Jharkhand : RPF कांस्टेबल को कोर्ट ने सुनायी फांसी की सजा, रामगढ़ में एक ही फैमिली के तीन के लोगों को उतारा था मौत के घाट
झारखंड के रामगढ़ में सिविल कोर्ट ने कोर्ट ने आरपीएफ के डिसमिस कांस्टेबल पवन कुमार सिंह को फांसी की सजा सुनायी गयी है। कांस्टेबलन द्वारा एक ही परिवार के तीन लोगों को गोली मारकर मर्डर करने और दो लोगों को घायल करने के मामले में फांसी की सजा सुनाई गयी है। रामगढ़ व्यवहार न्यायालय में पहली बार किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।
रामगढ़। झारखंड के रामगढ़ में सिविल कोर्ट ने कोर्ट ने आरपीएफ के डिसमिस कांस्टेबल पवन कुमार सिंह को फांसी की सजा सुनायी गयी है। कांस्टेबलन द्वारा एक ही परिवार के तीन लोगों को गोली मारकर मर्डर करने और दो लोगों को घायल करने के मामले में फांसी की सजा सुनाई गयी है। रामगढ़ व्यवहार न्यायालय में पहली बार किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।
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कोर्ट ने आरोपी पवन कुमार सिंह को 13 मार्च को आईपीसी की धारा 302, 307 और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार दिया था। कोर्ट ने पवन को आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी की सजा, 307 के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये जुर्माना व जुर्माने की राशि नहीं देने पर एक वर्ष की सजा तथा आर्म्स एक्ट के तहत सात वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
नशे में धुत्त आरपीएफ कांस्टेबल ने चलाई थी गोलियां
रामगढ़ के बरकाकाना में 17 अगस्त 2019 को की रात लगभग आठ बजे बरकाकाना रेलवे कालोनी में रेलवे पोर्टर के रूप में कार्यरत अशोक राम के घर उस वक्त बरकाकाना आरपीएफ कांस्टेबल पवन सिंह दूध लेने पहुंचा। पवन नशे में धुत्त था। जैसे ही घर के लोगों ने दूध बेचने से मना किया तो गुस्से में आकर उसने अशोक राम, उसकी पत्नी लीला देवी और बेटी वर्षा देवी की गोली मारकर मर्डर कर दी थी। वहीं इस घटना में छोटा बेटा संजय राम और बेटी सुमन कुमारी घटना में घायल हो गई थे। सुमन अभी भी इलाजरत है और चिकित्सकों की निगरानी में है। एक गोली अभी भी उसकी रीढ़ की हड्डी में फंसी है। इस घटना में घायल संजय राम ने घटना के दिन ही जीआरपी इंस्पेक्टर के सामने फर्द बयान दर्ज कराया था।
कोर्ट में अभियोजन की ओर से प्रभारी अभियोजक आर बी राय ने कुल 16 गवाहों का बयान कोर्ट के समक्ष दर्ज कराया था। कड़ी सजा की मांग कोर्ट से की थी। इस घटना में घायल संजय राम व उसकी छोटी बहन सुमन कुमारी सहित कांड के जांच अधिकारी डीएसपी संजीव कुमार बेसरा और पोस्टमार्टम करने वाले व घायल युवती का इलाज कर रहे चिकित्सक ने न्यायालय में अपना बयान दर्ज कराया था। आरपीएफ कांस्टेबल पवन ने अपने सरकारी नाइन एम एम पिस्टल से अंधाधुंध गोलियां चलाकर रेलकर्मी अशोक राम, पत्नी लीला देवी और बड़ी पुत्री मीना देवी की हत्या कर दी थी। घटना ओ अंजाम देने के बाद वह घटना स्थल से फरार हो गया था। बाद में उसे बिहार के आरा जिले के करथ गांव से पुलिस ने 22 मार्च 2020 को अरेस्ट किया गया था।