Modi Surname Case : राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से भी झटका, सजा पर नहीं लगेगी रोक, हाई कोर्ट में करेंगे अपील
कांग्रेस लीडर राहुल गांधी को 'मोदी सरनेम' मामले में मिली सजा के खिलाफ सूरत की सेशंस कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी है। याचिका में 'मोदी सरनेम' पर की गई टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
सूरत। कांग्रेस लीडर राहुल गांधी को 'मोदी सरनेम' मामले में मिली सजा के खिलाफ सूरत की सेशंस कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी है। याचिका में 'मोदी सरनेम' पर की गई टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
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अब हाई कोर्ट में करेंगे अपील
राहुल गांधी की दो साल की सजा पर रोक को लेकर दायर याचिका पर आज जज रॉबिन मोघेरा ने फैसला सुनाया। याचिका खारिज कर दी गई। अब राहुल गांधी के वकील हाई कोर्ट में अपील करने जा रहे हैं। दो साल की सजा मिल नेके बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी छिन चुकी है।सीजेएम कोर्ट के 23 मार्च के फैसले को चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने सेशंस कोर्ट मेंअपील दायर की थी। यहां से झटका लगनेके बाद अब उन्हें हाई कोर्ट का रुख करना होगा।
संभलकर बोलना चाहिए, राहुल गांधी को जज नेदी नसीहत
सेशंस कोर्ट नेअपने 27 पेज के ऑर्डर में राहुल गांधी के पद और कद का जिक्र करते हुए नसीहत दी कि उन्हें शब्दों का चयन संभलकर करना चाहिए। जज आरपी मोगेरा ने माना है कि राहुल गांधी की ओर से कही गई बात से शिकायतकर्ता को मनमस्तिष्क को चोट लगी है। कोर्ट ने कहा, 'इस तथ्य में कोई विवाद नहीं कि याचिकाकर्ता संसद के सदस्य थे। दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष थे। ऐसे कदम को देखते हुए उन्हें अपने शब्दों को लेकर अधिक सतर्क होना चाहिए, जिसका लोगों की दिमाग पर बड़ा असर हुआ होगा। अपीलकर्ता के मुंह से निकले कोई भी अपमानजनक शब्द पीड़ित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त हैं।'कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि मोदी सरनेम वाले लोगों की तुलना चोरों से करने से निश्चित तौर पर शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची। मानसिक पीड़ा हुई, जो सार्वजनिक रूप से सक्रिय हैं।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 23 मार्चको राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद 24 मार्च को केरल के वायनाड से उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। तीन अप्रैल को निचली अदालत के फैसलेको चुनौती देतेहुए राहुल गांधी ने याचिका दायर की थी जिस पर 13 अप्रैल को पांच घंटे से अधिक समय तक दोनों ओर से दलीलें रखी गईं। राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने गुरुगुवार को सेशंस कोर्ट में कहा था कि अयोग्यता से उन्हें अपूर्णीय क्षति होगी। दो साल कीसजा मिलने की वजह से राहुल गांधी आठ साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। यदि उन्हें ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलती है।
राहुल गांधी ने दलील दी थी कि कर्नाटक में मोदी सरनेम को लेकर उनकी बात को संदर्भ से अलग पेश किया गया और यह अपमानजनक नहीं था। वहीं, शिकायतकर्ता बीजेपी लीडर पूर्णेश मोदी के वकील ने यह कहतेहुए राहुल की याचिका का विरोध किया था कि कांग्रेस नेता बार-बार इस तरह का अपराध कर रहे हैं। पूर्णेश मोदी ने कहा था कि राहुल अपनी बात पर कायम हैं।सत्र न्यायालय ने बाद में राहुल को जमानत देते हुए शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की कांग्रेस नेता की याचिका पर नोटिस भी जारी किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और फिर 20 अप्रैल के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया।
यह है मामला
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक प्रचार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल गांधी द्वारा 'मोदी' उपनाम का उपयोग करने वाली टिप्पणी से संबंधित है। अप्रैल 2019 में कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है? इस मामले में गुजरात के बीजेपी लीडर पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया था, जिसपर उन्हें दो साल की सजा हुई। बीजेपी ने राहुल की टिप्पणी को मोदी और पूरे ओबीसी समाज के खिलाफ बताया था।