झारखंड: निशिकांत दूबे ने हेमंत सोरेन को दिया टेंशन, वकीलों पर सरकारी राशि खर्चे की CAG करेगी आडिट

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के धुर विरोधी गोड्डा के बीजेपी एमपी निशिकांत दूबे ने सीएम हेमंत सोरेन को बडी़ परेशानी में डाल टेंशन दे दिया है। निशिकांत दूबे की कंपलेन पर CAG ने सीएम जुड़े माइनिंग लीज और शेल कंपनी मामले में वकीलों पर हो रहे सरकारी खर्च का ऑडिट करने का फैसला लिया है। 

झारखंड: निशिकांत दूबे ने हेमंत सोरेन को दिया टेंशन, वकीलों पर सरकारी राशि खर्चे की CAG करेगी आडिट
  • माइनिंग लीज व शेल कंपनी सुनवाई में वकीलों पर हो रहे खर्च की होगी ऑडिट

रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के धुर विरोधी गोड्डा के बीजेपी एमपी निशिकांत दूबे ने सीएम हेमंत सोरेन को बडी़ परेशानी में डाल टेंशन दे दिया है। निशिकांत दूबे की कंपलेन पर CAG ने सीएम जुड़े माइनिंग लीज और शेल कंपनी मामले में वकीलों पर हो रहे सरकारी खर्च का ऑडिट करने का फैसला लिया है। मामले में निशिकांत ने कैग को पक्ष लिखकर कंपलेन किया था। 

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Public coffers has been always the private bank of these family run business parties.Expedited action required to retrieve public money back.@PMOIndia @PIBHomeAffairs @FinMinIndia my letter to CAG against Hemant soren ji pic.twitter.com/yChkIoLV1F

— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 22, 2022

बीजेपी एमपी निशिकांत दूबे ने दावा किया है कि  कि या है कि उनके पत्र पर संज्ञा लेते सीएजी ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के मामले की आडिट करायेगी। आरोप हौ कि सीएम  हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज व शेल कंपनी मामले में अपने व भाई बसंत सोरेन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट व चुनाव आयोग के केस में गवर्नमेंट के खर्चे पर नामी -गिरामी वकीलों को रखा। एडवकोटे को करोड़ों  रुपये का पैमेंट किया गया है। निशिकांत दा दावा है कि ऑडिट में यह खुलासा हो जायेगा।

निशिकांत दूबे ने सीएजी गिरिश चंद्र मुर्मू को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन अपने निजी केस भी सरकारी खर्च पर लड़ रहे हैं। सीएम ने अपने ऊपर चल रहे मामलों की पैरवी में देश के जाने-माने वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रहतोगी,पल्लवी लंगर, एडवोकेट जनरल व उनकी टीम को लगा रखा है। इस पर स्कटेट गवर्मेंनट के अकाउंट से करोड़ रुपये से अधिक राशि का पेमेंट भी हो चुका है। उन्होंने उक्त राशि की वसूली और इसपर संबंधित अफसरों से जवाब तलब करने का आग्रह किया है।

विधानसभा मामले में कोई अनुमति नहीं ली गयी

निशिकांत दूबे ने कंपलेन में लिखा है कि सीएम व उनके सहयोगियों के खिलाफ शेल कंपनियों में निवेश, माइनिंग लीज निर्वाचन आयोग में अलग-अलग मामला विचाराधीन है। ये उनके निजी मामले हैं। केस सीएम व गवर्नमेंट  पर नहीं , हेमंत सोरेन पर है। उन्होंने सवाल उठाया है कि झारखंड विधानसभा की मंजूरी के बिना हो रहे इस खर्च को क्यों नहीं संबंधित विभागों के प्रमुखों के वेतन से वसूला जाए।क्या झारखंड विधानसभा ने राज्य सरकार को अपने सदस्यों के निजी मामलों पर पैसा खर्च करने की मंजूरी प्रमुख सचिव, कानून विभाग और प्रमुख सचिव, कैबिनेट समन्वय और सतर्कता विभाग को दी थी।उन्होंने पूछा है कि खर्च हो रही राशि प्रमुख सचिव, कानून विभाग और प्रमुख सचिव, कैबिनेट समन्वय विभाग और सतर्कता वेतन और सेवानिवृत्ति लाभ से क्यों नहीं वसूले जाने चाहिए? 

एमपी निशिकांत दूबे ने अपने पत्र में बताया है कि विधानसभा से इस मामले में कोई अनुमति नहीं ली गयी है। इसके बाद भी राज्य सरकार निजी वकीलों पर खर्च कर रही है। सीएम हेमंत सोरेन और उनके सहयोगियों ने कोई निजी वकील नहीं लगाया गया है। स्टेट गवर्नमेंट सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और पल्लवी लंगर की सेवा ले रहे हैं। ऐसे में झारखंड सरकार एडवोकेट पर लाखों रुपये खर्च कर रही है। वह पैसा जनता का है।  हेमंत सोरेन के इस अवैध कार्य का बचाव करने के लिए झारखंड के गरीब करदाताओं का पैसा करोड़ों में क्यों खर्च किया जा रहा है।