नई दिल्ली: सेंट्रल मिनिस्टर राम विलास पासवान का निधन, दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पीटल में ली अंतिम सांस
एलजेपी के संस्थापक व सेंट्रल मिनिस्टर राम विलास पासवान का गुरुवार की शाम निधन हो गया। केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान (74) ने दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पीटल में अंतिम सांस ली। बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट करके उनके निधन की जानकारी दी।
- बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर दी जानकारी
- पासवान के निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत सियासी हस्तियों ने जताया शोक
नई दिल्ली। एलजेपी के संस्थापक व सेंट्रल मिनिस्टर राम विलास पासवान का गुरुवार की शाम निधन हो गया। केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान (74) ने दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पीटल में अंतिम सांस ली। बीते कुछ माह से वह बीमार थे। हाल ही में उनकी बायपास सर्जरी हुई थी।
बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट करके उनके निधन की जानकारी दी।एलजेपी प्रसिडेंट चिराग पासवान ने लिखा, पापा... अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
पासवान के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी. कांग्रेस प्रसिडेंट सोनिया गांधी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेने, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, तेजस्वी यादव आदि ने शोक जताया है। पीएम व अन्य ने एलजेपी चीफ चिराग पासवान को फोन कर रामविलास पासवान के निधन पर सांत्वना व्यक्त किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि सेंट्रल मिनिस्टर रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। उनकी गणना सर्वाधिक सक्रिय तथा सबसे लंबे समय तक जनसेवा करने वाले सांसदों में की जाती है। वे वंचित वर्गों की आवाज़ मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे।पीएम नरेंद्र मोदी ने पासवान के निधन पर कहा कि इस दुख को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। पासवान जी का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। देश की सियासत में इस रिक्तता को कभी नहीं भरा जा सकेगा। मैंने एक दोस्त, मूल्यवान सहयोगी को खो दिया है। पासवान हर गरीब को यह सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक थे कि वह गरिमामय जीवन बसर करे। प्रधानमंत्री ने कहा कि राम विलास पासवान जी ने दृढ़ संकल्प के साथ से राजनीति में कदम रखा था।
पांच दशक से पोलिटिक्स में थे एक्टिव,छह पीएम के कैबिनेट में रहे मिनिस्टर
राम विलास पासवान को राजनीति का बड़ा मौसम वैज्ञानिक माना जाता था। गवर्नमेंट किसी की भी रही, राम विलास पासवान हमेशा सत्ता में रहे। खास बात यह रही कि उन्होंने हमेशा चुनाव के पहले गठबंधन किया, चुनाव के बाद कभी नहीं। रामविलास पासवान ने खगड़िया के काफी दुरुह इलाके शहरबन्नी से निकलकर दिल्ली की सत्ता तक का सफर अपने संघर्ष के बूते तय किया था। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लिहाजा वह पांच दशक तक बिहार और देश की राजनीति में छाये रहे। दो बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया था। रामविलास पासवान देश के छह पीएम की कैबिनेट में मिनिस्टर रहे। राजनीति की नब्ज पर उनकी पकड़ इस कदर रही कि वह वोट का एक निश्चित को इधर से उधर ट्रांसफर करा सकते हैं। यही कारण है कि वह राजनीति में हमेशा प्रभावी भूमिका निभाते रहे। इनके राजनीतिक कौशल का ही प्रभाव था कि उन्हें यूपीए में शामिल करने के लिए सोनिया गांधी खुद चलकर उनके आवास पर गई थीं।
लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक वोट से जीतने का रिकॉर्ड
मृदुभाषी पासवान छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके थे। वर्ष 1996 से वर्ष 2015 तक केन्द्र में सरकार बनाने वाले सभी राष्ट्रीय गठबंधन चाहे यूपीए हो या एनडीए, का वह हिस्सा बने। इसी कारण लालू प्रसाद ने उनको ‘मौसम विज्ञानी’ का नाम दिया था। रामविलास पासवान खुद भी स्वीकार कर चुके थे कि वह जहां रहते हैं सरकार उन्हीं की बनती है। वे समाजवादी पृष्ठभूमि के बड़े नेताओं में से एक थे। देशभर में उनकी पहचान नेशनल लीडर के रूप में रही। हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से वह कई बार चुनाव जीते, लेकिन दो बार उन्होंने सबसे अधिक वोट से जीतने का रिकॉर्ड बनाया।
बिहार में 2005 में जीते थे 29 एमएलए
रामविलास पासवान के हाथ वर्ष 2005 में बिहार की सत्ता की चाबी लग गई। उस समय उनकी पार्टी के 29 एमएलए जीते थे। किसी दल को बहुमत नहीं होने के कारण सरकार नहीं बन रही थी। पासवान अगर उस समय नीतीश कुमार के साथ या लालू प्रसाद के साथ जाते तो स्टेट में गवर्नमेंट बन सकती थी। लेकिन उन्होंने शर्त रख दी कि जो पार्टी अल्पसंख्यक को सीएम बनायेगी उसी का साथ वह देंगे। उनकी इस शर्त पर कोई दल तैयार नहीं हुआ। दोबारा विधानसभा चुनाव में जाना पड़ा। बाद में उसी साल नवम्बर में हुए चुनाव में नीतीश कुमार के लीडरशीप में एनडीए को बहुमत मिला।। इसके बाद नीतीश कुमार सीएम बने।
हाजीपुर से 2009 में हार गये थे लोकसभा चुनाव
रामविलास पासवान 2004 के लोकसभा चुनाव जीते, लेक्न र 2009 में हार गये। पासवान ने वर्ष 2009 में लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी के साथ गठबंधन किया। पूर्व गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को छोड़ दिया। 33 वर्षों में पहली बार वे हाजीपुर से जनता दल के रामसुंदर दास से चुनाव हार गये। उनकी पार्टी लोजपा 15वीं लोकसभा में एक भी सीट नहीं जीत सकी। उनके गठबंधन के साथी और उनकी पार्टी भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और चार सीटों पर ही सिमट गई। लालू के सहयोग से राम विलास राज्यसभा में पहुंच गये। बाद में हाजीपुर क्षेत्र से 2014 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वह फिर से एनडीए में आ गये। संसद में पहुंकर मिनिस्टर बने। उसी चुनाव में उनका बेटा चिराग भी पहली बार जमुई से एमपी बना।