कानपुर के बिजनसमैन मनीष मर्डर केस : 'नकद नारायण सिंह' नाम से फेमस है गोरखपुर का इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह
यूपी के गोरखपुर जिले पुलिस की कथित पिटाई से कानपुर के प्रोपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत से स्टेट के लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों का पुलिस के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है। मामले में एक के बाद एक नयी-नयी जानकारी आरोपी पुलिस कर्मियों के बारे में मिल रहे हैं। आरोप लग रहे हैं गोरखपुर के डीएम व एसएसपी पर मनीष की पत्नी को पुलिस वालों के खिलाफ एफआइआर न करने को समझा रहे थे। हालांकि सीएम के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर ली गयी है।
- मनीष की मर्डर के बाद लोग सोशल मीडिया पर लोग निकाल रहे है अपना गुस्सा
- लोगों में आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण के खिलाफ है ज्यादा गुस्सा
लखनऊ। यूपी के गोरखपुर जिले पुलिस की कथित पिटाई से कानपुर के प्रोपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत से स्टेट के लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों का पुलिस के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है। मामले में एक के बाद एक नयी-नयी जानकारी आरोपी पुलिस कर्मियों के बारे में मिल रहे हैं।
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आरोप लग रहे हैं गोरखपुर के डीएम व एसएसपी पर मनीष की पत्नी को पुलिस वालों के खिलाफ एफआइआर न करने को समझा रहे थे। हालांकि सीएम के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर ली गयी है। ममीष मर्डर मामले के मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह(जेएन सिंह) सत्ताधारी दल की कृपा से दिन दूना रात चौगुनी तरक्की कर रहा था। उसके किस्से और कारनामे भी बड़े अजीब थे। सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट पड़े हैं, जिसमें इंस्पेक्टर जेएन सिंह का नाम नकद नारायण सिंह पड़ा था, इसका जिक्र कई पोस्ट में देखने को मिल रहा है।
गोरखपुर के रामगढ़ताल पुलिस स्टेशन के आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह अपने कारनामों को लेकर हमेा चर्चा में रहे हैं। आरोप है कि वर्ष 2017 से गोरखपुर में पोस्ट रहे इंस्पेक्टर जगत नारायण, गोरखपुर में 'नकद नारायण के नाम से काफी चर्चित हैं। उनके परिचितों के मोबाइल फोन में भी उनके नंबर 'नकद नारायण के नाम से ही सेव होते हैं।
कोड वर्ड में करता था बात आरोपी इंस्पेक्टर
बताया जाता है कि कि आरोपी इंस्पेक्टर का एक पेट डॉयलाग भी गोरखपुर जिले में काफी फेमस रहा है। वो हर किसी को चुटकी बजाकर यह कहते जरूर सुने जाते है। ''ओ मिस्टर...आई एम इंस्पेक्टर...हू आर यू? उनके पेट डॉयलागों में शुमार था।वो अक्सर खुश होकर अपने कारनामों की कहानियां भी बताया करते हैं। कहते हैं कि मुझसे कोई सिफारिश न करना...मैं बिना वांछित के कोई काम नहीं करता। वांछित यानी कि (रुपयों के)। मैं जिले में सिर्फ दो लोगों की ही सुनता हूं। बाकी किसी की नहीं। बड़े- बड़े नेताओं का तो सुजाकर गुब्बारा बना दिया। ऐसे ही इंस्पेक्टर नहीं बना हूं। घाट- घाट का पानी पीकर कांस्टेबल से आउट आफ टर्म प्रमोशन मिला है।