नई दिल्ली: फुर्सत के समय PM नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री आवास में मोर को खाना खिलाना नहीं भूलते (देखें VIDEO)
पीएम नरेंद्र मोदी सुबह से लेकर रात तक लगातार बैठक कर काम का निपटारा करने में विजी रहते हैं। लेकिन फुर्सत के समय में वह दिल्ली के 7, लोक कल्याण मार्ग यानी प्रधानमंत्री आवास में मौजूद मोर को खाना खिलाना नहीं भूलते हैं। पीएम ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर की है, जिसमें वह अलग-अलग दिन मोर को दाना खिलाते हुए दिख रहे हैं।
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी सुबह से लेकर रात तक लगातार बैठक कर काम का निपटारा करने में विजी रहते हैं। लेकिन फुर्सत के समय में वह दिल्ली के 7, लोक कल्याण मार्ग यानी प्रधानमंत्री आवास में मौजूद मोर को खाना खिलाना नहीं भूलते हैं। पीएम ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर की है, जिसमें वह अलग-अलग दिन मोर को दाना खिलाते हुए दिख रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास के लॉन के भीतर भी मोरों की बेरोकटोक एंट्री है। पर्यावरण संरक्षण के लिए मोदी ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस खड़ा करने में महती भूमिका निभाई है।पालथी मारकर बैठे पीएम मोदी के हाथों से उठाकर खाने में मोर को भी लुत्फ आ रहा है।
पक्षियों से है मोदी को लगाव
पीएम ने अपने तमाम संवादों में प्रकृति और पक्षियों के साथ लगाव को सामने रखा है। आम चुनाव से ठीक पहले वह डिस्कवरी चैनल के लोकप्रिय कार्यक्रम मैन वर्सेज वाइल्ड में बेयर ग्रिल्स के साथ दिखे थे। उनकी एक किताब 'आंख आ धन्य छे' में प्रकृति पर कई कविताएं हैं।
पीएम के साथ में टहलते हैं मोर
जब वह लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर एक्सरसाइज करते हैं तो मोर उनके पास घूमते हुए देखे जा सकते हैं।वीडियो में मोर कभी प्रधानमंत्री आवास के अंदर तो कभी लॉन में दिख रहा है, जहां पीएम मोदी बड़े ही सहज भाव से उसे दाना खिला रहे हैं। पीएम मोदी ने वीडियो साझा करते हुए एक कविता भी लिखी है।
मोर पर पीएम मोदी द्वारा शेयर की गई कविता
भोर भयो, बिन शोर,
मन मोर, भयो विभोर,
रग-रग है रंगा, नीला भूरा श्याम सुहाना,
मनमोहक, मोर निराला।
रंग है, पर राग नहीं,
विराग का विश्वास यही,
न चाह, न वाह, न आह,
गूँजे घर-घर आज भी गान,
जिये तो मुरली के साथ
जाये तो मुरलीधर के ताज।
जीवात्मा ही शिवात्मा,
अंतर्मन की अनंत धारा
मन मंदिर में उजियारा सारा,
बिन वाद-विवाद, संवाद
बिन सुर-स्वर, संदेश
मोर चहकता मौन महकता।
दो हजार रुपये उधार लिए
पीएम मोदी जलवायु और वन संरक्षण पर मुखर रहे हैं। उन्होंने ‘Convenient Action: Gujarat's Response to Challenges of Climate Change’ और ‘Convenient Action- Continuity for Change’ नाम से दो बुक लिखी हैं। बुक में उन्होंने अपना विजन सामने रखा है।