ट गया था. जहां कोर्ट ने सुनवाई के लिए हाईकोर्ट रेफर किया था। लेकिन पूर्व मे हुई सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने फिर से मामले में सुप्रीम कोर्ट मे एस एलपी दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को है सुनवाई
झारखंड गवर्नमेंट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की । जहां सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूर्व में जिस बेंच मे मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई हुई थी, उसी बेंच मे मामले को रेफर किया।